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Shubham

#स्वमं की ओर

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कुछ मेरी आदतें हैं बीती,फिर से अब उन्हें टटोलूँ मैं
संदूकों में करी थी बन्द,लो फिर संदूकों को खोलूँ मैं
जन्म से हैं मुझमें,क्षण भर में ही अपना लूंगा उनको 
होगी सीख मुझे भी फिर, कब और कितना बोलूँ मैं
 #स्वमं की ओर

Babul Inayat

मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, झारखण्ड और अब दिल्ली ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है। विपक्ष मु #विचार #BJP_Mukt_Bharat

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Babul Inayat मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा,  तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, झारखण्ड और अब दिल्ली ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है। 

विपक्ष मु

SONALI SEN

सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ , भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया, तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी, #कविता #navaratri

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सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ ,
भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया,
                        तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी,    
                       मन में विराजी माँ हे पिनाकधारणी,
सुधा सी हो बुद्धि चित्रा दूर अहंकार करे,
स्वर हो प्रचंड  चंद्रघंटा मैया स्वर भरे,
            चितरूपा चिता चिति स्वमंत्रमयी माँ ,
                         भाव से पुकारू चली आओ चली आओ माँ ।।

©SONALI SEN सती साध्वी भवप्रीता भावनी माँ ,
भवमोचनी आर्या दुर्गा आद्य जया,
                        तीन नेत्र वाली त्रिनेत्र शूलपारिणी,

Nisheeth pandey

कला और मैं ---------------- तुम कला हो मैं कलाकार हूँ .. तुम ख्वाब , मैं पटल पे उकेरने वाला चित्रकार हूँ .. तुम फिसलते सौंदर्य से , मैं ह #Art #Relationship #nojotoofficial #कविता #nojotohindi #nojotonews #निशीथ

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कला और मैं
----------------
तुम कला हो मैं कलाकार हूँ .. 
तुम ख्वाब  , मैं पटल पे उकेरने वाला चित्रकार हूँ ..
तुम फिसलते सौंदर्य से , 
मैं हृदय औ मस्तिष्क में प्रदीप्त हूँ.. 

अहम न करो कि तुम अलौकिक हो , 
मुझ बिन आश्रित खोखले निरालंब हो ..

जानता हूँ तुम वाचाल हो , मैं गंभीर एकांत हूँ  ..
देखती है तुम्हें जन मानस .. 
गुनती है मुझे , 
बार बार कर मेरी ही आवृत्ति ..

कल्पना का आकार हो तुम .. 
संरचना में उलझे हो तुम ..
जन्म दाता हूँ मैं .. 
रंगों और शब्दों से सुलझता हूँ मैं ....

मेरे लिये चित्र रचना खेल है , 
दर्शन की छाया सुशीतल , 
आह्लादक पुष्पित बसन्त है ..

तुम गुंजित हो , मैं गुंफित ..
तुम मुखर हो , मैं प्रखर ..
हाँ तूम ठहराव हो , 
मैं हूँ विचलित धारा ..

किंतु क्या तुम एक विचार हो.. 
और मैं स्वमं अनन्त विचारों  में भ्रमित हूँ ?

कला का सौंदर्य अर्थ में है
अर्थ का अस्तित्व शब्द में
चित्र का शून्य में लोप होना
अर्थ का शब्द में विलोप होना है ..

 सुनो न क्या संग संग साथ चलें हम ..
तुम ही मुझमें , मैं तुझमें पनपता हूँ 
तुम मेरी यकीनन प्यास हो .. 
मैं तुम्हारा असीम हूँ ..
तुम मेरे रंग का आत्मा हो ...
मैं तेरा रचैता ब्रह्म हूँ .. I

#निशीथ

©Nisheeth pandey कला और मैं
----------------
तुम कला हो मैं कलाकार हूँ .. 
तुम ख्वाब  , मैं पटल पे उकेरने वाला चित्रकार हूँ ..
तुम फिसलते सौंदर्य से , 
मैं ह

Shreya Tripathi

#sagun #रश्मों_रिवाज जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव के साथ एक बच्चे को जन्म देती #Society

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जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव  के साथ एक बच्चे को जन्म देती है ।
जिसमें रिवाजो के हिसाब से  घर के लोगों को उसके द्वारा कुछ दिया जाता है।
 असल मामले में लेने की हकदार तो स्वयं वो स्त्री होती है ,जो मुश्किलों से बच्चे को जन्म देती है।
 पूरे 9 महीनें के समय मे असहनीय दर्द,उल्टियां,गुस्सा,चिड़चिड़ापन,मूड स्विंग,दवाइयां और जाने क्या क्या समस्याएं वो सहती है।
 फिर एक बच्चे का जन्म होता है।
 बच्चे के जन्म समय कहते है 20 हड्डियां एक साथ टूटने इतना दर्द होता है।
मानव शरीर 45 डेल (यूनिट) तक दर्द सह सकता है जबकि बच्चे को जन्म देते वक्त मां को 57 डेल (यूनिट) तक का दर्द होता है. यह दर्द इतना अधिक है जैसे किसी व्यक्ति की 20 हड़्डियां एक साथ टूट रही हों”.
 मगर फिर भी उस बहु को ना कोई गिफ्ट मिलता है ना ही सम्मान हर घर की लगभग यही कहानी है...

रही बात बेटी और बेटे की तो दोनों के जन्म में शायद एक से दिक्कतों का सामना करना पड़ता है 
 दर्द एक सा ही होता है फिर भी भेद-भाव किया जाता है ...
समाज को चाहिए कि जिसने बच्चे को जन्म दिया दुनिया मे लाई उस माँ को उपहार स्वरूप कुछ भेट करे, क्योंकि वो आपके वंश को आगे बढ़ा रही है आपको सुखद अनुभव कराती है।
 एक पति को चाहिए कि अपनी पत्नी को स्वमं कोई उपहार दे क्योंकि उसनें उसके परिवार को पूरा किआ है उसका इतना हक तो बनता है परम्पराएँ तो सिर्फ एक रूढ़िवादी सोच है जो पीढ़ियों दर पीढ़ियों से सिर्फ एक दूसरे द्वारा निभाई (ढोई) जा रही वो भी बिना मन के या बिना सहमति के।
शायद यह बिचार गलत लगे मेरा मग़र यह बिचार केवल मेरे अकेले का नही है मुझ जैसी न जाने कितनी लड़कियों के दिमाग मे यही बात आती है मगर वो कहती नही

बाकी सहमति-असहमति वो लोगो के ऊपर निर्भर करता है समाज ना ऐसे खुश है ना वैसे🙏
Shreya Tripathi

©Shreya Tripathi #sagun 
#रश्मों_रिवाज 
जब एक बच्चें का जन्म होने वाला होता है तब एक स्त्री तमाम उलझनों, परेशानियों, उतार-चढ़ाव  के साथ एक बच्चे को जन्म देती

Naveen Chouhan

स्वयं से स्वयं तक

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मैं जबसे तेरे हिस्से का वक्त काटने लगा हु,
मैं खुद को खुद में बाटने लगा हु,
नवीन चौहान स्वयं से स्वयं तक
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