Find the Latest Status about बेचती है from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बेचती है.
joshi joshi diljala
मां फूल बेचती है मेरी हमारी भूख के लिए कादिर| मैं जमीन पर बैठकर दिलजले मुकद्दर लिखती ,हूं| ©Aanshi Digital photo Film studio #मां फूल बेचती है मेरी हमारी भूख के लिए कादिर| मैं जमीन पर बैठकर दिलजले मुकद्दर लिखती ,हूं|
Bambhu Kumar (बम्भू)
10. मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों के घनी अमराइयों की छाँव में गाँव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही या अहिंसा की जहाँ पर नथ उतारी जा रही हैं तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए बेचती है जिस्म कितनी कृष्ना रोटी के लिए -अदम गोंडवी "मैं #चमारों की #गली तक ले #चलूँगा आपको" मैं #निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ #मेरे #गाँव में तट पे #नदियों के घनी #अमराइयों की छाँव में गाँव जि
Bambhu Kumar (बम्भू)
धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों के घनी अमराइयों की छाँव में गाँव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही या अहिंसा की जहाँ पर नथ उतारी जा रही हैं तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए बेचती है जिस्म कितनी कृष्ना रोटी के लिए! धर्म संस्कृति और नैतिकता के ठेकेदार को प्रांत के मंत्रीगणों को केंद्र की सरकार को मैं निमंत्रण दे रहा हूँ- आएँ मेरे गाँव में तट पे नदियों क
AK__Alfaaz..
वो फूलों सी लड़की, फूल बेचती, मंदिर की सीढियों पर, हर बार चढ़ती-उतरती, कहती खनकती आवाजों मे अपनी, ऐ माई...ऐ बाबू, ले लो जरा ताजे-ताजे फूल यहाँ, बड़ी दूर से आयीं हूँ, संग महकते फूल लायीं हूँ, चरणों में चढ़ाकर ईश्वर के अपने..पूरी कर लो, हर प्रार्थना..हर मिन्नतें अपनी, मेरे फूलों से तो भगवान भी, खुश हो जाते हैं, तुम क्यों रूठते हो..? चार पैसे दाम क्यों नही चुकाते हो..? रोती भी है..गिड़गिड़ाती भी है, बिक जाने पे सारे फूल, वो फूलों के जैसे ही मुस्कुराती भी है, सोचता हूँ, भाग्य ने उसको कैसा व्यापारी बनाया, एक हाथ में भूख...तो दूँजे मे पूँजी स्वरूप बचपन थमाया, सोचता हूँ मै वो क्या बेचती है..? फूलों में अपना..फूलों सा बचपन बेचती है, या......, फूलों की आड़ में रोटी खरीदती है, समझ नही आता, जिन फूलों से मंदिरों में भगवान खुश हो जाते हैं, उनके...ये फूल, समाज में क्यों भूख और नियति से, लड़ते नजर आते हैं...।। -AK__Alfaaz.. #फूल_बेचती_वो_लड़की... वो फूलों सी लड़की, फूल बेचती, मंदिर की सीढियों पर, हर बार चढ़ती-उतरती, कहती खनकती आवाजों मे अपनी, ऐ माई...ऐ बाबू,
Nitin Kr Harit
भले ही उसे कांटें मिले हों पर वो फूल बेचती है, ताकि भर सके हर रोज उस राह पर रखे दियों में तेल, जिस राह से उसे आज भी उम्मीद है बच्चों के घर लौट आने की..! पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें वैसे दो बच्चे हैं उसके, पर दोनों परदेस में हैं. शायद भूल गए हैं मां को, पर मां कहां भूलती है? भले ही उसे कांटें मिले हों पर वो फूल बेचती है
Mamta Singh
ये 2जुन की राेटी जाने क्यां-क्यां खेल दिखाती है !! इंन्सा की बात छाेड़ाे कुत्ताे के मुँह से निवाला छिनवाती है.... अनुशीर्षक में पढे.. ये दाे जुन की राेटी बड़ी मुश्किल हाेती है याराें सर पर ना हाे मात-पिता का साया भारी विपदा हाेती है प्याराे ये दाे जुन की राेटी की खातिर देखा
Juhi Grover
रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। कभी प्रात: रवि सी तेजस्वी बन प्रज्वलित कराएँ, कभी निशा की कालिमा खून के आँसू रुला जाएँ, कभी जीवन के उलझे बिखरे एहसास लिख जाएँ, कभी मृत्यु बन कर के यादों की रंगत बिखेर जाएँ। कभी मिलन की चाहत का रंग बन के मुस्का जाएँ, कभी 'शिव कुमार बटालवी' के दर्द सी चुभ जाएँ, कभी 'पाश' की कविता बन क्रांतिकारी बना जाएँ, कभी 'सुभद्रा कुमारी' जैसी निडर साहसी बन जाएँ। कभी वन्दे मातरम् बन कर स्वतन्त्र भाव जगा जाएँ, कभी जन गण मन बन के तिरंगा झंडा लहरा जाएँ, कभी ज़िन्दादिल शहादत बन गौरवान्वित कराएँ, कभी जीते जी अनोखा अद्भुत इतिहास रच जाएँ। सुकून, बेेचैनी, भय, खुशी, गम को अल्फाज़ बनाएँ, भाव निर्मित अल्फाज़ यहीं कविता बन कर इतराएँ, सपने बेचती हैं ये रंग बिरंगे एहसासों की कविताएँ, साहित्य सृजन का रूप मान पढ़ी जाती हैं कविताएँ। रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। रंग बिरंगे हमारे सपनों जैसी रंग बिरंगी कविताएँ, सपनों के पूरा न होने पर भी मार्ग नया दिखाएँ। कभी प्रात: रवि सी तेजस्वी बन प्रज्वलित
Divyanshu Pathak
हम प्रकृति से दूर हो गए। खान-पान भूगोल से कट गया। डिब्बा संस्कृति हमारे विकास का नेतृत्व करने लगी है। इनका एकमात्र कारण है शरीर के प्रति बढ़ता मोह और उसके लिए धन और भौतिक सुखों का बढ़ता महत्व। क्या कोई जादू या वरदान हमें इस कैंसर से मुक्त करा सकता है? Good morning ji 💕👨🍉🍉🍉🍉☕☕☕☕🍹🍹🍹🍹🍉🍉🍉😊🍓🐒👨🙏🌷🌺 : Repost🌷🐒........ : विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌷🐒 : विज्ञान कहता है-‘कलियुग के बाद
Dr Upama Singh
“एसिड अटैक” (प्रेरक लेख) अनुशीर्षक में://👇👇 मेरी एक दोस्त भावना एक दिन लखनऊ शहर में शिरोज काफ़ी रेस्त्रा में साथ जाने के लिए आमंत्रित किया। ये रेस्त्रा लखनऊ के अलावा आगरा और उदयपुर में