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Aditya Neerav
दर्द जिंदगी का कोई दस्तूर नहीं होता व्यस्त रहने से गम काफ़ूर नहीं होता चंद लम्हें के लिए भूल जो जाते है इसमें खुद का कोई कसूर नहीं होता ©Aditya Neerav #काफूर
Rajpal Moond
ज़रा सा दूर हुआ उससे तो काफूर हो गया मैं... कि दर्द अब मुझे दर्द सा नहीं लगता... #काफूर #rajpalmoond
Neophyte
वो शख्स जिसके संग हमे जीना था ज़िन्दगी वो जाते वक्त हमे जीने के तरीके बता रहा था बेअदबी और बेपरवाही पर मेरे जो फिदा था वो अदब से जीने के सलीके बता रहा था कभी वो मुझे महकता काफूर कहता था आज मुझमें कितनी है कलिखे बता रहा था मुझे उसके हर सितम से भी इश्क़ है वो मेरे गुनाह की तारीखे बता रहा था काफूर!
Nidhi Pant
एक बार मिले थे कहीं, हर रोज़ नए वादों के साथ चलते रहे, फिर ज़माना, इच्छाएं, सपनों जैसी आंधियां चलीं और सब.........…काफ़ूर। #काफूर
Shrutiman Shukla Prabal
■ वर्तमान हालातों पर पेश है मेरी यह रचना (गजल)■ देख लो हर आदमी अब किस कदर मजबूर है। जिसको जितना चाहते हैं उससे उतना दूर हैं। अब जुदाई गम नहीं राहत समझते है सभी। आज इन तन्हाइयों में जिंदगी भरपूर है। वक्त है रुकता कहां है, बीत जाएगी वबा। मिल भी जाएगी जो मंजिल आज इतनी दूर है। हर पहेली से 'प्रबल' हरदम रही इंसानियत। जीत तय है इसलिए हिम्मत नहीं काफूर है। ■ श्रुतिमान शुक्ल "प्रबल' बाराबंकी, उप्र। मोबाइल- 8299431888 ©Shrutiman Shukla Prabal #... हिम्मत नहीं काफूर है।
Sanu Chauhan Spn
गम को Delete करो खुशी को Save करो दोस्ती को Download करो प्यार को Incoming करो नफरत को OutGoing करो हंसी को Hold करो और अपनी मुस्कान को Send करो ❤️❤️ सानू सिंह चौहान❤️❤️ WhatsApp - 9454500732 गम को Delete करो खुशी को save करो दोस्ती को Download करो.......
Ajay Daanav
हृदय से उपजे विचार हो तुम शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम करती हुई झंकृत मन-वीणा सातों सुरों की झनकार हो तुम हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी कविता का मेरी सार हो तुम हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
Akash Chaudhary
प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते जो कभी वृक्ष के वक्ष से कलाएं करते थे, कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर गुजरी, मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया उनके पैरों के निशान, क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको परिभाषित करो, क्या नहीं बताना चाहते मुझे अपने प्रेम के विषय में, तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं, तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद आयी होगी, चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं जब चाहना तब दास्तां सुनाना......, तुम्हारा मौन समझता हूं मैं, तुम बता रहे हो शायद मुझे प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता वो होता है बस ,बस होता है।। ©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
Gurpreet Singh प्रीत कि कलम
तैहरती थी मेरी कश्ती समुद्र के उस मुकाम पर जहा मंजिल मिलने वाली थी मेरी मेहनत के दाम पर दुश्मन ने पलटी है कश्ती समुद्र कि लहरो के मुकाम पर ऐ दुश्मन आने वाला हु मै लहरो के साथ मे तुझे और तेरी बस्ती ले जाऊगा साथ मे,, ©Gurpreet Singh प्रीत कि कलम किसी को नाकाम मत करो खुद को कामयाब करो,,
Shashank मणि Yadava "सनम"
भले बड़े बन जाओ यारों, लेकिन माँ को याद रखो।। मंदिर जाने से बेहतर है, माँ को अपने पास रखो।। माँ के प्यार, दुआ से बढ़कर, न कोई भगवान है।। जिसने माँ को मान दिया, वो सबसे सुखी इंसान है।। प्रभु पूजा की ख्वाहिश यारों, जब भी मन में लाता हूँ।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर मस्जिद न जाता हूँ।। अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank मणि Yadava "सनम" #Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ