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chahat
शब्द लिखते हुए शब्द अल्फाज बन जाते है । लिखते हुए अल्फाज जज्बात में बदल जाते है।। जज्बात यू शब्दो में लिख जाते है। कलम की नोक पर अपनी हर बात कह जाते है।। जब दर्द देते है ये शब्द तो जैसे तलवार बन जाते है। उन अल्फाजों को थोड़ा सजाकर हम शायर बन जाते है।। कभी गजल कभी कविता। आंखो से बहती सी सरिता।। जैसे दिल ए एहसास एक गागर में समा जाते है। और थामकर अपनी कलम हम बस लिखते जाते है।। हम बस लिखते जाते जाते है............. ©chahat शब्द सरिता
vijay kumar nag
-शब्दों का संसार- शब्द रचे जाते हैं, शब्द गढ़े जाते हैं, शब्द मढ़े जाते हैं, शब्द लिखे जाते हैं, शब्द पढ़े जाते हैं, शब्द बोले जाते हैं, शब्द तौले जाते हैं, शब्द टटोले जाते हैं, शब्द खंगाले जाते हैं, अंततः शब्द बनते हैं, शब्द संवरते हैं, शब्द सुधरते हैं, शब्द निखरते हैं, शब्द हंसाते हैं, शब्द मनाते हैं, शब्द रूलाते हैं, शब्द मुस्कुराते हैं, शब्द खिलखिलाते हैं, शब्द गुदगुदाते हैं, शब्द मुखर हो जाते हैं, शब्द प्रखर हो जाते हैं, शब्द मधुर हो जाते हैं, फिर भी- शब्द चुभते हैं, शब्द बिकते हैं, शब्द रूठते हैं, शब्द घाव देते हैं, शब्द ताव देते हैं, शब्द लड़ते हैं, शब्द झगड़ते हैं, शब्द बिगड़ते हैं, शब्द बिखरते हैं शब्द सिहरते हैं, किंतु- शब्द मरते नहीं, शब्द थकते नहीं, शब्द रुकते नहीं, शब्द चुकते नहीं, अतएव- शब्दों से खेले नहीं, बिन सोचे बोले नहीं, शब्दों को मान दें, शब्दों को सम्मान दें, शब्दों पर धयान दें, शब्दों को पहचान दें, ऊँची लंबी उड़ान दे, शब्दों को आत्मसात करें... उनसे उनकी बात करें, शब्दों का अविष्कार करें... ध्यान से सुने ..... गहन सार्थक विचार करें..... व ध्यान से समझें, फिर उत्तर दें क्योंकि- शब्द अनमोल हैं... ज़ुबाँ से निकले बोल हैं, शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती, शब्दों का विशाल भंडार होता है, और सच तो यह है कि- शब्दों का अपना एक संसार होता है ©vijay kumar nag शब्द क्या है? #Mic
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
शब्दों को पढ़ा है ! बोला है! महसूस किया है क्या कभी? किसी शब्द की गर्दन पर उंगली रख कर सहलाया है कभी? किसी शब्द के सीने पर कान लगाकर धडकनें सुनी है उसकी? तुम कहोगे एक शब्द की इतनी हस्ती ही नहीं! शब्द ही तो है! कितने शब्दों पर तुमने ठहाके लगाए हैं! कुछ पर रोये भी होगे शावर में खड़े होकर! पर कभी किसी पन्ने पर लिखे ‘आं+सू’ को छूने से उंगलियों में नमक लगा है? ‘बा+रि+श’ पढ़कर सर पोछने का मन करता है? पैरों में कीचड़ महसूस होता है? ‘ब+च+प+न’ को अपने सीने पर रख कर देखो! कोई नंगा सा बच्चा घंटो चीटियों से खेलता हुआ दिख रहा है? क्या कभी ‘त+न्हा+ई’ को पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे तुम्हारा कोई बेहद ख़ास तुम्हारे सीने में सरिया घुसाकर हंस रहा है तुम्हे देखकर और वो जगह आज तक न भरी हो?” ‘श+म+शा+न’ पढ़कर कान के पीछे से ठंडी हवा गुज़रती है? वो बचपन का सपना दिखता है जिस पर कोई तुम्हारे सीने पर बैठ गया था और तुम उठ नहीं पा रहे थे? ‘भू+त’ पढ़ते हो तो अपने अगल बगल देखते हो तुम? कि इस रात में कोई पीछे से तुम्हारी स्क्रीन पर तो नहीं देख रहा? पीछे मत देखना मैंने कहा! ‘या+द’ सुनकर क्या तुम किसी भूले हुए शक्श की चेहरे की खाल को अपने नाखूनों से कुरेदते हो परत दर परत? उसे दर्द हो रहा है छोड़ दो उसे! क्या कभी ‘वि+ध+वा’ पढने पर तुमने उसके साथ बैठ कर अपनी चूड़ियाँ तोड़ी? ‘बाँ+झ’ पढ़कर उसके रोने के ठन्डे सुरों से सुर मिलाएं हैं कभी? ‘प्या+र’ सुनते हो तो कैसा महसूस होता है? मुझे लगता है तुम्हे घिन आती है! उबकाई सी! अपना नाम सुनते हो तो कैसा लगता है? कोरापन? ऐसा लगता है जैसे कोई खाली डब्बा रोड पर किसी कबाड़ी के इंतज़ार में है? तुमने याद किये है बहुत से शब्द! कुछ शब्द है जो तुम भूल गए! कुछ शब्द जो तुम भूलना चाहते हो पर भूल नहीं पा रहे! जो ‘वो’ कहती थी तुमसे तुम्हारे कंधे पर सर रख कर! तुम्हारे कानों में फुसफुसाती थी! कितने कमज़ोर हो तुम एक उस एक अदने से 'शब्द' से हर रात हारते हो! “तुमने शब्द पढ़े है! महसूस किया है कभी?” ©Ankur Mishra #तुमने #शब्दो #को #पढ़ा #है #मेहसूस #किया #है #कभी..... #शब्द
Shravan Goud
प्रभु की कृपा दृष्टि को देखना हो तो आपको सरलता का अभ्यास करना होगा। सरलता में जीवन गुजारना आज के जमाने में बहुत ही मुश्किल है। सुख सुविधाओं को त्यागना सरलता नही है, सुख सुविधाओं के साथ रहकर भी उसका आदि ना बनना ही सरलता है। सरलता भगवद प्राप्ति का मार्ग है।
Shravan Goud
सच्चे दिल से मां को याद करने पर कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी इंसान की नैय्या पार हो जाती है। सरलता ही भक्ति का सुगम मार्ग है।
Shubham Bhardwaj
क्या खूबसूरत प्यार का,इजहार किया है। हमने भी सदियों से,बस तेरा ही इंतज़ार किया है।। ©Shubham Bhardwaj #umeedein #क्या #खूबसूरत #प्यार #का #इजहार #किया #है
Chintoo Choubey
सरल साधारण नहीं होता, सरलता के पैमाने को प्राप्त करने के लिए मन को मनाना आवश्यक है, सरलता का सार