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Deepak Mishra 'Kitab Wala'

हुक्मरानों का दावा है सबसे ईमानदार कौन,
सब धरने पर तो जनता का जवाबदार कौन।

©Deepak Mishra "Kitab Wala" लोकतंत्र की विशेषता।
#politics #democracy #kitabwala #jharokha

लोकतंत्र की विशेषता। #Politics #democracy #kitabwala #jharokha #विचार

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deshraj ranawat

कल्पामृत की विशेषताएं

#PacifyingWords

कल्पामृत की विशेषताएं #PacifyingWords

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Uttam Bajpai

#Comedy गर्लफ्रेंड की विशेषताएं।

Comedy गर्लफ्रेंड की विशेषताएं। #कॉमेडी

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सुधीर

 लोकतंत्र की स्याही

लोकतंत्र की स्याही

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Sunil Singh

# भगवान जगन्नाथ पुरी की विशेषताएं

# भगवान जगन्नाथ पुरी की विशेषताएं #समाज

48 Views

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Shekhar Chandra Mitra

लोकतंत्र की चिता है यह!

लोकतंत्र की चिता है यह!

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Vishwanath Ram

लोकतंत्र की सुरक्षा जरुरी है

लोकतंत्र की सुरक्षा जरुरी है

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DHIRAJ GARG

भारत की राजनीति एवं लोकतंत्र

भारत की राजनीति एवं लोकतंत्र

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Vijay Bhatt

लोकतंत्र की चार औलादे..!

#Navratra2021

लोकतंत्र की चार औलादे..! #Navratra2021

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नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹

ऐ मेरे सत्ता के शासक मेरे रखवाले, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो,
जनता मांग रही है अब अपना हक, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो।
हे न्यायमूर्ति, हे न्याय प्रिय, आज लोकतंत्र यहां पर हुआ विलुप्त,
संकट में है सबके प्राण यहां, तुम अब तक ख़ामोश यहां पर क्यों हो।।

मंदिर मस्ज़िद का खेल खेलकर, तुम आपस में लोगों को बांट रहे हो,
जाति वाद, धर्म का नारा देकर, लोगों को तुम आपस में छांट रहे हो।
नव चेतना,नव जागृति नही, और ना ही हो रहा है नव निर्माण यहां,
अपनी विषैली, कटु, विषाक्त शब्दों से हर उम्मीदों को तुम कांट रहे हो।।

मूक बने है यहां पर सब दर्शक, बन गई है ये तो अन्धों की नगरी,
पोथी में दबकर रह गया संविधान, चल रहे सब अपनी अपनी डगरी।
नही है कोई महफूज यहां पर, अपने ही अपनों कर करते चीरहरण,
चीत्कार की है बस आवाज़ यहां, विलुप्त हुआ अब  गीत और कजरी।। #लोकतंत्र #लोकतंत्रभारत #लोकतंत्र_ख़तरे_में_है #विलुप्त होता लोकतंत्र
@लोकतंत्र
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नेहा उदय भान गुप्ता

ऐ मेरे सत्ता के शासक मेरे रखवाले, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो,
जनता मांग रही है अब अपना हक, तुम ख़ामोश यहां पर क्यों हो।
हे न्यायमूर्ति, हे न्याय प्रिय, आज लोकतंत्र यहां पर हुआ विलुप्त,
संकट में है सबके प्राण यहां, तुम अब तक ख़ामोश यहां पर क्यों हो।।

मंदिर मस्ज़िद का खेल खेलकर, तुम आपस में लोगों को बांट रहे हो,
जाति वाद, धर्म का नारा देकर, लोगों को तुम आपस में छांट रहे हो।
नव चेतना,नव जागृति नही, और ना ही हो रहा है नव निर्माण यहां,
अपनी विषैली, कटु, विषाक्त शब्दों से हर उम्मीदों को तुम कांट रहे हो।।

मूक बने है यहां पर सब दर्शक, बन गई है ये तो अन्धों की नगरी,
पोथी में दबकर रह गया संविधान, चल रहे सब अपनी अपनी डगरी।
नही है कोई महफूज यहां पर, अपने ही अपनों कर करते चीरहरण,
चीत्कार की है बस आवाज़ यहां, विलुप्त हुआ अब  गीत और कजरी।। #लोकतंत्र #लोकतंत्रभारत #लोकतंत्र_ख़तरे_में_है #विलुप्त होता लोकतंत्र
@लोकतंत्र
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आदित्य रहब़र

##दिवाली लोकतंत्र की 
दिवाली की ढ़ेरों शुभकामनाएं ।

##दिवाली लोकतंत्र की दिवाली की ढ़ेरों शुभकामनाएं ।

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विकास ओजस्वी

लोकतंत्र में मतदान की भुमिका 

#myvoice

लोकतंत्र में मतदान की भुमिका #myvoice #कविता #nojotovideo

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Ek villain

अब से 25 वर्ष बाद राष्ट्रीय स्वतंत्रता की शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगी मौजूदा अमृत महोत्सव की विकास गति की और रूपरेखा प्रस्तुत करता है हमारे पूर्वज संबंध से अपनी स्पष्ट दूरदृष्टि को प्रस्तुत किया जिसके फलस्वरूप हमारे अब तक की प्रगति हुई है नए भारत के निर्माण के इस व्यापक कार्यक्रम परिपेक्ष में कई क्षेत्रों में बाबासाहेब अंबेडकर भीमराव अंबेडकर की प्रेरणादायक दूरदृष्टि और सर्तकता पूर्ण दृष्टि हमेशा एक मार्गदर्शी प्रकाश स्तंभ के रूप में हमारे साथ उनकी जयंती और राष्ट्रीय निर्माता के रूप में उनकी समग्र भूमि का सम्मान करने में हमारी कार्य क्षेत्र में उनके आदेश का अनुकरण करने के लिए पुणे प्रेरित होने का एक उपयुक्त अवसर है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक संस्था निर्माता के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वर्तमान समय में सार्वजनिक व्यवस्था ने उनकी बुद्धि और ज्ञान के चारों और दिशाएं किया वैसा आदमी सभा में विधानसभा चुनाव में सबसे महत्व रखते इस समय में संपूर्ण भारत में सर्वाधिक योगदान 8% बाबा साहब का योगदान डॉक्टर अंबेडकर के शिकार बनाया

©Ek villain #सशक्त भारतीय लोकतंत्र की शिल्पकार

#baisakhi

#सशक्त भारतीय लोकतंत्र की शिल्पकार #baisakhi #Society

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amarendra srivastava

भाषा की विशेषता

भाषा की विशेषता #जानकारी

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Naveen Bothra

पर्व की विशेषता

पर्व की विशेषता #विचार

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Priya Gour

लोकतंत्र की आत्मा,
                     होता है संविधान,
अत्याचार पे बन लाठी,
                            न्याय दिलाये संविधान,
सबको न्याय दिलाने का
                      दरवाजा संविधान,
लोकतंत्र की आत्मा
                    होता हैं संविधान...
कदम-कदम पे जाल बिछाके
                       बैठे आज के दानव हैं
इस जाल से हमें बचाये जो,
                             सुरक्षा कवच पहनाये जो,
आजादी दे बोलने की,
                               पाप की गठरी खोलने की,
जो बनाए लोकतंत्र को महान,
                         वो होता है संविधान,
लोकतंत्र की आत्मा,
                       होता है संविधान।

©Priya Gour
  लोकतंत्र की आत्मा संविधान...❣️👏
 #hindiwritings 
#HindiWritings
#लोकतंत्र 
#संविधान 
#29april 11:02

लोकतंत्र की आत्मा संविधान...❣️👏 #hindiwritings #hindiwritings #लोकतंत्र #संविधान #29april 11:02 #कविता

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M. A. Khan

तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन
तू इस आंचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था
शाहीन बाग़ ने आंचल का परचम बनाया है
सभी गांधी वादियों को इसे सलाम करना चाहिए #लोकतंत्र
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DR. LAVKESH GANDHI

अग्रजों  से सुना था
 लोकतंत्र में
 कलेक्टर ,मास्टर और ट्रैक्टर की
 भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. 
 उसे आज देख भी लिया. # लोकतंत्र#

# लोकतंत्र#

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Ashraf Fani【असर】

Trust me भेड़ और भेड़िये
की दोस्ती लाज़िम ही नहीं
अब नया लोकतंत्र है की
हम मजबूर से हैं! #लोकतंत्र
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Sabir Khan

मुझे गर्व है कि मैं विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक महान राष्ट्र भारत का निवासी हूं और मैं उस लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहूॅगा।

🇮🇳जय हिंद🇮🇳 लोकतंत्र

लोकतंत्र

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Suresh Kumar Kushwaha

लोकतंत्र

लोकतंत्र

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rajesh singh

मेरी कलम से---------
******************
तुम बुलडोजर चलाओ, हमारे घरों को जमींदोज कर दो, तुम लाठियां चलाओ,निरीह और मासूमों पर, हां गोलियां भी चलाओ और कत्ल कर दो किसी भी आम शहरी को।तुमने नफरतों के बीज बोये थे। हम जानते थे कि फसल लहलहाये गी। वह लहलहा रही है। चारों तरफ नफरत की बयार बह रही है। संविधान को रायसीना हिल्स की दीवारों के पीछे कैद कर दिया गया है। अदालतें चुटकुले सुनने और ठहाके लगाने में ब्यस्त हैं। संसद में तो बैठे ही हैं मवाली और गुंडे। समूचा देश पुलिस स्टेट में तब्दील हो गया है। फासीवाद का यही असली चेहरा है। हम कबीलों की तरफ लौट कर आ गये हैं। हम सामंतवादी व्यवस्था की तरफ लौट कर आ गये। जहां एक आदमी ही संविधान, संसद और अदालत सब कुछ होता है। जहां इंसान गुलाम समझा जाता है। उसके साथ जानवरों जैसा सलूक होता है। हमारे पुर्वजों ने एक‌ लंबी लड़ाई लड़कर इन सब से हमें मुक्त कराया। एक मानवीय समाज की स्थापना के लिए अपना लहू बहाया। अपनी प्राणों की‌ आहूतियां दी। क्या  इसीलिए कि हम फिर लौटकर वही पंहुच जायें। हम फिर उसी दलदल में कूद जायें। मन में एक सवाल उठने लगा है कि क्या अवाम को गुलामी ही पसंद है। क्या हमारे महापुरुषों और क्रान्तिकारियों ने व्यर्थ ही हमारी मुक्ति की लड़ाई लड़ी और शहादतें दी??? अगर ऐसा नहीं है तो उस समय जब फासीवादी ताकतें नफरत‌ के बीज बो रही थी, जब हमें आपसी वैमनस्य की आग में झोंकने की साजिशें रच रही थीं तब हम खामोशी से सब देख रहे थे। हम समझ रहे थे कि हमारी आजादी पर हमला है। हमें गुलामी के दलदल में धकेलने की साजिश है। तो हम बोले क्यों नहीं, हम लड़े क्यों नहीं। जो आजादी हमें विरासत में मिली उसकी रक्षा के लिए हम क्यों खड़े नहीं हुए। इस भयानक फासीवादी हमले के ‌ बीच भी कुछ लोग थे जो फ़ासिस्टों से लड़ रहे थे । और हमें आगाह कर रहे थे। लेकिन हम फिर भी नहीं बोले। क्योंकि हम तो हिंन्दू और मुसलमान के मंचन पर चटखारे ले रहे थे। पत्थरों में भगवान खोज रहे थे। और अभी भी हमें मजा आ रहा है कि मुसलमान मारे जा रहे हैं, मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर गरज रहे हैं। आप जाहिल हैं, नासमझ हैं, मक्कार हैं सब कुछ समझ कर भी नसमझी का ढोंग किये बैठें हैं। ये भेड़िए हैं, इन्हें खून से मतलब है, इन्हे मांस से मतलब है। वो किसी का भी हो, हिंदू का हो, चाहे मुसलमान का‌ हो,सिख का हो, चाहे ईसाई का हो। एक बार विरोध कर के तो देखिये, अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा कर तो देखिये। तुम्हारा घर भी बुलडोजर की जद में न आ जाए तो कहना। तुम्हारी हड्डियां भी पुलिस की लाठियों से चकनाचूर न हो जाए तो कहना। याद है न विकास दुबे, मोहित गुप्ता जैसे सैकड़ों लोगों की मौत। इलाहाबाद में रोजगार मांग रहे छात्रों पर लाठियां और गोलियां याद है न। शायद तुम्हें कुछ नहीं याद है क्योंकि तुम मुर्दा शांति से भरे हुए हो। तुम्हे गुलामी पसंद है। बधाई हो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को वह अपने मकसद में कामयाब हो गए। संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हम नहीं कर पाये। अब रिमोट तुम्हारे‌ हाथ में है। ‌हम सब कठपुतली हैं। जैसे चाहो नचाओ। मजदूरी कराओ या कत्ल कराओ, हम सब जो हुकुम मेरे आका की मुद्रा में आपके सामने खड़े हैं। हमें अपने आप से घिन आती है, क्योंकि मैं भी इस मुर्दा  समाज का हिस्सा हूं।

डा राजेश सिंह

©rajesh singh #लोकतंत्र
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Er.Mahesh

दिल में अति पीड़ा है ,
जता नही सकते
आंखों के सामने
 लोकतंत्र मिट रहा है
इसे बचा नही सकते
 इतिहास में सुना था
 गुलामी सही थी लोगों ने
अब गुलामी के दर्द को 
दिल में छुपा नहीं सकते
लोग शहीदों को 
सम्मान देते है बहुत सारा
उनके त्याग का हर जगह करते हैं
 जय जय कारा
लेकिन इस गुलामी से बचाने के लिए 
कोई खुद को आगे बढ़ा नही सकते
उत्पीड़न से भरी गुलामी के 
इस दर्द को मिटा नही सकते

©Er.Mahesh #लोकतंत्र
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Shivam Sharma

#लोकतंत्र की सच्ची परिभाषा 🤗 कविता😊

#लोकतंत्र की सच्ची परिभाषा 🤗 कविता😊

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Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी
मोहरे कैसे फिट किये
सियासत जानो ने
जनता मिट रही है
और पुलिस भी पिट रही है
दिल्ली में सांस लेने के लिये
शुद्ध हवाओ की भी भद्र पिट रही है
लगता है नेताओ की मायावी चलो से
लोकतंत्र की भी इज्जत घट रही है
           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" लोकतंत्र की इज्जत घट रही है

#walkingalone

लोकतंत्र की इज्जत घट रही है #walkingalone

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Manish Kumar Savita

 लोकतंत्र...

लोकतंत्र... #nojotophoto #विचार

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