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DURGESH AWASTHI OFFICIAL

सनातन_समाज_के_मौलिक_जातीय_तत्त्व।। १. सनातन समाज में वर्ण चार ही होते हैं, पाँचवाँ वर्ण नहीं होता। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य ये तीनों “द्व #ज़िन्दगी

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गुप्त नवरात्रि

©Surbhi Gau Seva Sanstan #सनातन_समाज_के_मौलिक_जातीय_तत्त्व।।
१. सनातन समाज में वर्ण चार ही होते हैं, पाँचवाँ वर्ण नहीं होता। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य ये तीनों “द्व

Sarita Shreyasi

पत्नी हूँ मैं,यूँ तो स्त्री की उपजाति हूँ, किन्तु जब स्त्री आलोचना की बारी आती है, तो मैं अपनी जाति की प्रतिनिधि बन जाती हूँ, घर बसाने, वंश #wife #yqbaba #yqdidi #commitment #assurance

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पत्नी हूँ मैं,यूँ तो स्त्री की उपजाति हूँ,
किन्तु जब स्त्री आलोचना की बारी आती है,
तो मैं अपनी जाति की प्रतिनिधि बन जाती हूँ,
घर बसाने, वंश बढ़ाने के लिए अपनायी जाती हूँ,
भिन्न-भिन्न मानकों और प्रतीकों से तौली जाती हूँ,
मेरी निष्ठा और समर्पण तभी सिद्ध होते हैं,जब मैं,
अपने माँ-बाप के लिए पूर्णतया परायी हो जाती हूँ,
इसलिए यदि तुम पर अपना अधिकार चाहती हूँ,
तो इसमें आलोचना और नाजायज़ माँग कैसी ?
मैं तुम्हारे लिए ही तो अपना सब पीछे छोड़ आती हूँ।
सिंदूर बिंदी शाखा-पोला,न मंगल-सूत्र ही मेरे नाम का,
चलता नहीं साथ तुम्हारे,कोई भी चिन्ह मेरे सुहाग का,
बच्चे की माँ हूँ, ये तो मेरी फैली काया से ही दिख जाता है,
बच्चे के बाप का नाम तो बस कागज ही में लिखा जाता है।
घर से बाहर,मुझ से दूर,तुम पूरी तरह कुँवारे ही हो,
मैं जहाँ तक चली जाऊँ,ब्याहता हूँ,और तुम्हारी ही हूँ।
इसलिए तुम्हारे प्रेम की अभिव्यक्ति हर बार चाहती हूँ,
वफादारी का आश्वासन तुमसे बार-बार मांगती हूँ। पत्नी हूँ मैं,यूँ तो स्त्री की उपजाति हूँ,
किन्तु जब स्त्री आलोचना की बारी आती है,
तो मैं अपनी जाति की प्रतिनिधि बन जाती हूँ,
घर बसाने, वंश

Govindkumar Banjare

जाति-पाति

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धर्म के नाम पर जाति-पाति पूछे सभी,
मै कहता हूं मानवता धर्म है हमारी।
तुम दूसरे को नीच कहते हो,
तो बुरी सोच है तुम्हारी। जाति-पाति

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#विचार ""*विचार*"" विचार कहाँ उपजाते हैं? कागज, कलम, दवात! विचार तो उपजाते हैं, कष्ट, गरीबी और अत्याचार! विचार तो उपजात #Thoughts

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""*विचार*""
विचार कहाँ उपजाते हैं?  कागज, कलम, दवात!
विचार तो उपजाते हैं, कष्ट, गरीबी और अत्याचार!
विचार तो उपजाते हैं, सागर, पर्वत, आकाश!

विचार कहाँ उपजाते हैं?  कागज, कलम, दवात!
विचार तो उपजाते हैं, घायल-टूटे-बिखरे जज्बात!
विचार तो उपजाते हैं, घुटन, अंतर्द्वंद्व और हृदय को पहुँचे आघात।

विचार कहाँ उपजाते हैं?  कागज, कलम, दवात!
विचार तो उपजाते हैं, प्रेम, करुणा और दया भाव।
विचार तो उपजाते हैं, प्रकृति का प्यारा संग-साथ।

विचार कहाँ उपजाते हैं?  कागज, कलम, दवात!
विचार तो उपजाते हैं, छूटे-छूटे से घर बार।
विचार तो उपजाते हैं, माटी की सोंधी-सोंधी याद।

विचार कहाँ उपजाते हैं? 
कागज, कलम, दवात!2

©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #विचार
""*विचार*""
विचार कहाँ उपजाते हैं?  कागज, कलम, दवात!
विचार तो उपजाते हैं, कष्ट, गरीबी और अत्याचार!
विचार तो उपजात

बीरेन्द्र कुमार

वीरेंद्र कुमार बाल्मीकि जिला उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति एंव जनजाति प्रकोष्ठ मिशन सुरक्षा परिषद जनपद औरैया #nojotophoto

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 वीरेंद्र कुमार बाल्मीकि जिला उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति एंव जनजाति
 प्रकोष्ठ मिशन सुरक्षा परिषद जनपद औरैया

Ram Kumar Baiga

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