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Anushka Anand (nush gupta)
थोड़ी देर से ही सही, पर आईं कानून की सुनवाई। भाईचारा की गीत गूंजेगी हर गली में, अब दिखेगी समाज़ में मित्रता की अच्छाई।। अब कोई दंगा न होगा, ना कोई रहेगी विवाद की परछाई। हर आंगन में खुशियां होगी, जैसे बहती हो शान्त हवा की पुरवाई।। राम नाम का जाप भी होगा, अल्लाह की नमाज़ अदा भी होगी। ना कोई रंजिश होगा मन में, ना अब होगी किसी भी धर्म की रुसवाई।। ये है मेरी मातृभूमि की कर्मा स्वरूप। ये है मेरे अदभूत भारत की सच्चाई।। #कर्मा #धर्म #nojotopoem #myfeeling #myquotes
Yog Ananta Studio
Shalini Sinha
धर्म सिर्फ रास्ता दिखाता है, मंजिल तक तो सिर्फ कर्म ही ले जाता है।। धर्म और कर्मा ।। #hindiquotes #igwriters #igquotes #yqdidiquotes #yourquotebaba #dharmasaves
Parasram Arora
एक कली नन्ही सीi. इतराई थी अपनी गंध भरी देह देख कर आज वह विवशता के झांसे मे हा जा फंसी आया था भ्र्मर रसविहीन कर गया था उसे औऱ रवि किरणों ने शुष्कतकीओर ढकेल दिया उसे.... सुबह ही तो जन्मी थी कितनी प्रसन्न थी वो हाय जीवन उसका नष्ट हुआ ऐसी ये क्या शाम हुईं यहां हरचीज बनती औऱ बिगड़ती हैँ सत्तत प्रवाह हैँ कुछभी यहां स्थिर नहीं....... मरण धर्मा.....
ranjit Kumar rathour
सब्बो जो मिली थी ट्रेन में मिली थी पहली बार एक इत्तेफाक था की उसे पूरे बोगी में मेरी पास वाली ही सीट मिली थी उसका रंग सांवला सा था सांवला भी नही काली ही थी उसपे पगली ने काजल लगा रखी थी एक बार क्या मिली जहा तहां मिल जाती कभी बस में तो कभी घोड़ा गाड़ी अब तो हद हो गयी मेले में भी मिल गयी मैंने भी ये काली कलूटी लगती पीछे पड़ गयी मैं भागता रहा और वो मिलती रही एक दिन उसने कह ही दिया तुम मूझे अच्छे लगते हो मैं क्या करता मुझे अच्छा लगता तब तो आखिर कर पिंड छूट ही गया लेकिन सालो बाद फिर उसी की कहानी दोस्तो को सुनाता हूँ क्यों जानते हो कोई दूसरी वैसी मिली नही जिसने आगे आकर कहा हो कि उसे मुझसे प्यार हो गया हैं मेरे दूर भगने पर भी करीब आयी हो ये कोई और नही थी ये निर्मल वर्मा कि बिट्टो छुट्टी वाली मेरी मेरी ट्रेन वाली सब्बो थी असली नाम सावित्री जिसे भूलना सभव नही था लिख डाला। ©ranjit Kumar rathour मेरी ट्रेन वाली सब्बो #निर्मल वर्मा की बिट्टो जैसी #poetry month
Shravan Goud
काली महाकाली कालिके परमेश्वरी । सर्वानन्दकरी देवी नारायणि नमोऽस्तुते।। काली कल्याणी है, हम सबका कल्याण करने वाली माता है।
Kavi Shailesh Sharma (Sarang)
SK Poetic
“अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: ” इस श्लोक के अनुसार अहिंसा ही मनुष्य का परम धर्म हैं और जब जब धर्म पर आंच आये तो उस धर्म की रक्षा करने के लिए की गई हिंसा उससे भी बड़ा धर्म हैं। यानि हमें हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाना चाहिए लकिन अगर हमारे धर्म पर और राष्ट्र पर कोई आंच आ जाये तो हमें अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का रास्ता अपनाना चाहिए। क्यूंकि वह धर्म की रक्षा की लिए की गई हिंसा ही सबसे बड़ा धर्म हैं। जैसे हम अहिंसा के पुजारी है लकिन अगर कोई हमारे परिवार को कोई हानि पहुंचता हैं तो उसके लिए की गई हिंसा सबसे बड़ा धर्म हैं। वैसा ही हमारे राष्ट्र के लिए हैं। ©S Talks with Shubham Kumar #safar अहिंसा परमो धर्मा
Moin Khan Silawat
अब कहा सजती है वो महफिले गली के चौराहो पर हर कोई मसरूफ है यहां धर्म को "धन्धा" बनाने मे written by moin khan #धर्म #धर्म