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Jitendra Yadav
Rajababu Gour
प्रिय प्राणी प्रेमी प्रेरणा को प्रसरित किया करो रसिकप्रिय होकर प्रेमी वाणी से वार्ता किया करो प्रेमी वार्ता
Vikash Kamboj
"कर्ता" लोग ढूंढते फिरते हैं, पता तेरा पूछते फिरते है। कोई कहता तू आसमां में, कोई कहता तू जमीं पे, कोई कहता तू आफताब में, कोई कहता तू हर कहीं पे। कुछ तो नास्तिक भी होंगे जरूर, नहीं माने जो तुझको मेरे हुजूर। लेकिन तू तो है, तू तो है, ज़र्रे ज़र्रे में है हर कहीं। कोई माने या ना माने, वो जगह बनी नहीं, जहां तू नहीं। कौन है जो सूरज चांद बनाता है। कौन है ग्रहों को आसमां में टिकाता है। कौन है जो पंच तत्वों को मिलाता है। कौन है सितारों को जगमगाता है। कौन है जो जीवो का निर्माण कराता है। कोई है जो हर दिल में प्यार जगाता है। कोई तो है, कोई तो है कहीं ना कहीं, बिना कर्ता के कर्म संभव ही नही। VIKASH KAMBOJ "कर्ता"
Patare b. r
पाऊलं हळू हळू पुढे टाका, कारण लोकांनी काही सांगण्या आधिच आपण, जग जिकंलेले असेलं . संघर्षशील वार्ता 😊
Pradyumn awsthi
जब इंसान हर काम में ,मैं का जिक्र करने लगे तब आप समझ जाइए की वह खुद नहीं बोल रहा है बल्कि उसका अहंकार बोलने लगा है इंसान इस गलतफहमी में पड़ जाता है की वह खुद को ही कर्ता समझने लगता हैं इस संसार के कर्ता तो केवल परमपिता परमात्मा ही हम सब तो ईश्वर के निमित्त मात्र हैं ©pradyuman awasthi #कर्ता #dost
Shyamal Kumar Rai
पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना अरे वही जो इमरान भाई की दुकान से लिया था मंदिर के सामने वाली दुकान जहां मंदिर मेे जाते हुए लोग अपनी चप्पल रख जाते हैं इमरान भाई कोई भाड़ा जो नहीं लेते कुर्ता अब गलें पर कुछ चुस्त सा लगता है मानो दम घोंट रहा हो उसमे कुछ हरे रंग के डोरे भी दिखते हैं पहले भी थे शायद? पता नहीं अब आखों मेे चुभते हैं जिन मुसलमान हाथों ने बुना है इनको मानो अब सूई पिरो रहे हो मेरे जिस्म में मंदिर के आगे ही दुकान रखी है मस्जिद के आगे क्यों नहीं? बनने के लिए पैसे भी नहीं लेते मौके की ताक में हैं शायद नहीं नहीं ये सब मैं क्या सोच रहा हूं? दिया जलाया हैं आज दीवाली का उसी चुस्त कुर्ते में दम बंद हो जाए शायद मजहबी खयालों का। दीवाली का कुर्ता #ManKaRog