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Susheel Thakur
नया वाहन अधिनियम, जनता और पुलिस... नए वाहन अधिनियम के आते ही पुलिस और लोगों के मध्य खराब रिश्तों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं। सरकार के इस फैसले से कुछ लोगों काफी खफा नजर आ रहे हैं। कोई पुलिस वाला अगर कानून तोड़े तो भीड़ अति आक्रमकता दिखा रही है। ठीक इसी तरह जब पुलिस चालान काट रही है तो नौकरशाह उनकी बिजली और पानी के कनेक्शन काट रहे हैं। इस फैसले से जुर्माने की रकम कई गुना बढ़ गई है, जिसके चलते लोग सरकार को सड़कों की खस्ता हालत पर घेर रहे हैं। दुनिया के कई देशों में वाहन अधिनियम इससे भी सख्त हैं और ड्राइविंग लाइसेंस बनाना तो बहुत ही कठिन है। बहुत से लोग कई तरह की अव्यवस्थाओं का हवाला देकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं किन्तु यह भी सत्य है कि यह जनहित के लिए ही बनाया गया है। कई मौकों पर पुलिस की दादागिरी भी देखने को मिलती है, वहीं कई लोगों का मानना है कि इस अधिनियम से पुलिस का भ्रष्टाचार बढ़ेगा। शायद सरकारों ने जल्दी में ही इस फैसले को लागू कर दिया है। प्रशासन, पुलिस और जनता के मध्य सम्बाद स्थापित करने के प्रयास किये जाने चाहिए तभी वास्तविक लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। नया वाहन अधिनियम
Mahfuz nisar
शीर्षक ::::::::: आटा फैक्ट्री रोटी नहीं बन पायी, आटा बहुत था, पूरी फैक्ट्री थी, बस मेरे पैसे ख़तम हो गए मैंने घर जा सकूँ इसलिए सारे पैसे से एक साइकिल ख़रीद ली मैं कहीं नहीं हूँ। ✍महफूज़ शीर्षक ::::::::: आटा फैक्ट्री
Prakash Raj
नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA समर्थन मार्च महनार
Arora PR
दरिया सागर और नदी तीनो मेरे सामने है कोई ठहरा है कोई बह रहा और कोई सांस लेने के लिये. लहरों को उछा ल रहा है लेकिन इन सबके वजूद मे पानी. एक कॉमन फैक्टर है ©Arora PR कॉमन फैक्टर
Manmohan Dheer
जन गण मन को पीट गया अधिनायक जय हे ऋषि देश से रीत गया विश्व नियामक जय हे अधिनायक जय हे
Ek villain
रामलाल की साबुन फैक्ट्री दी साबुन बहुत लोकप्रिय हुआ तो अधिक लाभ घुटने के चक्कर में ज्यादा मिला मिलावट शरण में गमछी हो जाते नतीजा उनके साबुन से कपड़े साफ होने की वजह फटने लगे आखिरकार उपभोक्ताओं ने उनके उत्पाद को नमस्ते कह दिया मगर पापी पेट पालने के लिए कुछ तो पुणे करना ही था तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री की कवि फैक्ट्री में बदल दिया लोग कल महा कवियों को पता चला कि कभी सर्दी में कविता की मरम्मत होती है और फिर वह वहां से छनकर एक कार्य कविता निकलती है तो फैक्ट्री में कवियों की घनघोर दामाद होने लगी धामी ने हर कविता सुनने का अपना रेट फिक्स कर दिया कुछ दिन तक तो मामला ठीक चला लेकिन फिर यह कभी को ऐतराज होने लगा कि मेरी कविता की कुछ ज्यादा ही चीर फाड़ हो रही है कभी एक दूसरे से झगड़ने लगे वसंत पंचमी पर हुई कसौटी में तो मारपीट की नौबत आ गई एक नए काम है निराला हूं दूसरा बोला मैं निराला का साला हूं तीसरा चीका में दिनकर से कम नहीं यह सुन चौथा हजारे अरे मैं तो कुछ दम नहीं तभी पांचवी आवाज आई में महादेवी वर्मा बन रही हूं बस यही वह क्षण था जिसने व्यवस्थित मास कारों को वीडियो बनाया उसे वायरल करने का अवसर दे दिया गजब का कोई जलीय वीडियो बना भाई ©Ek villain #कभी फैक्ट्री की अद्भुत उत्पादन #MusicLove