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Shashikant Kendre
आधुरया प्रेमाचा प्रेम_भंग म्हणजे जिवंत पनी स्मशानाची राख उधाळींत जगणे होय...... शशी... #प्रेम भंग #आधूरा #इश्क
vinay khedkar
जगाच्या या अफाट गर्दीमध्ये आजही शोधतात नयन माझे तुला सर्वामध्ये #मराठी कविता #प्रेम #भंग #आधार
yogesh atmaram ambawale
आठवणी कधी तिच्या,तर कधी तिच्या, काही प्रेम भंगाात भंगलेल्या तर काही प्रेम रंगात रंगलेल्या. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे आठवणी... #आठवणी१ चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai #YourQuoteAndMine
Vikas Dhaundiyal
मन के भीतर गालियाँ तंग है आँखें खुद के हालात पे दंग है जाने कैसी ये तरंग है चढ़ती जा रही जैसे भंग है भंग
Afzal Mushtaq
Kaksha Gyarvi Ka Koi Chatpata Kissa Batao छूटी थी जब कैमिसर्टी की कोचिंग। दिखाने लगा था उसे साईकिल का स्टंट। उठा जो अगला पहिया तो गया था एक्सीडेंट । हो गया था किया कराया सब भंग। ©Afzal Mushtaq भंग
अश्लेष माडे (प्रीत कवी )
बरेचदा आपण कुणाकडूनही अपेक्षा करत असतो. आई-बाबा मुलांकडून, प्रियकर -प्रेयसी एकमेकांकडून, मित्र-मित्राकडून, बहीण -भाऊ एकमेकांकडून आणखी असं बऱ्याच लोकांकडून आपण अपेक्षा करत असतो. पण बहुतेकदा आपलं अपेक्षा भंग होतो कारण, आपण एकदुसऱ्यावर अवलंबून राहतो पण खरं आहे. ह्या जगात कुणीच कुणाचं नाही. आपली सावली आणि आपलं आतापर्यंत जपलेलं शरीर सुद्धा शेवटपर्यंत आपल्या सोबत राहत नाही. तर ह्या स्वार्थी जगात परका माणूस तरी कुठं आपलं होणार. सगळेच फक्त काही काळच असतात आपल्या सोबत. नेहमी नाही. म्हणून अपेक्षा करायची तर स्वतःकडून करा. इतरांकडून नाही. (प्रीत ) अपेक्षा भंग
जगदीश निराला
सर्द रातें और चाय कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक मेला लगता है रामगढ़ में.यही वो ऐतिहासिक भन्डदेवरा मंदिर यानी शिल्प कला काअकूत ख़जाना लिए पौराणिक शिवमंदिर है.जोघने जंगल के मध्य स्थिति है. जिसे देखने काफी संख्या में देशी विदेशी पर्यटकों का जमावड़ा लगा ही रहता है। हम भी रामगढ़ की दृश्यावली को देख अभीभूत थे.भन्डदेवरा को देख इसीलिए तो महान इतिहासकार ने लिखा कि जैसे विश्व की सारी कलाकृति यहीं सिमट कर रह गई हो।कई देशी विदेशी जोड़े मंदिर के विभिन्न एगंलो से फोटोशूट कर रहै थे। पुरातत्व अवशेष बता रहे थे कि ये नवी शताब्दी का तांत्रिक क्रियाओं का साधना केन्द्र रहा था.जिसे मलयवर्मा नामक राजा ने जिर्णोद्धार करवाया था. जिसके बाद वर्त्तमान सरकार ने कुछ राशी बिखरी संम्पदा को यथा स्थान स्थापित करने की घौषणा तो की पर कार्य अभीतक भी न हो पाया। साहित्यकार कवि कलाकार भी एकत्रित थे इस मीटिंग में. रात घिर सी आई थी. लकडिय़ों इक्कठी कर अलाव जलाया गया था. भोजनकर सभी केम्पफायर में शामिल थे. कंजर बालाओं का अद्भूत चकरी नृत्य मनलुभावन था.तो विदेशी एक जोड़े ने हार्मोनियम तबले पर हनुमान चालीसा गाकर मंत्रमुंग्ध कर दिया. अब महेन्द्र कौशिक ने भजन मीरा हो गई मगन सुनाया तो विपिन बीच संगीत में खो गए हम.पश्चात मांगीलाल राणावत ने भी चदरिया झीणी रे झीणी के सुरों में पूरर्णिमां की चांदनी मैं चांदी घोल दी वही मांगरोल की मशहूर मांड़ गायिका विमला सारस्वत ने निराला नखराल़ा म्हारा केसरिया भरतार .छेड़ा .गीतकार निराला ने जवाब में सुर छैड़े .रुप की रूपाल़ी म्हारी केसर की कल़ी .सासरिये ले चाला आओ चालो तो सणीं ।संगीत सातवें आसमान पर जादू बिखेर रहा था.सभी को चाय की तलब लगी थी। गौशाला में चाय बनाई जा रही थी।एकाएक हल्ला मचा शेर आ गया शेर सभी सहम से गये.हडबडाहट में चाय का भगौना औंधा हो किसी दिवाली की बची आतिशबाजी चला दी.शेर दहाड़ा दौड़ता केम्पफायर की और लपका सभी लोगों कलाकारों ने जलती लकडिया उठा ली थी.तरक़ीब कामयाब रही शेर दहाड़ते हुए जंगल में दाखिल हो गया कार्यक्रम समापन की घौषणा की गई. हम सभी चाय की तलब लिए गाडियों मेंं बैठ वापस मांगरोल आ गए।घटना जब भी याद आती कलेजा मुंह को आ जाता है। जगदीश निराला मांगरोल रंग में भंग