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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat अपराध क्या है अपराध विरोध है अपराध प्रेम है अपराध स्नेह है अपराध क्रिया है अपराध कृपा है अपराध निष्कर्म है अपराध निष्कर है अपराध निष्कर्ष है अपराध बहुमूल्य है अपराध प्रमाद है अपराध प्रद्ध है अपराध प्रवृति है अपराध प्रेरणा है अपराध प्रेरणा है अपराध प्रक्रिया है अपराध परिधान है समझो तो धूल है ना समझो तो भूल है #realityoflife #lifequotes #lifelessons #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat अपराध क्या है अपराध विरोध है अपराध प्रेम है अपरा
Ashok Verma "Hamdard"
मिट्टी की ही तो मटकी थी,छूने से ही मार दिया कैसे तुम बेशर्म शिक्षक हो,भारत ने जिसे धिक्कार दिया, एक प्यासे बच्चे को दानव,जल के लिए तड़पाया है झूठे अहंकार में तूने, मौत की नींद सुलाया है हो तुम कोई वर्ण संकर,हिंदू बनना छलावा है हिंदू तूं हो ही नही सकता,कहता तेरा कलावा है, दया धर्म के देश में,बहरूपिए के भेष में भारत मां के इज्जत को तुनें,कैसे तार तार किया हो तुम कोई वर्ण संकर जिसने ये अपराध किया एक नन्हे बच्चे को तूने,अहंकार में प्राण लिया, एक दलित(अंबेडकर)का कानून ही अब तुझे सबक सिखाएगा,अपनें भारत का कानून फांसी पर तुझे झुलाएगा ।। ©Ashok Verma "Hamdard" अपराध
Parasram Arora
अब कैसे जी पायेगा कैसे बच पायेगा उस मछली का वो नवजात वंशज़ जिसे एक सिरफिरी लहर ने उछाल कर फेंक दीया है तट की तपी हुई रेत पर जबकि उस नवज़ात कि नसीब नहीं हुआ था मातृत्व का सुख और वो लहर भी बच नहीं सकी क्योंकि वो भी तट से टकरा कर बिखर चुकी थी अब इस अपराध की यातना भुगतेगा कौन यही यक्ष प्रश्न है ©Parasram Arora अपराध
Parasram Arora
#FourLinePoetry दर्द अगर मचल जाये तो गीतों का वह अपराध नही है अश्रु अगर ढलक जाए तो पलकों का वो अपराध नही है सोम स्वयं ही छलक जाये तो अधरों का वो अपराध नही है सुरभि गुलशन मे बिखर जाये तो भ्र्मरों का वो अपराध नही है ©Parasram Arora अपराध......
HP
संसार में सबसे बड़ा भय मृत्यु को माना गया है। फाँसी का दण्ड इसीलिये सबसे बड़ा माना जाता है कि उससे डर कर लोग अपराध करने से हिचकें। अखंड ज्योति अपराध
Varun Savita (वर्ण)
अपराध हमारा बस इतना ही था जो स्वर उनका सुनने को बोल दिया। क्या पता था कि वो क्रोधित होंगे हम मित्र समझते थे उन्होंने बुरा बना दिया।। अपराध
Rajesh rajak
मै बहुत भावुक दिल हूं,अक्सर भावनाओं में बह जाता हूं, जो नहीं कहना चाहिए मुझे, भावनाओं में बहकर कह जाता हूं, लेकिन जब मुझे अपराध बोध होता है, तड़पता हूं दिल अनायास ही रोता है, पर में अपराध बोध से नहीं भागता हूं, दिल ना दुखे किसी का, मै उनसे हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं, अपराध बोध,
Tarun Rastogi kalamkar
भिन्न-भिन्न अपराध से, भरे पड़े अखबार। आंँख मूंद खामोश क्यों, बैठी है सरकार। ©Tarun Rastogi kalamkar #अपराध#अखबार