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Vivek
सूरज तुम्हारी तारीफ में आज फिर उगेगा पूरब से दिल की बात को कह देना तुम अपनी भोली सूरत से...!!! ©Vivek #भोली सूरत #सूरज #तुम्हारी तारीफ
Satish Mapatpuri
राजनीति के चौसर पर ख़तम हो गया खेल जिसका जैसा कर्म था हुआ पास और फेल पर शब्दों की गरिमाकी धज्जी उड़ी गगन पे अब तो अपनी जिह्वा पर मल लो मीठे तेल …. सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri चौसर
kesaravinash
हे ऋषि! तुम गए- असत् से सत् की ओर! तम से ज्योति की ओर! मृत्यु से अमृत की ओर! हम गए - सत् से असत् की ओर! ज्योति से तम की ओर! अमृत से मृत्यु की ओर! तुम कितने असभ्य थे! तुम कितने पौराणिक थे! तुम कितने बर्बर थे, ऋषि! तुम कितने अविकसित थे! हम कितने सभ्य हैं! देखो न- हवा ही जला डाली। हम कितने सभ्य हैं! प्यास बढ़ा ली, पानी सूखा डाला। हम कितने नवीन हैं - धरा खोद डाली, नाले पाट डाले। हम कितने उदार हैं! हमारा हर काम 'स्वान्तः सुखाय' है। तुम्हारा हर काम 'परोपकाराय पुण्याय ' था। हाँ, ऋषि! हम विकसित हैं - तुमने नदियों में (किनारे ) घर बनाये, हमने नदियों पर (भर कर ) घर बनाये। ©kesaravinash #केसर
Rajni Sardana
#चौसर चौसर की बिसात पर, बड़े बड़े युद्ध हुए, गोटियों की चालों पर, ना जाने कितने छले गए | इतिहास के कितने पन्ने, इन्ही छल-कपट के हैं साक्षी, खेल कब युद्ध बन जाता, मूक,बहरे,अंधे हो जाते खिलाड़ी | वक़्त के साथ चालों की चाल बदली, खेल खेलने वालों ने नियम-शर्ते बदली, गोटियों से किये गये इंसान बदली, धोखेधड़ी ने जिंदगी से मौत बदली | लालच,ईर्ष्या,अहं ने इंसानियत कुचली, इंसान की फितरत नरभक्षी में बदली, फरेब की कटार से खून की होली खेली, बार-बार धोखे की बिसात ने नफ़रत उगली | ©Rajni Sardana #चौसर
kesaravinash
दर्द के बहाने न देख इस बेदर्द जमाने के चलते-फिरते ताने न देख! दिल के ज़ज्बातों के आगे होंठ के गाने न देख!! डूब के,दरियाव के मौजों में पलते जाले न देख! दिल में सबके दर्द देख, दर्द के बहाने न देख!! गर्दिशों में पल रहे जो सैकड़ों सितारे न देख! यूँ किनारे बैठके लहरों के ताने न देख !! छलछला उठे कभी जो दर्द के प्याले न देख! जिंदगी मदहोशियाँ है, तू मग़र मयख़ाने न देख!! नब्ज़ देख, मर्ज़ देख, सिरहाने- पैताने ना देख! दरमियाँ देख अपने दामन भी कभी, तू मेरे फाने ना देख!! ---------- कुमार अविनाश केसर ©kesaravinash #केसर
स्वर्गीय आनन्द राज आनन्द
कभी इश्क़ करो और फिर देखो इस आग में जलते रहने से कभी दिल पर आँच नहीं आती कभी रंग ख़राब नहीं होता - सलीम कौसर ©Anand Raj Anand ✍️ सलीम कौसर #anandarjak #sayri #poem #Poetry