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Prerit Modi सफ़र
क़ुदरत-ए-निज़ाम मुस्तक़ीम है हर चीज़ समय-सीमा के चक्रव्यूह में है जो आया है उसका जाना निर्धारित है सब को एक ना एक दिन फ़ानी होना है "खियाबां इंसाँ की हो या फ़ूलों की एक ना एक दिन फ़ानी होना है" 【क़ुदरत-ए-निज़ाम- rules of nature, मुस्तक़ीम- दृणता, निष्ठुर खियाबां- फूलों की क्यारी】 Challenge-90 #collabwithकोराकाग़ज़ 40 शब्दों में हमें
Next Level Astrology
Divyanshu Pathak
जयति जय जय रात नियंता जयति बाधा निवारिणी। जयति विघ्न भय भूत हर्ता जयति ओज प्रदायनी। 07 जयति जय जय रात नियंता जयति बाधा निवारिणी। जयति विघ्न भय भूत हर्ता जयति ओज प्रदायनी। 07 कायरता को दूर करे वीरत्व सभी को देती है। नाश करे हर
Divyanshu Pathak
सज्जन हो मन आपणों, शान्ति रहे प्रदेश। शिक्षा और सौहार्द से भरा रहे यह देश। भटके पथ हैं आपणों, कुटिल क्रूर आवेश। बढ़ती जाती वासना,बदल बदल कर भेष। रक्षक ही भक्षक हुए, तक्षक हुए प्रवेश! जन्मेजय की आवणी बोलो तुम अनिमेष। तुम अपनी दो चतुराई, दृणता रहे विशेष। कर्तव्यों की राह पर रहे ना कुछ भी शेष। दूर करो संकट सभी और मिटाओ क्लेश। सुख वैभव से वार दो मंगलमूर्ति गणेश। सज्जन हो मन आपणों, शान्ति रहे प्रदेश। शिक्षा और सौहार्द से भरा रहे यह देश। भटके पथ हैं आपणों, कुटिल क्रूर आवेश। बढ़ती जाती वासना,बदल बदल
Divyanshu Pathak
जितने तोड़े गए डाल से उतने ही हम खिल जाते हैं एक नई आशा की आँखे पाँखें लेकर मिल जाते हैं ! जब जब भी जिससे मिलते हैं पूरे के पूरे मिलते हैं केवल मिलना भी क्या मिलना हम तन मन से हिल जाते हैं ! रहा न कुंठाओ से परिचय अपना पुलकभरा संसार ! शंकाओं का हरण करेंगे मन पर भार नहीं स्वीकार👨 विजयश्री का वर्ण करेंगे हमको हार नहीं स्वीकार !🙋 : #komal sharma #deepti agrawal #shweta mishra
Shruti Gupta
पुष्पों के रंगों सा ही सजी, खुशबू से लदी, सुकुमार कली, अधीर पवन, सृष्टि की अधर, सौंदर्य, नम्रता की पंखुड़ी। पूर्ण सृष्टि है मनोहर मेरे बाघ से, मै नारी हूँ सौभाग्य से। मेरे गरिमा का पर मान कहां? मेरे प्रतिबिंब का सम्मान कहां? जिस वक्ष के दुग्ध से सीचा है उस शिशु को मेरा नाम कहां? नग्न विश्व में त्राहि है दुर्भाग्य से, क्या मै नारी हूँ सौभाग्य से? (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) (कृपया पूर्ण कविता पढ़े...adhure me hi skip Na kre) पुष्पों के रंगों सा ही सजी, खुशबू से लदी, सुकुमार कली, अधीर पवन, सृष्टि की अधर, सौंदर्य
amar gupta
पुष्पों के रंगों सा ही सजी, खुशबू से लदी, सुकुमार कली, अधीर पवन, सृष्टि की अधर, सौंदर्य, नम्रता की पंखुड़ी। पूर्ण सृष्टि है मनोहर मेरे बाघ से, मै नारी हूँ सौभाग्य से। मेरे गरिमा का पर मान कहां? मेरे प्रतिबिंब का सम्मान कहां? जिस वक्ष के दुग्ध से सीचा है उस शिशु को मेरा नाम कहां? नग्न विश्व में त्राहि है दुर्भाग्य से, क्या मै नारी हूँ सौभाग्य से? (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) (कृपया पूर्ण कविता पढ़े...adhure me hi skip Na kre) पुष्पों के रंगों सा ही सजी, खुशबू से लदी, सुकुमार कली, अधीर पवन, सृष्टि की अधर, सौंदर्य
Divyanshu Pathak
9. माँ सिद्धिदात्री और अंक एक (1) --------- एक (1) ही सृष्टि एक (1)ही सृष्टा एक (1) ही ब्रह्म और एक (1) ही माया। सम्पूर्ण जगत एकही की छाया। हम नवरात्रों में अंक 9 से 8 तक का सफ़र तय कर चुके हैं-- जीवन के विभिन्न आयामों को अभिव्यक्ति देते माता के 8 रुपों को आप तक मैंने पहुँचाया आज माता सिद्धिदात्री का दिन और संख्या एक ( 1 ) है। जीवन शून्य से 1 होने की यात्रा है। जैसे धरती की सभी नदियों का समुद्र हो जाना।गीता में कृष्ण कह रहे हैं कि इस जगत को धारण करने वाला पिता, माता, पितामह, जानने योग्य पवित्र ऊँ कार, ऋक्-साम-यजु:वेद भी मैं ही हूं। पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामह:। वेद्यं पवित्रमोंकार ऋक्साम यजुरेव च।। (9.17) अंक ज्योतिष में एक (1) दृण इच्छाशक्ति ,तेज, साहस और प्रसिद्धि को दर्शाता है। माता सिद्धिदात्री की उपासना से ये सब कुछ हमें सहज ही प्राप्त हो जाता है। कैप्शन पढ़ें---- 9. माँ सिद्धिदात्री और अंक एक (1) --------- एक (1) ही सृष्टि एक (1)ही सृष्टा एक (1) ही ब्रह्म और एक (1) ही माया। सम्पूर्ण जगत एकही की छाया।
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
निश्चय अपना तू दृढ़ कर होंसला तू हिमालय कर उड़ चल नभ से भी ऊपर, आसमाँ से ऊंचा कद कर हार का कोई भय न कर कर्म में तू आग पैदा कर निश्चय ही जीत तेरी होगी, आंसुओ को तू शोला कर हंस रहा ज़माना तुझ पर ताने दे रहा जिंदगी भर तू मिटा मन का अंधेरा, बन जा साखी दिनकर निश्चय अपना तू दृढ़ कर मंजिल पे अविराम पग धर मत रुक,मत विश्राम कर लक्ष्य के लिये हरपल मर थकना नही,रोना नही, अपनी सोच तू बदल पैदल चल,जरूर चल हिम्मत को कर अनल ख्वाबो में भी तू कभी लक्ष्य मत कर ओझल निश्चय अपना तू दृढ़ कर इतिहास का हो सुदृढ नर दिल से विजय दृढ़ निश्चय