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Ravi Gupta
पहले अलग थे, अब एक दुशाले मे आ गये जितने दुश्मन थे सब एक पाले मे आ गये जो मेरे अपने थे मेरे साथ अँधेरे मे खड़े थे जो मतलबी लोग थे सब उजाले मे आ गये गिरे इस कदर कि बस गिरते ही चले गये मुझे गिराने के चक्कर में सब गंदे नाले में आ गये औकात कभी अपनी जो बताते थे शहंशाह बिके इस कदर कि दारू के एक प्याले में आ गये शरीफो की सराफत को था मिट्टी में मिलाना जो रहजन थे सभी गाँव के रखवाले मे आ गये ©Ravi Gupta आ गए
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
सोचकर देखो किस शहर में आ गए हो, हाथों में लेकर जहर को आ गए हो। खुशियों का दम यहां घुटने लगा है, न जाने किस डगर पर आ गए हो।। आ गए हो........!
tasleem ansari meaning psychology expert
आग लगी है बस्ती में दिल को जलाने आ गये प्यार करते हो और किसी से हमको वुलाने आ गये real fact writer tasleem हमको बुलाने आ गए
navi shayar
उनकी बेवफाई का गम हमे इस कदर खा गया... शराब से दूर रहने वाला मैं, आज मैंखाने में आ गया।। जिन हाथों में कभी तेरे हाथ थे..... उन हाथों में आज मेरे जाम थे .....।। जो होठ कभी तेरे होठों को चूमा करते थे..... वो होट आज चुप और हैरान थे.....।। ना जाने क्यों और ये क्या हो रहा था..... पर हाँ हर एक पैग में तेरा गम कम हो रहा था ।। तेरा गम कम हो रहा था ।। आँखो मे आँसू ,दिल मे दर्द ,गिलास मे जाम था.... मेरी शराफत कहीं खौ गई ,अब मैं सरेआम बदनाम था..।। जो लोग कभी मुझे मेरे नाम से बुलाते थे... वो लोग आज बदनाम बुलाते हैं ..।। जो लोग कभी मुझे अपना कहते थे... वही आज मुंह फेर कर चले जाते हैं...।। वही आज मुंह फेर कर चले जाते हैं...।। जा भुला देंगे तुझे अब तुझे याद नहीं करेंगे जब भी आएगी याद, तेरे दिए जख्मों की हम मैखाने में आकर यही करेंगे...।। मैं ये नहीं कहता मुझे अब बस, इस शराब का सहारा है पर हां तेरे बाद अब ये दूजा इश्क हमारा है...।। जितनी मोहब्बत की थी मैंने तुझसे अब हम इससे करेंगे जा जिना तू गैरों की बस्ती में , गैरों का हाथ थाम कर... हमारा क्या है .....हम तो बेमौत मरेंगे..।।..बेमौत मरेंगे..।। मैखाने में आ गए.।।
THe Aniita (मेरे अल्फाज़ )
अकेले थे जिंदगी में कोई शक्स साथ न था जब मिले तुमसे तो अकेलेपन का एहसास ना था, साथ चलते चलते फिर तुम्हारे बहुत दूर निकल गए जहां रहा ना कोई अपना तुम ही मेरी जिंदगी बन गए फिर ना जाने क्यों चलती राह तुम साथ छोड़ गए जिस मंजिल की तलाश थी वो अधूरी रह गई करने वाले वादों और प्यार की बाते छोड़ हमें किसी ओर के हमराही हो गए अभी तो संभले भी नहीं थे हम जाने पर तेरे फिर से लपेटकर खंजर को प्यार के दामन से वो लौट कर हमें जख्मी करने आ गए। ©THe Aniita (मेरे अल्फ़ाज...) फिर आ गए..... #Book