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VIIKAS KUMAR
Dr. Reckeweg R5 homeopathy medicine 👉Dr. Reckeweg R5 पेट और पाचन ड्रॉप एक होम्योपैथिक ड्रॉप है, जो तीव्र और जीर्ण जठरशोथ, नाराज़गी, पेट फूलना और डकार के लिए उपयोगी है। यह जठरांत्र संबंधी विकारों को दूर करने में मदद करता है और पाचन स्वास्थ्य में सुधार करता है। 👉मुख्य सामग्री: एनाकार्डियम, अर्जेंटीना नाइट्रिकम, आर्सेनिकम एल्बम, बेलाडोना, कार्बो वेजिटेबिलिस, कैमोमिला 👉मुख्य लाभ: 👉डकार और मुंह के दुर्गंध को दूर करता है उल्टी के साथ पेट में जलन दर्द से राहत दिलाता है 👉गैस्ट्रो-आंत्र विकारों और यकृत और पित्त समारोह के लिए फायदेमंद 👊भूख की कमी, कब्ज और पेट फूलना में सुधार करने में मदद करता है खुराक: भोजन से पहले थोड़े पानी में 10-10 बूंदें, दिन में 3 बार। ©VIKAS KUMAR पेट फूलना और डकार के लिए उपयोगी
Kalpana Tomar
#FourLinePoetry चाहा भी, चाहा भी नहीं, ये नामुमकिन सा लगता है। हंसना संग में, गाल फुलाना, ये कैसे हो सकता है। ©Kalpana Tomar हंसना संग में गाल फूलना........... #nojohindi #nojolove #nojo_quotes
Imran Shekhani (Yours Buddy)
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
यादें दिसम्बर कि इस ठंड में एक अजीब सी चूभन होती है जब याद आती है .....माँ वो माँ के संग चूले पर बैठना वो जलती हुई लकडियों का चटकना चूले पर रखी दाल कि खूशबू का महकना उन लाल लाल अगारों मे रोटी का फूलना बडा सकून मिलता था जब एक रोटी वहीं बैठे गुड के साथ खा लेना आज भी दिसम्बर वही है पर....माँ नहीं बस रहती है तो अतीत की कुछ यादें सीने के किसी कोने पर- जैसे ठंड से ठिठुरती हुई.... 🖋.... ©Ankur Mishra #यादें दिसम्बर कि इस ठंड में एक अजीब सी चूभन होती है जब याद आती है .....माँ वो माँ के संग चूले पर बैठना वो जलती हुई लकडियों का चटकना चू
Divyanshu Pathak
आप लोगों की मोहब्बत को मेरा दिल से सलाम ऐसे ही पढ़ते रहो पढ़ाते रहे मेरे अल्फ़ाज़ अपने क़लाम ! शब्द और भाव दौनों को आप लोगों ने बहुत प्यार दिया है यौर्कोट्स परिवार और मेरे शब्दों को चाहने वालो असली पाठक तो आप है। आपके हृदय में बैठे इस
रजनीश "स्वच्छंद"
कब रुकता है।। पांव के छाले देखकर चलना कब रुकता है। तम से घिरा ये जुगनू जलना कब रुकता है।। तुम में मैं तुम मुझमे दोनों एक मे शामिल, जो हाथों से छूटे हाथ बढ़ना कब रुकता है। एक लहु है एक जमीं अम्बर एक है अपना, रात से डर सूरज का चढ़ना कब रुकता है। मेरा कंधा या तेरा कंधा है दोनों का अपना, भार से डर पेड़ का फलना कब रुकता है। एक कदम पे है मंज़िल पांव बढ़ा कर देख, गहराई से डर बोलो झरना कब रुकता है। अनन्त नही आयु तेरी काम नेक कर जा, इक्षाओं से डर बोलो मरना कब रुकता है। इस कागज़ पे सार तुम्हारा मैंने है लिख डाला, किसी से डर कवि का कहना कब रुकता है।। ©रजनीश "स्वछंद" कब रुकता है।। पांव के छाले देखकर चलना कब रुकता है। तम से घिरा ये जुगनू जलना कब रुकता है।। तुम में मैं तुम मुझमे दोनों एक मे शामिल, जो हाथो
Anamika Nautiyal
बणों का फूलो मां ऐ ग्ये फूलार सज्यां होला खोला-घर-द्वार बाला-ज्वान सभी हैंसणा होला मुख पर आयूँ होलू उलार जंगलों के फूलों में पुष्पन आ गया
वाशुदेव यादव
ईस लरका का नाम हे अभिषेक अनद ऐ आदमि किया काम करते हे सो हम बताते हे ईनको दो मोवाल नवर हे ऐ आदमि आपका मोवाल पर कल करेगा फिर फिर आप से पुछे गा
AB
मुआफियां किश्तें हैं वे उधार नहीं रखती वफ़ा तो क्या जफ़ा भी हज़ार सह लेती,! क़ुर्बतों की निगहबानी बेहद सख़्त हैं वे कभी भी पतझड़ सी नहीं बिखरती,! ज़माल है यह उनकी ज़िंदादिली का वे तसव्वुर में भी कभी किसी का बुरा नहीं सोचती ,! बेमानी नहीं आती उनको कसूर-ए-ज़ीस्त बड़ी नाज़ुक़ हैं ज़रा सा भी ऐब नहीं रखती,! बड़ी ही नज़ाकत है उनके लहज़े में ख़्याल सबका हैं रखती कभी किसी से नहीं रूठती,! A good being, a phenomenal writer, best friend, best sister, daughter, with beautiful mind, pure heart, and Yeah a beautiful soul,!💚 Wish