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Sachin Sharma
हर रोज मांगा मैंने तुझे , खुदा से अपने लिए! बड़ी तमन्ना थी शिद्दत से पाने के लिए इश्क का परवान था मुझे तेरे जिस्म में अपनी रूह देखने के लिए, @sachinsharma सिद्धत
Pradyumn awsthi
जितनी सिद्धत से मैंने, तुम्हे चाहा है उतनी ही सिद्धत से पूरी कायनात ने मुझे तुमसे मिलाया है ©"pradyuman awasthi" #सिद्धत से
Pradyumn awsthi
प्यार चाहे किसी से भी करो ,करो तो पूरी सिद्धत से और दिल लगाकर । कभी भी किसी से स्वार्थवश या झूठा प्यार मत करो। ©Pradyumn awsthi #सिद्धत वाला love
sampankaj 64
अरे...मेरे कमरे की खिड़की खुली छोड़ी है मैंने, जरा भेजना उसे... सुना है मौत आज कल, बड़ी सिदत्त से मिलने आ रही है।। H£àRt HàÇk£R #WINDOWQUOTE बड़ी सिद्धत से मिलने....
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक