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Bulbul varshney
कांटा और फुल संग है बस फर्क इतना है कि एक दर्द देता है तो दूसरा ताजगी भरी खुशबू देता है। ©Bulbul varshney #flowers कांटे और फूल।
MR VIVEK KUMAR PANDEY
"हम कांटे और ठोकर चुप चाप खाते गए, और जब नाम प्रसिद्ध हुआ इस दुनिया में, तब तालियों की गूंज और वाहवाही खाते गए".। #हम कांटे और ठोकर #mrvivekkumarpandey
नितिन कुमार 'हरित'
दुनिया कांटों को पसंद नहीं करती. इसलिए नहीं, कि उनसे खुशबू नहीं आती, या वो सुंदर नहीं होते. बल्कि इसलिए कि वो खड़े रहते हैं तनकर, ताकि बचा सकें गुलाब... यही दस्तूर है, हर वो आदमी, जो अडिग हो, खड़ा है अपने कर्तव्य पथ पर, खटकता है दुनिया को, इन्हीं कांटों की तरह... ©Nitin Kumar Harit कांटे और आदमी | नितिन कुमार हरित #NitinKrHarit #Life
mahi yadav
Vaghela Jateen
હા હવે કંઈ નથી કરવી બાકી તૈયારી , હું તૈયાર છું છોડવા થોડા સપના , હું તૈયાર છું અપનાવવા થોડી કઠિનાઈઓ હું તૈયાર છું જાણું છું સઘળો નથી આ માર્ગ બતાતો મોકળો સ્વયંભૂ ઉભરાઈ છે કાંટા અને પથ્થરો એમાં તો પણ હું તૈયાર જ છું મુશ્કેલીઓ થી ભાગવાનું મૂકી દીધું છે મેં હવે લડવા એની સાથે તૈયાર છું ઉદ્વેગ થી આળસને પણ મારવા તૈયાર છું આ મનને મક્કમ બનાવી જીતવા તૈયાર છું સુપ્રભાત!! I try to translate from help of। Google as should possible Please read it which can not know Gujarati 🙏🏻🙏🏻 हाँ अल है कि मुझे बहु
Bhaskar Anand
नेहा उदय भान गुप्ता
उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्थ की थी वो पटरानी।। एक बार की बात है, जब सम्राट युधिष्ठिर हस्तिनापुर में खेलने लगे जब वो चौसर। मामा शकुनि की कपट चाल से, हार गए सब जो मिला था इनको अंतिम अवसर।। कपटी भ्राता दुर्योधन ने छल के द्वारा, दिया पांडवों को फ़िर बारह बरस का वनवास। एक वर्ष के अज्ञातवास में, लिए गए जो पहचान तो पुनः मिलेगी 12 बरस वनवास।। पतिव्रता थी वो सत्यवती अखण्ड सौभाग्य, अग्नि सा समता तेज़ था उसके मुख पे। निकल पड़ी वो भी अपना पत्नी धर्म निभाने, जहां रहते पति वहीं पत्नी रहती सुख में। राहों में आएं कितने भी कांटे और पत्थर, वो तो बस कान्हा का ही नाम जपती रही। कांटे भी लगे कृष्णे को पुष्प सम, पर अपने अपमान की क्रोधाग्नि में वो जलती रही। पांचाल राज की थी वो राजकुमारी, इंद्रप्रस्थ की बनी पटरानी, पर वन वन में भटके। पांच पांडवों की थी वो पत्नी, पांचों शुर वीर महारथी बलवान, पर ना उसके अश्रु रुके। बारह बरस का उन्होंने वनवास काटा, फ़िर अज्ञातवास को काटने की अाई अब बारी। उदय दुलारी नेह की आंखों से भी अश्रु छलक पड़े लिखते लिखते करुण कहानी सारी। अज्ञातवास की खातिर वो, लिए विराट राज्य की शरण, अपना भेष बदल - बदल कर। महारानी, पटरानी बन गई शैलेंद्री, दुःखी हुआ हर कोई वनवास की कथा सुनकर।। उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्थ की थी वो पटरानी।। एक बार की बात है, जब सम्राट युधिष्ठिर हस्तिनापुर में खेलने लगे जब वो चौसर। मामा शकुनि की कपट चाल से, हार गए सब जो मिला था इनको अंतिम अवसर।। कपटी भ्राता दुर्योधन ने छल के द्वारा, दिया पांडवों को फ़िर बारह बरस का वनवास। एक वर्ष के अज्ञातवास में, लिए गए जो पहचान तो पुनः मिलेगी 12 बरस वनवास।। पतिव्रता थी वो सत्यवती अखण्ड सौभाग्य, अग्नि सा समता तेज़ था उसके मुख पे। निकल पड़ी वो भी अपना पत्नी धर्म निभाने, जहां रहते पति वहीं पत्नी रहती सुख में। राहों में आएं कितने भी कांटे और पत्थर, वो तो बस कान्हा का ही नाम जपती रही। कांटे भी लगे कृष्णे को पुष्प सम, पर अपने अपमान की क्रोधाग्नि में वो जलती रही। पांचाल राज की थी वो राजकुमारी, इंद्रप्रस्थ की बनी पटरानी, पर वन वन में भटके। पांच पांडवों की थी वो पत्नी, पांचों शुर वीर महारथी बलवान, पर ना उसके अश्रु रुके। बारह बरस का उन्होंने वनवास काटा, फ़िर अज्ञातवास को काटने की अाई अब बारी। उदय दुलारी नेह की आंखों से भी अश्रु छलक पड़े लिखते लिखते करुण कहानी सारी। अज्ञातवास की खातिर वो, लिए विराट राज्य की शरण, अपना भेष बदल - बदल कर। महारानी, पटरानी बन गई शैलेंद्री, दुःखी हुआ हर कोई वनवास की कथा सुनकर।। उदय दुलारी नेह आज लिखेगी, द्रुपद की सुता द्रोपदी के वनवास की करुण कहानी। अग्नि कुंड से जो उत्पन्न हुई, पांडवों के संग ब्याही गई, इंद्रप्रस्
Arunima Thakur
मंजिल (मौत) का पता है फिर भी कोई जीवन का सफर हॅसकर तय नहीं करता (कृपया पढ़े) 🙏🌺🙏🌺🙏 जीवन एक अजीब सफर है जिसकी मंजिल तय हैं फिर भी कोई जीवन का सफर हँस कर तय नहीं करता । जीवन खूबसूरत है, यह माना पर मौत बदसूरत कैसे हो सकती है ?
CalmKrishna
............................... ©CalmKrishna फूल और कांटें। #फूल #कांटा #दुख #पीड़ा #जानना #philosophy