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Archana pandey
छोड़ बेशकीमती मौके 'कवि संगोष्ठियों' के ख़ुद से ख़ुद के अरमान छीन रहे हैं.... एक सरकारी के चक्कर में पड़े फाइलों की तरकारी बीन रहे हैं☹️ अर्चना'अनुपमक्रान्ति' ©Archana pandey सरकारी तरकारी #WinterEve
Dwivediji😊😊😁❤✌----
रख्खूं उनकी यादें जिसमें कोई ऐसी अलमारी हो, रस्ता ताकूं एक ओर एक ओर शब ए खुमारी हो। ध्यान रहे अनुमान रहे जो बोला है भान रहे , नाहीं भर दें पहले फिर खुद से आना कांनी हो। गमों का छौंका लगे ज़रा खुशीयों के धीमी आंच तले, फीका न लगे कुछ स्वाद रहे ऐसी बनी तरकारी हो। हो कुर्बत में तो कर लो कुछ बातें बैठे बाबू से, हो न कहीं ऐसा ये दफ्तर ए दिल सरकारी हो। #TRIED😊❤🙏 शब ए खुमारी=night of aalaspan तरकारी= सबजी
गजेन्द्र सिंह गज्जी
साहस
नेनुआ बा बनत एकर मस्त तरकारी बा रोटी संघे नीक लगली पराठा संघे सट्ट से उतरली #बबुआचैलेंज। आपन ठेठ भाषा में रउआ लोग ई तरकारी के का काहेलिन, रउआ लोग के गाँवे,जवार में येकरा का नाम बाटे। आज कय #collab बाटे #babuaaचैलें
gudiya
रंग लापता हैं अभी ज़िन्दगी से तर- ब- तर ज़िस्म है अभी बेरोज़गारी से खेत नहीं हैं, नहीं हैं जमीनें हैं हम लाचार भ्रस्टाचारी से शिक्षा हो रही है दुर अब स्कूल सरकारी से शिक्षक भटक रहे रोड पर बिना शिक्षक ही अब तो टॉपर निकल रहे जैसे खेत से कोई सीजन की तरकारी -से ©gudiya रंग लापता हैं अभी ज़िन्दगी से तर- ब- तर ज़िस्म है अभी बेरोज़गारी से खेत नहीं हैं, नहीं हैं जमीनें हैं हम लाचार भ्रस्टाचारी से शिक्षा हो रही
AK__Alfaaz..
क्या थीं वो, आग थीं, पानी थीं, आसमान थीं, खूँटियों पर टँगी, तस्वीरों की मुस्कान थीं, मिट्टी थीं, बिछौना थीं, संसार थीं, दरीचे से झाँकती, धूप का एहसास थीं, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_में #क्या_थीं_वो..? क्या थीं वो, आग थीं, पानी थीं, आसमान थीं,
अंदाज़ ए बयाँ...
गली गली में घुमती मनचलों की फ़ौज है, कोरोना के बहाने इनकी मौज ही मौज है। कोई ढूँढे दारू, कोई तंबाखू तलाश करे, जान रखे हैं ताक पर, बड़े सरफ़रोश हैं। कल के धरती पर भारी, आज बने हैं व्यापारी, कोई बेचे क्वाटर-अद्दा, कोई बेचे तरकारी, नुक्कड़ नुक्कड़ मजमा चलता, छुट्टी है ये सरकारी, कोई भी ना इनसे उलझे, ग़ुस्सा इनका दोधारी, वर्दी वाले कछुए बन गए, ये बने ख़रगोश हैं। कोरोना के बहाने इनकी मौज ही मौज है। रविकुमार गली गली में घुमती मनचलों की फ़ौज है, कोरोना के बहाने इनकी मौज ही मौज है। कोई ढूँढे दारू, कोई तंबाखू तलाश करे, जान रखे हैं ताक पर, बड़े सरफ़रोश