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Bhupendra Singh
देखिए ना हमें देखिए इस कदर फिर न करना गिला हादसा हो जाएगा हम घड़ी दो घड़ी बस खयालों में है बेसब्र हों जाओगे, कोई हमसा जो हो जाएगा। 😌 ©Bhupendra Singh देखिए ना हमें देखिए इस कदर
Prashant Mishra
रात भर जागने का हुनर देखिए इश्क़ में है ग़ज़ब का असर देखिए --प्रशान्त मिश्रा "असर देखिए"
JD
छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था अब कोई और है वापस तो आ कर देखिए अक़्ल ये कहती दुनिया मिलती है बाज़ार में दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए मेरी ये वीरान आँखें कह रही हैं दोस्तो सारे सपने टूटते हैं आज़मा कर देखिए हर शख्स घूम रहा है चेहरे पे नकाब लिए बस दो पल आंखों में झांक कर देखिए ***** #देखिए #StarsthroughTree
JitenderDsc
प्यार होना ही सब कुछ नहीं होता। उसकी इबादत भी जरूरी होती है। सोचिए और देखिए
Ek villain
जब गुण चरित्र का हिस्सा नहीं होते तब किसी मनुष्य के विकार परवल होते हैं ऐसे में वह जो भी करता है उससे ना तो उसका अपना कोई हित होता है ना ही समाज का भले कार्य को लक्ष्य मात्र लोक प्रशासन और स्वयं के स्थापित करना रह गया है मनुष्य नहीं है रहा अपनी मर्जी से चुनी है परमात्मा की प्रेरणा एसके पुणे ता विपरीत है सृष्टि का भला परमात्मा की प्रेरणा धारणा करने में ही है धरती पर कई प्रकार के व्यक्ति हैं जो फल देते हैं उनकी कभी पूजा वंदना नहीं की जाती फिर भी वह फल देते हैं सूर्य और चंद्रमा के अतिरिक्त आकाश में यह संख्या तारे भी हैं उनकी पूजा नहीं होती उनका कोई नाम ही नहीं है फिर भी वह चमकना नहीं बोलते संसार के प्रकरण में नित्य आसन के फूल खिलते उनमें से थोड़े ही पूजा स्थल में आप प्रेत होते हैं किंतु शेष फूल भी वैसे ही अपना सौंदर्य और सौगंध भी करते हैं जैसे पूजा स्थलों तक आ जाने वाले फूल हैं इसलिए क्योंकि ऐसा करना उनकी स्थाई स्वभाव है फूलों फूलों और तारों के लिए प्रशासन का भाव श्वेता ही प्रकट होते हैं मनुष्य को इसके लिए प्रयास करना पड़ता है क्योंकि वह उसका आचरण फूल फल और तारो जैसा नहीं संसार में कितने ही शक्तिशाली सम्राट धनवान विद्वान रानी और कुल 1 हुए होंगे किंतु कोई उनके बराबर में जानता तक नहीं है सदियों बाद भी आज उन्हें आधार को प्राप्त हो रहे हैं उन्होंने समाज को कुछ दिया तो निर्लिप्त भाव से उन्होंने अपने कार्य का प्रचार नहीं किया अपने चिंतन का प्रचार नहीं किया जब उनका चिंतन उनके कार्य सामाजिक हितों की कसौटी पर खरे उतरे तो समाज ने स्वयं उन्हें आगे रखकर उनकी श्रद्धा और भावना के द्वार खोल दिए ठीक है हर मनुष्य संत नहीं बन सकता किंतु संत वृत्ति तो अपना सकता है जब है इस राह पर चलने पड़ेगा तो उसे किसी प्रचार लो प्रशंसा की मौत नहीं रहेगी समाज में स्वयं उसका स्थान बन जाएगा इसी लिए किसी प्रकार की व्यग्रता दिखाने से बचना होगा ©Ek villain # करके देखिए #Dilade