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Anuj Kumar

विश्रांति(गीतांजलि) translate in Hindi-Anuj.. voice of Anuj..

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pareek boy

अत्यंत दु:खद समाचार! पूज्य माताजी के श्रीचरणों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि। परमपिता से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों म #समाज

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ईश्वर मोदीजी, उनके परिवार व देश को दु:ख की इस घड़ी में शक्ति प्रदान करें ॐ शान्ति

©pareek official अत्यंत दु:खद समाचार! 

पूज्य माताजी के श्रीचरणों में भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

परमपिता से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों म

Sachin Pratap Singh

#LataMangeshkar “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला क #विचार

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“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 😢🙏

©Sachin Pratap Singh #LataMangeshkar 

“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला क

Luv Sharma

“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति #विचार #LataMangeshkar

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“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 🙏
शतः शतः नमन 🌹

©Luv Sharma “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति

Sunita D Prasad

#ठहरने से अधिक.. प्रेम ठहरने से अधिक सँवरने-सँवारने से बचा। . . #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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प्रेम
ठहरने से अधिक
सँवरने-सँवारने से
बचा।
.
.
दिवस की विश्रांति में
मरु से फिसलती हवाएँ
उसकी दिनभर की 
विश्रृंखलता को
क्रम से सँवारकर,
अपनी छुअन से
लिख देती हैं,
उसकी देह पर
अनेक अपढ़ पातियाँ!
यों ठहरने से अधिक
सँवारने से 
सहेज लिया हवाओं ने
धोरों के प्रति अपना प्रेम।
.
.
कहो!
पहाड़ों के प्रेम में यदि
ठहर गई होती नदी 
उसके ही उर पर कहीं
तो कैसे बसते 
असंख्य जंगल 
कहाँ गाती 
फिर कोयल
कहाँ सजते 
प्रणय गीत
और कैसे 
रचे गए होते
संख्यातीत प्रेम-सर्ग ?
.
.
प्रेम की सार्थकता
ठहरने से अधिक
उन्नत होने/करने से 
स्थापित है।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #ठहरने से अधिक..

प्रेम
ठहरने से अधिक
सँवरने-सँवारने से
बचा।
.
.

Gayatri Rathore

लेखक की कलम लिखती भाव अनेक, कभी किसी के बहते आँसू, कभी निकालती मीन मेख, कभी व्यंग के चटखारे, कभी सटीक कटाक्ष तीक्ष्ण, लेखक की कलम, लिखती भा #Thoughts #profoundwriters #long_live_pw #pwkalamkaar #pwardor #pwians #pw20200875 #kalamkaarmypen

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लेखक की कलम 
लिखती भाव अनेक,
कभी किसी के बहते आँसू,
कभी निकालती मीन मेख,
कभी व्यंग के चटखारे,
कभी सटीक कटाक्ष तीक्ष्ण,
लेखक की कलम, 
लिखती भाव अनेक ।

कभी देती संदेश क्रांति का,
कभी बयान किसी की विश्रांति का,
कभी पैगाम प्यार का,
कभी हथियार किसी पर वार का,
शब्दों की शक्ति, मार्ग अभिव्यक्ति का,
लेखक की कलम, लिखती भाव अनेक ।

कई लोग खुद को जोड़ लेते हैं, 
किसी एक की रचना से, 
लेखक की कलम संजोए रंग प्रत्येक, 
जीवन के हर पहलू को सजाती, 
कल्पना का संसार बसाती, 
मन की गहराईयों की थाह पा सकती, 
सृष्टि के हर कण को छू सकती, 
लेखक की कलम, लिखती भाव अनेक ।
गायत्री राठौर

©Gayatri Rathore लेखक की कलम 
लिखती भाव अनेक,
कभी किसी के बहते आँसू,
कभी निकालती मीन मेख,
कभी व्यंग के चटखारे,
कभी सटीक कटाक्ष तीक्ष्ण,
लेखक की कलम, लिखती भा

Sunita D Prasad

तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक मुझे आकर्षित करता है उनका यदाकदा अचंभित होना। हम उतना ही दिखे जितना हम कर पाए स्वयं को व्यक्त #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक 
मुझे आकर्षित करता है 
उनका यदाकदा 
अचंभित होना।

हम उतना ही दिखे
जितना हम कर पाए
स्वयं को व्यक्त 
अव्यक्त भीतर ही कहीं
अंध गुफा बनता गया।

व्यक्त करना 
एक ऐसी कला रही
जिसे  तुम्हारे संवादों से अधिक
मौन ने बखूबी निभाया
स्वर से अधिक 
तुम्हारे मुख की विश्रांति ने
मेरी शिराओं में कंपन उत्पन्न किया।

देखो, वहाँ दूर 
उतरती शाम की टूटती घाम 
बिखरने से अधिक
 सिमट रही है
और यहाँ मैं
तुम्हारे  चुंबन के मध्य
अधरों के ताप से
बरसाती नदी में
किसी  हरे वृक्षों की भाँति
टूटकर, बह निकली हूँ

मेरी देह पर उभरे स्वेद कण
उसी बरसाती नदी की विरासत हैं।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐



 तुम्हारी आँखों के एकाकीपन से अधिक 
मुझे आकर्षित करता है 
उनका यदाकदा 
अचंभित होना।

हम उतना ही दिखे
जितना हम कर पाए
स्वयं को व्यक्त
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