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Ek villain
रोका नहीं जा सकता श्रमिकों के पलायन शीर्षक से लेख आलेख में भरत झुनझुनवाला ने यह दर्द ही लिखा है कि पलायन आर्थिक मार्च से जुड़ी एक वास्तविकता है उनका यह कहना भी उचित है कि जिन क्षेत्रों में प्लेन होता है जिन क्षेत्रों में पलायन होता है उन दोनों को ही इससे सबसे ज्यादा लाभ होता है यह बात घरेलू से लेकर वैश्विक स्तर पर पूरी तरह से खरी उतरी है हालांकि इस प्लान के कुछ नकारात्मक पहलू भी है अंतरराष्ट्रीय प्लेन से जहां देश के बेहतरीन प्रतिभाओं का प्लेन हो जाता है और देश के अन्य योजनाओं से वंचित रहता है वहीं घरेलू पलायन से उन शहरों के ढांचे पर दबाव पड़ता है जहां भारी संख्या में पलायन होता है इतना ही नहीं वहां कुछ वस्तुओं और सेवाओं के दाम भी अनावश्यक रूप से बढ़ते हैं दूसरी और अनेक मूल्य प्रदेश में बाजार की मांग की प्रभावित होती है यानी कुल राज्यों का दौरा नुकसान होता है ऐसे में पलायन का स्थाई समाधान खोजना नहीं है बल्कि अच्छी बात है कि सरकार द्वारा इस देश में प्रयास किया जा रहा है देश में मुंबई बेंगलुरु हैदराबाद हुआ करते थे किंतु जाते हैं दिल्ली सरकार के पीछे छोड़ दिया है इस रुझान को आधार मानें तो अब भारत के युवाओं को दक्षिण या पश्चिम भारत का रुख नहीं करना होगा इस रुझान को अभी माइक्रोम लेवल पर ले जाना होगा साथ ही रोजगार के ऐसे अवसर सृजित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा जीने work-from-home के माध्यम से आजमाया जा सके ©Ek villain #स्थानीय स्तर पर बढ़ते रोजगार #doubleface
Ek villain
राष्ट्रपति ने जिस दंड प्रक्रिया पहचान विधायक को मंजूरी दी उसके तहत पुलिस को अपराधिक मामले में गिरफ्तारी लोग और दूसरी सरकार दिए गए अपराधी के जैविक नमूने लेने की अनुमति होगी पुलिस को यह सुविधा प्रदान करने में किसी कानून के सख्त आवश्यकता है क्योंकि अपराधी नई नई तकनीक से लैस होते जा रहे हैं और कई मामलों में यह सामने आता है यह पूर्ण शब्द के अभाव में उन्हें सजा देना कठिन होता है यह कानून 80 साल पुराने कह दी पहचान अधिनियम की जगह लेंगे यह स्पष्ट है कि कानून संशोधन करने में देरी हुई है इसके बाद विपक्ष ने सदन में बहस के दौरान इस आधार पर इस प्रस्तावित कानून का विरोध किया और इसके दुरुपयोग हो सकता है दुनिया में ऐसे कानून के पास दुरुपयोग की आशंका हो लेकिन कानून बनाने में जाने की पैरवी करने का कोई कानून व्यवस्था के साथ अंतरिक सुरक्षा के खतरे बढ़ते जा रहे हैं तब श्रम कानून के निर्माण का विरोध करना एक खतरे में डालने का काम है यह ठीक नहीं है कि हमारे राजनीतिक अराजकता और खासकर आतंकवाद के मामले पर विचार करने के लिए मुश्किल से ही तैयार होते हैं ©Ek villain #अपराध पर अंकुश लगाया जाए #Joker
MR.UNKNOWN
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो। ये जिंदगी है आपकी , बढ़ते चलो,बढ़ते चलो। उस रोशनी के सामने, क्या हैसियत है रात की, बढ़ते चलो ,बढ़ते चलो। तेरे हौसलों के सामने , क्या ग़म कभी टीक पाया है?, बढ़ते चलो,बढ़ते चलो। पोखर बनो,सागर नहीं, सागर के पानी से किसी का, प्यास भी बुझ पाया है?, बढ़ते चलो,बढ़ते चलो। ये जिंदगी है आपकी, बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।। बढ़ते चलो,बढ़ते चलो
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat अपराध क्या है अपराध विरोध है अपराध प्रेम है अपराध स्नेह है अपराध क्रिया है अपराध कृपा है अपराध निष्कर्म है अपराध निष्कर है अपराध निष्कर्ष है अपराध बहुमूल्य है अपराध प्रमाद है अपराध प्रद्ध है अपराध प्रवृति है अपराध प्रेरणा है अपराध प्रेरणा है अपराध प्रक्रिया है अपराध परिधान है समझो तो धूल है ना समझो तो भूल है #realityoflife #lifequotes #lifelessons #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat अपराध क्या है अपराध विरोध है अपराध प्रेम है अपरा
Md Iftekhar
रख हौसला वो मंज़र भी आयेगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा, थक कर न बैठ ए मंजिल के मुसाफिर, वो मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आयेगा। बढ़ते चलो आगे बढ़ते चलो।
Ashok Verma "Hamdard"
मिट्टी की ही तो मटकी थी,छूने से ही मार दिया कैसे तुम बेशर्म शिक्षक हो,भारत ने जिसे धिक्कार दिया, एक प्यासे बच्चे को दानव,जल के लिए तड़पाया है झूठे अहंकार में तूने, मौत की नींद सुलाया है हो तुम कोई वर्ण संकर,हिंदू बनना छलावा है हिंदू तूं हो ही नही सकता,कहता तेरा कलावा है, दया धर्म के देश में,बहरूपिए के भेष में भारत मां के इज्जत को तुनें,कैसे तार तार किया हो तुम कोई वर्ण संकर जिसने ये अपराध किया एक नन्हे बच्चे को तूने,अहंकार में प्राण लिया, एक दलित(अंबेडकर)का कानून ही अब तुझे सबक सिखाएगा,अपनें भारत का कानून फांसी पर तुझे झुलाएगा ।। ©Ashok Verma "Hamdard" अपराध
Parasram Arora
अब कैसे जी पायेगा कैसे बच पायेगा उस मछली का वो नवजात वंशज़ जिसे एक सिरफिरी लहर ने उछाल कर फेंक दीया है तट की तपी हुई रेत पर जबकि उस नवज़ात कि नसीब नहीं हुआ था मातृत्व का सुख और वो लहर भी बच नहीं सकी क्योंकि वो भी तट से टकरा कर बिखर चुकी थी अब इस अपराध की यातना भुगतेगा कौन यही यक्ष प्रश्न है ©Parasram Arora अपराध
Parasram Arora
#FourLinePoetry दर्द अगर मचल जाये तो गीतों का वह अपराध नही है अश्रु अगर ढलक जाए तो पलकों का वो अपराध नही है सोम स्वयं ही छलक जाये तो अधरों का वो अपराध नही है सुरभि गुलशन मे बिखर जाये तो भ्र्मरों का वो अपराध नही है ©Parasram Arora अपराध......