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✍️ हरीश पटेल "हर"
विधा - सजल कर्म करता चल कभी कुछ कर जाएगा गन्दी आदतें छोड़ दे सुधर जाएगा मित्रता हमने किया था, वादे बहुत थे नहीं पता था, वचन से मुकर जाएगा नाम कमाना तो उम्रभर कि फुर्सत है एक बदनाम पल से तू सिहर जाएगा लोग कहतें हैं गाँव में अच्छा था "हरिश" हालात पढ़ने अब वो शहर जाएगा सँजोया "हरिश" , सलीके से स्वप्न था किसे मालूम था कि वो बिखर जाएगा जमाने तू देखता जा ये स्वर्ण है आग में कुंदन - सा ये निखर जाएगा कविता से दूर न करना प्राण है मेरा जब लिखना बंद होगा "हर" मर जाएगा ,,,,,,,,,,✍️हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन (थान खम्हरिया) बेमेतरा #हरीश
✍️ हरीश पटेल "हर"
तुझको तेरी नहीं खबर "मैं कौन हूँ" यह प्रश्न कर क्या भूमिका है जगत में इसका भी तू विचार कर लत छोड़ दो नशे का तुम तू आदतन कुछ तो सुधर जीवन नैया, छेद न हो डूबा ही देगा समंदर अपने ही देते झटके अपनों को पहचानों *हर* ,,,,,,,,,✍️हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन (थान खम्हारिया) बेमेतरा(छ. ग.) 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 #हरीश
✍️ हरीश पटेल "हर"
अपनी कमियाँ देख ,तेरा अच्छा होगा परहित कुछ कर देख ,तेरा अच्छा होगा चंदा , गंगा , सूर्य , वृक्ष सब देव हैं तू बस नर बन देख, तेरा अच्छा होगा बातें करता बड़ी बड़ी तू बस अपनी तू मौनी बन देख, तेरा अच्छा होगा दया ,क्षमा,हो शील सदा तेरे दिल में तू दानी बन देख, तेरा अच्छा होगा तन,मन ,धन, जीवन राष्ट्र पर न्योछावर बलिदानी बन देख, तेरा अच्छा होगा कंटक पथ ही है ये मंजिल पाने की चल राही बन देख, तेरा अच्छा होगा "हर" जाने ये व्यर्थ प्रलोभन है जग का चल त्यागी बन देख , तेरा अच्छा होगा #हरीश
✍️ हरीश पटेल "हर"
विधा - सजल प्रेम मेरा पहला पहला था उम्र थी सोलह न सम्भला था पाइथागोरस सूत्र भुलाकर प्रिया कि गली में मैं ठहला था साथ थे मेरे मित्र वो केशव देवकीनंदन का जुमला था पूजा पाठ सब छोड़ छाड़ कर पिय को मनाने में बहला था वो भी कहती "प्रीत हरीश है" दिया उसे गुलशन गमला था वो भी दे गई बड़ा सा धोखा पीठ पीछे कस के हमला था "हर" प्रीत करना पर न छोड़ा बेइज्जती नहले पे दहला था ✍️हरीश पटेल "हर" #हरीश
✍️ हरीश पटेल "हर"
विधा - सजल कर्म करता चल कभी कुछ कर जाएगा गन्दी आदतें छोड़ दे सुधर जाएगा मित्रता हमने किया था, वादे बहुत थे नहीं पता था, वचन से मुकर जाएगा नाम कमाना तो उम्रभर कि फुर्सत है एक बदनाम पल से तू सिहर जाएगा लोग कहतें हैं गाँव में अच्छा था "हरिश" हालात पढ़ने अब वो शहर जाएगा सँजोया "हरिश" , सलीके से स्वप्न था किसे मालूम था कि वो बिखर जाएगा जमाने तू देखता जा ये स्वर्ण है आग में कुंदन - सा ये निखर जाएगा कविता से दूर न करना प्राण है मेरा जब लिखना बंद होगा "हर" मर जाएगा ,,,,,,,,,,✍️हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन (थान खम्हरिया) बेमेतरा #हरीश
✍️ हरीश पटेल "हर"
पैसों के पीछे पागल फिरता क्यों हर पल स्वारथ का पुतला बनता क्यों धरती पर प्यार लुटाने आया है घृणा , द्वेष , नफरत , तू करता क्यों मात मिली तो ,मौका फिर से पाया कोशिश कर फिर से नहीं भिड़ता क्यों टूटेगा नित घर्षण से पर्वत भी स्वयं के साहस को नहीं पढ़ता क्यों तन जाएगा ,धन जाएगा ,सबकुछ "हर" इसी बात को नहीं समझता क्यों ,,,,,,,,,🖋️ हरीश पटेल "हर" ग्राम - तोरन(थान खम्हरिया) बेमेतरा #हरीश पटेल