Nojoto: Largest Storytelling Platform

New भुजबळ Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about भुजबळ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भुजबळ.

Related Stories

    PopularLatestVideo
6385ad1805c1679d4925dc1f2cdb5474

शब्दांचेअवजार

*निमंत्रक पत्रिका*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व कवींचे स्वागत करत आहोत.कवींनी कुठे तरी चांगलं व्यासपीठ निर्माण व्हावं आणि कवींची लेखणी सतत उत्तम लेखन शैली बनावी हेच आमचं उद्दिष्ट.येत्या १४ जुलै २०१९ ला सकाळी ११ ते सायं ४ वाजेपर्यंत "शब्द कवींचे" कार्यक्रम बांद्रा मुंबई येथे *QTUBE कॅफे येथे घेत आहोत.तरी सर्व कवी आणि कविता प्रेमींनी या कार्यक्रमात नक्की सहभागी व्हा,आणि या कार्यक्रमात स्वतः कवी आणि प्रमुख अतिथी म्हणून अ‍ॅड.निलेश पावसकर साहेब उपस्थित राहणार आहे,तरी या कार्यक्रमात सर्वानी उस्थितीत राहून कार्यक्रमाची शोभा वाढवावी.*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाउंडेशन प्रस्तुत* 
            *"अस्तित्व "*
  *साथ तुमची प्रेरणा आमची-पर्व ३*   
            *"शब्द कवींचे"*
            
       *प्रमुख अतिथी*
  *अ‍ॅड.निलेश पावसकर* 

        *सहभागी कवी*
*१) सोमनाथ चौधरी*
*२)वैभव कर्डक  (मुंबई )*
*३)ज्ञानेश्वर ढाकरे (प्रेमऋतु )*
*४) प्रमोद भुजबळ (मुंबई )*
*५)निता अभयजी नहार (पालघर)* 
*६)गणेश अंबिके*
*७)मुक्ता भुजबळ (पुणे)*
*८)गणेश पाटील (पुणे )*
*९)सिद्धेश शिंदे (मुंबई )*
*१०)सिद्धेश सूर्यवंशी (मुंबई )*
*१२)गुणवंत पाटील (पनवेल)*


*अजून कोणाला या कार्यक्रमात सहभागी व्हायचं असेल तर 8104480885 या नंबरवर कॉल करून नाव नोंदवावं.*


#अस्तित्व #कविप्रेमी #कवितेचामी #कवितेचालाडका #वेडाफक्तकवितेसाठी *निमंत्रक पत्रिका*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व

*निमंत्रक पत्रिका* *अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व #कविप्रेमी #कवितेचामी #कवितेचालाडका #वेडाफक्तकवितेसाठी

5 Love

6385ad1805c1679d4925dc1f2cdb5474

शब्दांचेअवजार

*निमंत्रक पत्रिका*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व कवींचे स्वागत करत आहोत.कवींनी कुठे तरी चांगलं व्यासपीठ निर्माण व्हावं आणि कवींची लेखणी सतत उत्तम लेखन शैली बनावी हेच आमचं उद्दिष्ट.येत्या १४ जुलै २०१९ ला सकाळी ११ ते सायं ४ वाजेपर्यंत "शब्द कवींचे" कार्यक्रम बांद्रा मुंबई येथे *QTUBE कॅफे येथे घेत आहोत.तरी सर्व कवी आणि कविता प्रेमींनी या कार्यक्रमात नक्की सहभागी व्हा,आणि या कार्यक्रमात स्वतः कवी आणि प्रमुख अतिथी म्हणून अ‍ॅड.निलेश पावसकर साहेब उपस्थित राहणार आहे,तरी या कार्यक्रमात सर्वानी उस्थितीत राहून कार्यक्रमाची शोभा वाढवावी.*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाउंडेशन प्रस्तुत* 
            *"अस्तित्व "*
  *साथ तुमची प्रेरणा आमची-पर्व ३*   
            *"शब्द कवींचे"*
            
       *प्रमुख अतिथी*
  *अ‍ॅड.निलेश पावसकर* 

        *सहभागी कवी*
*१) सोमनाथ चौधरी*
*२)वैभव कर्डक  (मुंबई )*
*३)ज्ञानेश्वर ढाकरे (प्रेमऋतु )*
*४) प्रमोद भुजबळ (मुंबई )*
*५)निता अभयजी नहार (पालघर)* 
*६)गणेश अंबिके*
*७)मुक्ता भुजबळ (पुणे)*
*८)गणेश पाटील (पुणे )*
*९)सिद्धेश शिंदे (मुंबई )*
*१०)सिद्धेश सूर्यवंशी (मुंबई )*
*१२)गुणवंत पाटील (पनवेल)*


*अजून कोणाला या कार्यक्रमात सहभागी व्हायचं असेल तर 8104480885 या नंबरवर कॉल करून नाव नोंदवावं.*


#अस्तित्व #कविप्रेमी #कवितेचामी #कवितेचालाडका #वेडाफक्तकवितेसाठी *निमंत्रक पत्रिका*

*अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व

*निमंत्रक पत्रिका* *अभिनिर्मित आर्ट्स फाऊंडेशन प्रस्तुत "अस्तित्व"साथ तुमची प्रेरणा आमची पर्व तिसरे "शब्द कवींचे" या कार्यक्रमात आम्ही सर्व #कविप्रेमी #कवितेचामी #कवितेचालाडका #वेडाफक्तकवितेसाठी

4 Love

5630dbc1df37c2b9f7066a5fed46ddbf

sandy

 #कार्यकर्त्यांनी_पालख्या_चपला उचलणे बंद करावे..

‘कार्यकर्ता’ हा शब्द हल्ली फारच सवंग झालाय. ‘राजकीय कार्यकर्ता’ हा तर आता बदमाश, बदनाम यांन

#कार्यकर्त्यांनी_पालख्या_चपला उचलणे बंद करावे.. ‘कार्यकर्ता’ हा शब्द हल्ली फारच सवंग झालाय. ‘राजकीय कार्यकर्ता’ हा तर आता बदमाश, बदनाम यांन #story #nojotophoto

3 Love

2da3cd49fc51aa68336f2b5beb68f12f

Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी
घटते कद पर, चाँद भी सिमट जाता है
पूर्ण सौंदर्य पाकर छट भी जाता है
गुमान पालकर इतराते है लोग
स्वार्थो में अंधा हो जाता है
दर्द नही समझता परायो का
छल बल दिखाता है
 छटता है जब भुजबल 
तब पीड़ा से कराहता है
समय के चक्र में अच्छो अच्छो का
दम्भ टूट जाता है
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Moon 
छटता है जब भुजबल तब पीड़ा से कराहता है
#Moon

#Moon छटता है जब भुजबल तब पीड़ा से कराहता है #Moon #कविता

42 Love

3404bb96f25c09f45748def396ea2daf

Pankaj Neeraj

 दिन छोटा हो रात बढ़ा था
महिषासुर का उत्पात बढ़ा था
वो अपना भुजबल दिखलाने को
चल दिया स्वर्ग विजय पाने को
कई अस्त्र उस पर मार चुके थे
देव इंद्र

दिन छोटा हो रात बढ़ा था महिषासुर का उत्पात बढ़ा था वो अपना भुजबल दिखलाने को चल दिया स्वर्ग विजय पाने को कई अस्त्र उस पर मार चुके थे देव इंद्र

8 Love

d63c58e64bb77b2b062e4786b7d82868

मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"

●◆★संकल्पी★◆●
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
बाधाएँ कभी न आती हैं, जो जन संकल्पी होते हैं।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
👇
(Full in Caption) #संकल्प #sankalp #resolute #shatyagashi

  ●◆★संकल्पी★◆●
~~~~~~~~~~~~~~
बाधाएँ कभी न आती हैं,
जो जन संकल्पी होते हैं।
मंजिल रहती कोसो दूर सद

#संकल्प #SANKALP #resolute #shatyagashi ●◆★संकल्पी★◆● ~~~~~~~~~~~~~~ बाधाएँ कभी न आती हैं, जो जन संकल्पी होते हैं। मंजिल रहती कोसो दूर सद

1 Love

6505724020c62e767bd4494ba6717fe3

रजनीश "स्वच्छंद"

 कैसी कविता।।

ना कवि हूँ, ना कविता लिखता,
शब्द-भाव पिरोया करता हूँ।
ये देख देख दुनिया अपनी,
निजमन ही रोया करता हूँ।

भावों की विह्वल धारा,

कैसी कविता।। ना कवि हूँ, ना कविता लिखता, शब्द-भाव पिरोया करता हूँ। ये देख देख दुनिया अपनी, निजमन ही रोया करता हूँ। भावों की विह्वल धारा, #Life #Truth #सच #kavita #nojotophoto

3 Love

9d7dbe1a9f435745e934b3f63b13beae

Chandan Kumar

#आरक्षण_पर_कविता:- करता हूँ अनुरोध आज मैं, भारत की सरकार से," प्रतिभाओं को मत काटो, आरक्षण की तलवार से…" "वर्ना रेल पटरियों पर जो, फैला आज त

#आरक्षण_पर_कविता:- करता हूँ अनुरोध आज मैं, भारत की सरकार से," प्रतिभाओं को मत काटो, आरक्षण की तलवार से…" "वर्ना रेल पटरियों पर जो, फैला आज त

undefined Views

6505724020c62e767bd4494ba6717fe3

रजनीश "स्वच्छंद"

कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ।।

कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।
कद तेरा जग में बढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।

तेरा दूध लहू बन दौड़े रग में,यौवन भी तुझपे वार रहा।
है खेद जरा जयचंदों की,हिम्मत फिर भी न हार रहा।

तू जननी, तू माता मेरी,विश्वकर्मा रचनाकार तू ही।
तू ही भाल का चन्दन है,कुंडल कवच श्रृंगार तू ही।

तेरी आभा ही लिए चले हम,निशा-दिवस और चार पहर।
ये धरती तेरी, अम्बर तेरा,कस्बा नगर और गांव शहर।

जीवन तेरे नाम करा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।
कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।

ये भुजा तेरी, ये भुजबल तेरा,शत्रुबल क्षीण कर आया हूँ।
शत्रुदलन का भाव लिए मैं,रिपु को दीन कर आया हूँ।

तेरे शौर्य की मादकता में,बन गज रण में झूमा हूँ।
मुंडमाला लिए गले मे,हो रौद्र शत्रुदल में घूमा हूँ।

आंख न कोई उठने पाए,सजग तेरे संतान खड़े हैं।
सहिष्णु तो हम रहे सदा,कर में तीर-कमान पड़े हैं।

शोणित से लाल धरा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।
कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।

©रजनीश "स्वछंद" कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ।।

कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ,
मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।
कद तेरा जग में बढ़ा कर आया हूँ,
मैं वन्दे मातरम गाऊंगा।

कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ।। कदमों में शीश चढ़ा कर आया हूँ, मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। कद तेरा जग में बढ़ा कर आया हूँ, मैं वन्दे मातरम गाऊंगा। #falconfilms19

16 Love

6505724020c62e767bd4494ba6717fe3

रजनीश "स्वच्छंद"

अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।।

हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

अन्तर्द्वन्द्वओं ने महासमर में,
बन कर शत्रु ललकारा है।
बिन लड़े शस्त्र तज दूँ कैसे,
अन्तर्मन ने धिक्कारा है।
है कवच नहीं, कुंडल भी नहीं,
छद्म इंद्र कहो क्या मांगेगा।
सखा हेतु एक धर्म निभाने,
कर्ण ये फिर से जागेगा।
भगवन भी जो बन शत्रु आये,
अभय-दान नहीं मांग रहा।
परिभाषित होता मनुज कर्म से,
हर बाधा जो है लांघ रहा।
कभी मैं बढ़ता, कभी मैं रुकता,
रुक अन्तर्विवेचना करता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

बेर लिए कहाँ सबरी बैठी,
केवट ने कब नाव उतारा था।
अग्निपरीक्षा सीता थी देती,
आ कब किसने उबारा था।
मैं बाल्मीक मैं राम भी हूँ,
मेरी ही अग्नि परीक्षा रही।
लक्ष्मण रेखा भी मैंने लांघी,
अनन्त मेरी ही इक्षा रही।
निज को पढ़ना, निज को लिखना,
निज में ही संसार समाहित था।
भले बुरे में फर्क करूँ क्या,
धमनी रक्त वही तो प्रवाहित था।
कभी बैठ एकांतवास में,
घाव मैं अपने भरता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

भीष्म कहो बन जाऊं कैसे,
कैसे शर-शय्या पड़ा रहूँ।
रहूँ मूक द्रष्टा बन कैसे,
हो पाषाण मैं खड़ा रहूँ।
मैं दुर्योधन जंघा नहीं न द्रोण-ग्रीवा,
जो तोड़ा और उतारा जाउँ।
अब रहा अभिमन्यु भी नहीं,
फंस चक्रव्यूह जो मारा जाउँ।
भुजा मेरी भुजबल भी मेरा,
बन प्रचंड रण में उतरा।
हुंकार लिए, प्रलय लिए,
इस अखण्ड वन में उतरा।
विक्रम भी मैं, बेताल भी मैं,
प्रश्न स्वयं से करता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।।

हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं,
अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।
एक जीवन ही मिला मगर,
कई बार मैं जीता मरता हूँ।

अन्तर्द्वन्द

अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ।। हो जीत नहीं, हो प्रीत नहीं, अस्तित्व बचाता लड़ता हूँ। एक जीवन ही मिला मगर, कई बार मैं जीता मरता हूँ। अन्तर्द्वन्द #Poetry #kavita

6 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile