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Azaad Pooran Singh Rajawat

#lunar #फिर मिले जैसे गुल दिल के खिले# #शायरी

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TAHIR CHAUHAN

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हेयर स्टाइल by mv

#शहर नहीं जिले के जिले हिलाई देते# #मीम

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Paridhi Ss.

> नव दीप जले, नव फूल खिले, नित नयी बहार मिले, नवरात्रि के इस पावन पर्व पर आपको माता रानी का आशीर्वाद मिले. #समाज

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R. K. Singh------18.11.19

लेह लद्दाख के प्रसिद्द स्थान famous places in leh ladakh #समाज

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Tarakeshwar Dubey

घर के गद्दार #sunkissed #कविता

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घर के गद्दार
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इतिहास साक्षी है हमारे, दिल पर लगे घावों का,
तड़पते हुए आहों में बसे, कसकते हुए भावों का।
मुंह पर मीठे बोल बोलकर, रचे सभी जज्बातों का,
विश्वास का गला घोंट, छल से किए आघातों का।
हम सदा तैयार निपटने को, दुश्मन के वारों से,
पर शिकन पड़ी माथे पर, घर में बैठे गद्दारों से।

हमारे अपनों ने षडयंत्र के, है अनगिनत खंजर चलाई,
विश्वास की धरा पर बैठे, हमने कितनी मुंह की खाई।
पृथ्वीराज की बहादुरी, जब भी वर्णित होती है,
राष्ट्रद्रोही जयचंद की यादें, स्वत: ताजा हो लेती है।
हम नहीं भयभीत बैरी के, संहारक हथियारों से,
पर शिकन पड़ी माथे पर, घर में बैठे गद्दारों से।

आजादी तो मिली हमें, लाखों बलिदानों के बदले,
अहिंसा का पाठ पढ़, इसे खैरात हम मान चले।
लक्ष्मीबाई की देशभक्ति, की जितनी चर्चा होती,
सिंधिया की गद्दारी भी, उतनी बार वर्णित होती।
हुए नहीं इतने घायल, दुश्मन के बर्छी कटारों से,
अत: शिकन पड़ी माथे पर, घर में बैठे गद्दारों से।

हमें बांट बांट करके, राज अधर्म अपनाया गया,
लड़ते रहे सदा हमने, भेद का पाठ पढ़ाया गया।
शिक्षा के मापदंडों की, तोड़ मड़ोड़ बिगाड़ी काया,
छल, प्रपंच के शूलों से, हमें पथ से भटकाया गया।
बैरियों के मनसूबे गढ़ते, हम त्रस्त राष्ट्र के मक्कारों से,
अत: शिकन पड़ी माथे पर, घर में बैठे गद्दारों से।

किस पर करें भरोषा अब, कहें किसे राष्ट्र निर्माता?
कैसे हो विश्वास जब, सत्ता रिश्वत का गुण गाता?
धोखाधड़ी और फरेब का, निर्भय होता व्यापार है,
गुंडेगर्दी के बल पर जो, चल रही सरकार है।
हो सकते हम नहीं आघात, बैरी के पैने प्रहारों से,
पर शिकन पड़ी माथे पर, घर में बैठे गद्दारों से।

©Tarakeshwar Dubey घर के गद्दार

#sunkissed
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