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ashish gupta
लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ऊची नीची खाई पर्वत फिर आती है बंगाल की खाड़ी डर के भाग न जाना खतरो के तुम हो अच्छे खिलाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ईमान के चुभते काटो की जला दो तुम झाड़ी साधु संत फकीर संग आशीष ये लिख देता माड़ी ©ashish gupta #Time लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की
Richa Mishra
|| उत्तर प्रदेश की गाथा || राम लला की जननी ये हैं कृष्ण कला की धर्मशिला ! नेहरू जी की कर्मभूमि हैं बच्चन जी की अभिनय कला !! हिन्दी भाषा की जन्मभूमि हैं अपभ्रंश , अवहट्ट का आरंभ यहां ! वैदिक संस्कृति की लौकिक गाथा ये आर्य का आरंभ यहां !! चम्पू शैली का प्रकरण हैं मिलता संस्मरण , जीवन साहित्य का साक्ष्य यहां ! हैं विस्तृत प्रदेश यह लगभग 2,50,000 वर्ग किमी में !! || • पढ़े अनुशीर्षक में • || बहती नदियां यहां हैं मिलती गंगा , यमुना , सरस्वती का संगम ! होती हैं उद्भव का प्रारंभ हिमखंडो खाड़ी से ! केन , बेतवा , घाघरा और रामगंगा का
Richa Mishra
|| उत्तर प्रदेश की गाथा || राम लला की जननी ये हैं कृष्ण कला की धर्मशिला ! नेहरू जी की कर्मभूमि हैं बच्चन जी की अभिनय कला !! हिन्दी भाषा की जन्मभूमि हैं अपभ्रंश , अवहट्ट का आरंभ यहां ! वैदिक संस्कृति की लौकिक गाथा ये आर्य का आरंभ यहां !! चम्पू शैली का प्रकरण हैं मिलता संस्मरण , जीवन साहित्य का साक्ष्य यहां ! हैं विस्तृत प्रदेश यह लगभग 2,50,000 वर्ग किमी में !! || • पढ़े अनुशीर्षक में • || बहती नदियां यहां हैं मिलती गंगा , यमुना , सरस्वती का संगम ! होती हैं उद्भव का प्रारंभ हिमखंडो खाड़ी से ! केन , बेतवा , घाघरा और रामगंगा का
Dr Upama Singh
“गोमुख से बंगाल की खाड़ी तक की मेरी यात्रा” अनुशीर्षक में गंगा किनारा बचपन से ही देखा रहा मेरा गुरुकुल सुबह–ए–बनारस कितने दिन और शाम हमने गुजारे बैठ सब दोस्त गंगा किनारे कभी दशाश्वमेध कभी अस्सी कभी
Amii
हाँ मैंने उसको पहले ही बताया था कि मैं एक उम्र हार हारा हुआ इंसान हूँ, ख़ुद से, अपनों के रिश्तों से शायद मैं बेपरवाह सा हूँ चीजों और रिस्तों को लेकर, लेकिन हाँ मुझे उसकी प्रवाह करना या फ़िर उसकी बात करना पसंद था मुझे "उसे भी पता था कि मैं पहले से टूटा हुआ वो आईना हूँ जिसे लोग कभी पसंद नहीं करते" लेकिन उसे मेरा सहरा बनना पसंद आया उसने मुझसे कहा तुम जैसे भी मुझे तुम्हारा साथ कुबूल है ख़ैर हम दोनों के बीच कोई शर्त भी नहीं हुई थी! उसे पता था कि मैं अब और नहीं चल सकता था उसने हाथ आगे बढ़ाया और फिर मैं भी चल दिय बेपरवाह और थोड़ा सा बेफिक्र होकर " हाँ उसके साथ फ़िर से एक नई जिंदगी शुरू की मैंने" अभीं हम दोनों कुछ दूर ही साथ चले थे कि हर रिश्तों की तरह मेरे रिश्ते में भी उतार-चढ़ाव आने शुरू हो गये फ़िर कुछ यूँ हुआ रात बातों मे कटने लगी "यादो ने भी अपनी जगह लेना शुरू कर दिया" उसके साथ दिन घन्टे और घन्टे पल मे बीत से जाने लगे थे कभीं ना मे तो कभीं हाँ में जिंदगी गुजरने लगी थी " धीरे-धीरे वो और समझदार होंने लगी प्यार नदान और दिल बच्चा हो गया" यूँ ही दिन खुशियो में गुज़र रहे थे "फ़िर इन खुशियो को लगी किसी की नज़र लग गई ताउम्र साथ (पास नहीं) रहने वाले हाथ की भी पकड़ ढ़ीली हो गई" और जिंदगी फ़िर से आकर उसी मोड़ पर खाड़ी हो गईं जहां से मैंने छोड़ी थी श्याद उसे याद नहीं रहा कि " लोग साथ इस लिए नहीं रहते की वो गलतियाँ भुला देते हैं लोग साथ इस लिए रहते हैं क्यों कि वो एक दूसरे को माफ़ कर देते हैं" ख़ैर करता हूँ मैं इस छोटी सी कहानी का अंत और लेता हू अखिरी अलविदा तुझसे...?? ~#siD हाँ मैंने उसको पहले ही बताया था कि मैं एक उम्र हार हारा हुआ इंसान हूँ, ख़ुद से, अपनों के रिश्तों से शायद मैं बेपरवाह सा हूँ चीजों और रि
Satish Chandra
#YourQuoteTimesNews #HoliNews🎯 और अब खबरें विस्तार से :- 1) आज दोपहर कुछ गुप्त सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इंस्पेक्टर जोरा