Nojoto: Largest Storytelling Platform

New मुद्रिका Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about मुद्रिका from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मुद्रिका.

    PopularLatestVideo

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड🙏 दोहा – 12 प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी) हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि #समाज

read more
🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
जनु असोक अंगार दीन्ह हरषि उठि कर गहेउ ॥12॥
उस समय हनुमान जी ने अपने मन मे विचार करके अपने हाथ में से मुद्रिका (अँगूठी) डाल दी-सो सीताजी को वह मुद्रिका उस समय कैसी दिख पड़ी की मानो अशोक के अंगार ने प्रगट हो कर हमको आनंद दिया है (मानो अशोक ने अंगारा दे दिया।)।सो सीताजी ने तुरंत उठकर वह अँगूठी अपने हाथमें ले ली ॥12॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता अंगूठी को देखती है
तब देखी मुद्रिका मनोहर।
राम नाम अंकित अति सुंदर॥
चकित चितव मुदरी पहिचानी।
हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥
फिर सीताजी ने उस मुद्रिकाको (अँगूठी को) देखा तो वह सुन्दर मुद्रिका रामचन्द्रजी के मनोहर नाम से अंकित हो रही थी,अर्थात उस पर श्री राम का नाम खुदा हुआ था॥उस अँगूठी को सीताजी चकित होकर देखने लगी।आखिर उस मुद्रिकाको पहचान कर हृदय में अत्यंत हर्ष और
विषादको प्राप्त हुई और बहुत अकुलाई॥

सीताजी अंगूठी कहाँ से आयी यह सोचती है
जीति को सकइ अजय रघुराई।
माया तें असि रचि नहिं जाई॥
सीता मन बिचार कर नाना।
मधुर बचन बोलेउ हनुमाना॥
यह क्या हुआ? यह रामचन्द्रजी की नामांकित मुद्रिका यहाँ कैसे आयी?
या तो उन्हें जितने से यह मुद्रिका यहाँ आ सकती है,किंतु उन अजेय रामचन्द्रजी को जीत सके ऐसा तो जगत मे कौन है?अर्थात उनको जीतने वाला जगत मे है ही नहीं।और जो कहे की यह राक्षसो ने माया से बनाई है सो यह भी नहीं हो सकता।क्योंकि माया से ऐसी बन नहीं सकती॥इस प्रकार सीताजी अपने मनमे अनेक प्रकार से विचार कर रही थी।इतने में ऊपर से हनुमानजी ने मधुर वचन कहे॥

हनुमानजी पेड़ पर से ही श्री राम की कथा सुनाते है
रामचंद्र गुन बरनैं लागा।
सुनतहिं सीता कर दुख भागा॥
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई।
आदिहु तें सब कथा सुनाई॥
हनुमानजी रामचन्द्रजी के गुनो का वर्णन करने लगे।उनको सुनते ही सीताजी का सब दुःख दूर हो गया॥और वह मन और कान लगा कर सुनने लगी।हनुमानजी ने भी आरंभ से लेकर अब तक की कथा सीताजी को सुनाई॥

माता सीता और हनुमानजी का संवाद
सीताजी हनुमान को सामने आने के लिए कहती है
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई।
कही सो प्रगट होति किन भाई॥
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ।
फिरि बैठीं मन बिसमय भयऊ॥

हनुमानजी के मुख से रामचन्द्रजी का चरितामृत सुनकर सीताजी ने कहा कि
जिसने मुझको यह कानों को अमृत सी मधुर लगनेवाली कथा सुनाई है,वह मेरे सामने आकर प्रकट क्यों नहीं होता?
सीताजी के ये वचन सुनकर हनुमानजी चलकर उनके समीप गए तो हनुमान जी का वानर रूप देख कर सीताजी के मनमे बड़ा विस्मय हुआ (आश्र्चर्य हुआ) की यह क्या!सो कपट समझ कर सीता जी मुख फेरकर बैठ गई
(हनुमानजी को पीठ देकर बैठ गयी)॥

हनुमानजी, माता सीता को अपने बारें में और अंगूठी के बारें में बताते है
राम दूत मैं मातु जानकी।
सत्य सपथ करुनानिधान की॥
यह मुद्रिका मातु मैं आनी।
दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी॥
तब हनुमानजी ने सीताजी से कहा की हे माता!मै रामचन्द्रजी का दूत हूँ।मै रामचन्द्रजी की शपथ खाकर कहता हूँ की इसमें फर्क नहीं है॥और रामचन्द्र जी ने आपके लिए जो निशानी दी थी,
वह यह मुद्रिका (अँगूठी) मैंने लाकर आपको दी है॥

सीताजी हनुमानजी से पूछती है की श्री राम उनसे कैसे मिले
नर बानरहि संग कहु कैसें।
कही कथा भइ संगति जैसें॥
सीताजी ने पूछा की हे हनुमान! नर और वानर का संग कहो कैसे हुआ?
तब हनुमान जी ने जैसे संग हुआ था,
वह सब कथा कही॥(तब उनके परस्परमे जैसे प्रीति हुई थी,वे सब समाचार हनुमानजी ने सीताजी से कहे)॥
आगे शनिवार को .... 

 
विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 502 से 513 नाम

502 भूरिदक्षिणः जिनकी बहुत सी दक्षिणाएँ रहती हैं
503 सोमपः जो समस्त यज्ञों में देवतारूप से सोमपान करते हैं
504 अमृतपः आत्मारूप अमृतरस का पान करने वाले
505 सोमः चन्द्रमा (सोम) रूप से औषधियों का पोषण करने वाले
506 पुरुजित् पुरु अर्थात बहुतों को जीतने वाले
507 पुरुसत्तमः विश्वरूप अर्थात पुरु और उत्कृष्ट अर्थात सत्तम हैं
508 विनयः दुष्ट प्रजा को विनय अर्थात दंड देने वाले हैं
509 जयः सब भूतों को जीतने वाले हैं
510 सत्यसन्धः जिनकी संधा अर्थात संकल्प सत्य हैं
511 दाशार्हः जो दशार्ह कुल में उत्पन्न हुए
512 सात्त्वतां पतिः सात्वतों (वैष्णवों) के स्वामी
513 जीवः क्षेत्रज्ञरूप से प्राण धारण करने वाले

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏
दोहा – 12
प्रभु श्री राम की मुद्रिका (अंगूठी)
हनुमानजी श्री राम की अंगूठी सीताजी के सामने डाल देते है
कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि

Shaarang Deepak

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (19 & 20) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic #भक्ति #hanumanjayanti #JaiShreeRam #Shorts #hanumanji #hanumanchalisa #hanumantemple #हनुमान_चालीसा #hanumanbhajan

read more
mute video

Suchita Pandey

अभिव्यक्ति 7 (उपन्यास सार कविता) 
             // रामायण - "सुन्दरकाण्ड" - सार //

हनुमंत लंका प्रस्थान किये, तब सुरसा ने लिया परीक्षा। 
तब योग्य, सामर्थ्यवान  पाकर  उनको आशीर्वाद दिया। 

मार्ग  में  हनुमानजी  ने  राक्षसी छाया  का  वध किया। 
किया  प्रहार  लंकिनी  पर  तब  लंका   प्रवेश  किया । 

हनुमान  अशोकवाटिका  जब  पहुँचे,  माता 
सीता  से भेंट किया। 
कर प्रणाम माता सीता को राम की मुद्रिका उन्हें दिया ।

कर  विध्वंश  अशोकवाटिका  का, रावण  पुत्र  
अक्षय कुमार  का  वध  किया । 


"कृपया पूरी कविता सार अनुशीर्षक में पढ़े" 🙏 #अभिव्यक्ति_7
#उपन्यास_सार _कविता 
#रामायण_सुन्दरकाण्ड_सार 
#pnpabhivyakti7 #pnphindi #pnp071020 #pnpabhivyakti

अभिव्यक्ति 7 (उपन्यास सार क

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 26 हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि। जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥ अ #समाज

read more
🙏सुन्दरकांड 🙏
दोहा – 26
हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है
पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥
अपनी पूंछ को बुझा कर, श्रम को मिटा कर (थकावट दूर करके),फिर से छोटा स्वरूप धारण कर के हनुमान जी हाथ जोड़ कर सीताजी के आगे आ खडे हुए ॥26॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

माता सीता का प्रभु राम के लिए संदेशा
सीताजी हनुमानजीको पहचान का चिन्ह देती है
मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा।
जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा॥
चूड़ामनि उतारि तब दयऊ।
हरष समेत पवनसुत लयऊ॥1॥
और बोले कि हे माता!जैसे रामचन्द्रजी ने मुझको पहचान के लिये मुद्रिका का निशान दिया था,वैसे ही आप भी मुझको कुछ चिन्ह (पहचान) दो॥तब सीताजी ने अपने सिर से उतार कर चूडामणि दिया।हनुमानजी ने बड़े आनंद के साथ वह ले लिया॥

सीताजी श्री राम के लिए संदेशा देती है
कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥2॥
सीताजी ने हनुमानजी से कहा कि हे पुत्र!मेरा प्रणाम कह कर प्रभु से ऐसे कहना कि हे प्रभु!यद्यपि आप सर्व प्रकारसे पूर्णकाम हो(आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है)॥हे नाथ! आप दीनदयाल हो,दीनो (दुःखियो) पर दया करना आपका विरद है,(और मै दीन हूँ)अतः उस विरद को याद करके,
मेरे इस महासंकट को दूर करो॥

माता सीता का श्रीराम को संदेशा
तात सक्रसुत कथा सुनाएहु।
बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु॥
मास दिवस महुँ नाथु न आवा।
तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा॥3॥
हे पुत्र । फिर इन्द्र के पुत्र जयंत की कथा सुना कर प्रभु कों बाणों का प्रताप समझाकर याद दिलाना और कहना कि हे नाथ जो आप एक महीने के अन्दर नहीं पधारोगे,तो फिर आप मुझको जीवित नहीं पाएँगे॥

सीताजी को हनुमानजी के जाने का दुःख
कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना।
तुम्हहू तात कहत अब जाना॥
तोहि देखि सीतलि भइ छाती।
पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती॥4॥
हे तात! कहना, अब मैं अपने प्राणोंको किस प्रकार रखूँ?क्योंकि तुम भी अब जाने को कह रहे हो॥तुमको देखकर मेरी छाती ठंढी हुई थीपरंतु अब तो फिर मेरे लिए वही दिन हैं और वही रातें हैं॥
आगे शनिवार को ...,

Affirmations:-
6.मैं खुला हुआ हूँ और बहुत कुछ पाने के लिए तैयार  हूँ...,
7.हमारे अंदर जो उत्तर हैं वो आसानी से मुझे पता चल जाते हैं ...,
8.मैं अतीत को आसानी से पीछे छोड़ देता हूँ और जीवन की प्रक्रिया पर विश्वास करता हूँ ...,
9.मैं अपना व्यक्ति होने के लिए स्वतंत्र हूँ ...,
10. मैं उसी प्रकार से संपूर्ण हूँ जैसा मैं हूँ...,

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड 🙏
दोहा – 26
हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है
पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥
अ
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile