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somnath gawade

शालेय जीवनात
"मी मुख्यमंत्री झालो तर"..
हा निबंध नसता तर
आज हा सत्तासंघर्ष
उद्भवलाच नसता. #निबंध
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YOGESH SINGH

निबंध

निबंध #कविता

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हेयर स्टाइल by mv

#diwali पर निबंध#

#Diwali पर निबंध# #मीम

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Bishnu kumar Jha

फूल पर निबंध #Essay

फूल पर निबंध #Essay #जानकारी

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Pradeep

एक ऐसा निबंध है

एक ऐसा निबंध है #Comedy

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Soumitra Goutam

#मैंमोबाईलहूं
#कविता 
#निबंध 
#शायरी 
#मोबाइल
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Shafiqur Rahman

कोरोनावायरस पर हिंदी में निबंध

कोरोनावायरस पर हिंदी में निबंध #हॉरर

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पलक यादव

. कुत्ते पर निबंध लिखना चुटकुला

. कुत्ते पर निबंध लिखना चुटकुला #स्पोर्ट्स

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Akhilesh

गाय पर निबंध (Essay on Cow)

गाय पर निबंध (Essay on Cow) #Knowledge

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Shilpi

ह्दय से माने-प्रभु 'श्री राम' को

'त्यौहार'- संस्कृति की विशिष्ट पहचान है।भारत व विदेशों में प्राचिनतम 
समय से चलती आ रही मानवीय संस्कृति व परंपरा का परिचायक है-'त्यौहार'।
हिंदु धर्म व समाज में अनेकों पूजनीय देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के उद्देश्य मात्र से नहीं,अपितु पीढ़ियों से चलती आ रही मान्यताओं,श्रद्धा-भक्ती,ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था को मानव जीवन से जोड़ने वाले सभी त्यौहार उस पुल के समान हैं,जिनके ढ़हने मात्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती।स्पष्ट रूप से यह कहे कि-
"त्यौहार मानव समाज की आधारभूत शीला है।"
परंतु वैश्विक महामारी के इस दौर में इस माह तक आने वाले सभी त्यौंहारो को निकटता से देखने समझने का व मनोरंजन और आस्था से संबंधित होने वाली सभी क्रियाकलापों को स्थगित किया जा चुका है,और किया जाएगा।परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि श्रद्धा-भक्ति के ढांचे को किसी भी प्रकार से तोड़ने का प्रयास भारत सरकार अथवा किसी भी विशिष्ट जन समूह द्वारा किया जा रहा है।केवल प्राणी मात्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कुछ समय के लिए हमें शारीरिक क्रियाकलापों को रोकना है,ताकि भविष्य में मानवीय आस्था व संस्कृति को बचाया जा सके।
यहां विचार करने योग्य बात यह है कि मानवीय आस्था केवल शारीरिक क्रियाकलापों से जुडी है?आस्था व श्रद्धा भक्ति 'ह्दय' से निकलने वाली वह सकारात्मक शक्ति है,जो संपूर्ण जगत को ईश्वर से जोडती है।केवल मन ही ईश्वर का दर्पण होता है।मानव नेत्र में वह शक्ति नहीं,जो मन रूपी नेत्र में है।ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ती के फलस्वरूप जो मधुर ध्वनि मानव मन सुन सकता है,उसे सुनने का साहस कर्ण कैसे करेगा?कान तो दिखावा मात्र है।शारीरीक अंग केवल सांसारिक वस्तुओं को आकर्षित करती है,परंतु मन केवल और केवल इश्वर को।
आज संपूर्ण भारत का ह्रदय अयोध्या में अटका पडा है,जहां श्री राम के आगमन के लिए ढेरों तैयारियां चल रही।परंतु सभी देशवासियों को यह स्मरण रखने की आवश्यकता है कि अयोध्या का स्थल इतना तो विशाल नहीं कि संपूर्ण जगत वहां समा जाए,परंतु मन ऐसा अनंत विशाल क्षेत्र है जहां
संपूर्ण जगत के प्रभु श्री राम समा जाए।
अत: श्री राम की भक्ति मन से हो।केवल शारीरीक क्रियाकलाप से नहीं। #एक निबंध....मेरे द्वारा लिखी गई।

#एक निबंध....मेरे द्वारा लिखी गई।

59 Love

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Rajkumar Prasbi

#rkprasbi निबंध - बच्चे - ✏️Rajkumar Prasbi

#RKPrasbi निबंध - बच्चे - ✏️Rajkumar Prasbi #प्रेरक

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Akash 24

हप्पू सिंह ने लिखा पिताजी पर निबंध

हप्पू सिंह ने लिखा पिताजी पर निबंध

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Hetal Joshi

 गाय पर निंबध...

गाय पर निंबध... #nojotophoto #કલા

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Bhomu Daukiya

हमारा भारत देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहाँ सारे तीज त्यौहार को सभी जाति धर्म के लोग मिल जुलकर बड़े धूमधाम से मनाते है. राखी, दिवाली, दशहरा, ईद, क्रिसमस और भी अनेको त्यौहार को सभी लोग साथ में मनाते है. भारत देश में त्योहारों की कमी नहीं है, धर्म जाति के हिसाब से सबके अलग अलग त्यौहार है. लेकिन कुछ ऐसे भी त्यौहार है, जो किसी जाति विशेष के नहीं है, बल्कि हमारे राष्ट्र के है, जिसे हम राष्ट्री पर्व कहते है.

©Bhomu Daukiya
  #लेख #निबंध  Rajesh rajak UnknownWriter raushan singh aman6.1

#लेख #निबंध Rajesh rajak UnknownWriter raushan singh aman6.1 #जानकारी

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Anuradha T Gautam 6280

😅निबंध-शराब..🖊️#अनु ॲजुरि🤦🏻🙆🏻‍♀️

😅निबंध-शराब..🖊️अनु ॲजुरि🤦🏻🙆🏻‍♀️ #विचार

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महर्षि वाल्मिकी मराठी न्युज

लातूर दुय्यम निबंधक कार्यालय

लातूर दुय्यम निबंधक कार्यालय #मराठीसस्पेन्स

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Sayli Dhepe

hi kavita eka bapasathi

© 🙏🙏वडिलांना समर्पित 🙏🙏

🙏🙏वडिलांना समर्पित 🙏🙏 #Life

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BHUSHAN

येथे निबोध झाल्यात कविता

#Stay

येथे निबोध झाल्यात कविता #Stay

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Ramesh Jadhav

आई वडिलांना कधी वाईट बोलू नये

आई वडिलांना कधी वाईट बोलू नये #मराठीसंस्कृति

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karan.Roy.

🌺आई 🌺वडिलांची 🌺 लाडकी 🌺

🌺आई 🌺वडिलांची 🌺 लाडकी 🌺 #जीवनअनुभव

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dsp motivation

आई वडिलांचा हात पकडुन ठेवा 
कोणाचे पाय पकडण्याची गरज नाही पडणार... आई वडिलांचा हात पकडुन ठेवा 
कोणाचे पाय पकडण्याची गरज नाही पडणार...

आई वडिलांचा हात पकडुन ठेवा कोणाचे पाय पकडण्याची गरज नाही पडणार... #Quote

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md mujammil

2047 में मेरे सपनों का भारत कैसा होगा इस पर निबंध

#AajkaBharat

2047 में मेरे सपनों का भारत कैसा होगा इस पर निबंध #AajkaBharat #पौराणिककथा

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Jagdish Kushwaha

हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के प्रणेता अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन हैं। गेलार्ड नेलसन ने, सबसे पहले, अमरीकी औद्योगिक विकास के कारण हो रहे पर्यावरणीय दुष्परिणामों पर अमरीका का ध्यान आकर्षित किया था। 

इसके लिये उन्होंने अमरीकी समाज को संगठित किया, विरोध प्रदर्शन एवं जनआन्दोलनों के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराया। वे लोग जो सान्टा बारबरा तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाती फैक्ट्रियों और पावर प्लांटों, अनुपचारित सीवर, नगरीय कचरे तथा खदानों से निकले बेकार मलबे के जहरीले ढ़ेर, कीटनाशकों, जैवविविधता की हानि तथा विलुप्त होती प्रजातियों के लिये अरसे से संघर्ष कर रहे थे, उन सब के लिये यह जीवनदायी हवा के झोंके के समान था।

वे सब उपर्युक्त अभियान से जुड़े। देखते-देखते पर्यावरण चेतना का स्वस्फूर्त अभियान पूरे अमरीका में फैल गया। दो करोड़ से अधिक लोग आन्दोलन से जुड़े। ग़ौरतलब है, सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 10 करोड़ से अधिक लोग मनाते हैं। प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन, पर्यावरण-प्रेमी और सरकार इसमें भागीदारी करती हैं।

बहुत से लोग पर्यावरणीय चेतना से जुड़े पृथ्वी दिवस को अमरीका की देन मानते हैं। ग़ौरतलब है कि अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन के प्रयासों के बहुत साल पहले महात्मा गाँधी ने भारतवासियों से आधुनिक तकनीकों का अन्धानुकरण करने के विरुद्ध सचेत किया था। गाँधीजी मानते थे कि पृथ्वी, वायु, जल तथा भूमि हमारे पूर्वजों से मिली सम्पत्ति नहीं है। वे हमारे बच्चों तथा आगामी पीढ़ियों की धरोहरें हैं। हम उनके ट्रस्टी भर हैं। हमें वे जैसी मिली हैं उन्हें उसी रूप में भावी पीढ़ी को सौंपना होगा।

गाँधी जी का यह भी मानना था कि पृथ्वी लोगों की आवश्यकता की पूर्ति के लिये पर्याप्त है किन्तु लालच की पूर्ति के लिये नहीं। गाँधी जी का मानना था कि विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने से असन्तुलित विकास पनपता है। यदि असन्तुलित विकास को अपनाया गया तो धरती के समूचे प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो जाएँगे। वह जीवन के समाप्त होने तथा महाप्रलय का दिन होगा।

गाँधीजी ने बरसों पहले भारत को विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने के विरुद्ध सचेत किया था। उनका सोचना था कि औद्योगिकीकरण सम्पूर्ण मानव जाति के लिये अभिशाप है। इसे अपनाने से लाखों लोग बेरोजगार होंगे। प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होगी। बड़े उद्योगपति कभी भी लाखों बेरोजगार लोगों को काम नहीं दे सकते। गाँधी जी मानते थे कि औद्योगिकीकरण का मुख्य उद्देश्य अपने मालिकों के लिये धन कमाना है।
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आधुनिक विकास के कारण होने वाली पर्यावरणीय हानि की कई बार क्षतिपूर्ति सम्भव नहीं होगी। उनका उपरोक्त कथन उस दौर में सामने आया था जब सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत, सरकारें तथा समाज पर्यावरण के धरती पर पड़ने वाले सम्भावित कुप्रभावों से पूरी तरह अनजान था। वे मानते थे कि गरीबी और प्रदूषण का गहरा सम्बन्ध है। वे एक दूसरे के पोषक हैं। गरीबी हटाने के लिये प्रदूषण मुक्त समाज और देश गढ़ना होगा।

गाँधी जी का उक्त कथन पृथ्वी दिवस पर न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह विकास की मौजूदा परिभाषा को संस्कारित कर लालच, अपराध, शोषण जैसी अनेक बुराईओं से मुक्त कर संसाधनों के असीमित दोहन और अन्तहीन लालच पर रोक लगाने की सीख देता है। वह पूरी दुनिया तथा पृथ्वी दिवस मनाने वालों के लिये लाइट हाउस की तरह है।

पृथ्वी दिवस की कल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर का हवा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। नदियाँ अस्मिता बहाली के लिये मोहताज नहीं होगी। धरती रहने के काबिल होगी। मिट्टी, बीमारियाँ नहीं वरन सोना उगलेगी। सारी दुनिया के समाज के लिये पृथ्वी दिवस रस्म अदायगी का नहीं अपितु उपलब्धियों का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने तथा आने वाली पीढ़ियों के लिये सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामलाम धरती सौंपने का दस्तावेज़ होगा। 

🧡🧡 जगदीश कुशवाहा भोपाल🧡🧡 #alone   हमारी मातृभूमि के लिए एक छोटा सा निबंध😃😃😃

#alone हमारी मातृभूमि के लिए एक छोटा सा निबंध😃😃😃 #विचार

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Kunal Salve

कोरोना की तु ?

विरहाच्या आगीत ढकलून चाललीस प्रिये 
जातांना एक काम कर 
गर्दीच्या ठिकाणी जाण्याचे कमी कर 

पहा प्रत्येक पावलावर 
माझ्या आठवणींचा संसर्ग होईल
जरा तुझ्या मनाला आवर 

माझे स्पर्श झालेल्या हाताला संयमाचे सॅनिटायझर वापर 
कधी मिसळले होते श्वासामध्ये श्वास 
नाकाला तु तुझ्या माझ्या विसरण्याचा मास्क धर

माझ्या हृदयातून निघणारे धगधगते विषाणू 
तुझ्या श्वासात मिसळू नको कारण,
माझ्या नसा नसात तुझ्या सहवासाचा कोरोना आहे 

पण एक नक्की आहे 
कोरोनाशी लढण्याला मी समर्थ आहे 
पण तुझा सामना करण्यास मी असमर्थ आहे !

बाळा✍️ ( बाळासाहेब साळवे. ) 
बाप 😍 वडिलांचे शब्द 😍🙌✍️

#मराठी 
#कविता 
#असाचकाहीतरीमनातला

वडिलांचे शब्द 😍🙌✍️ #मराठी #कविता #असाचकाहीतरीमनातला

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Khushi Kandu

वो शायर ऐसा लिखे एक हर्फ़ तो बन मज़मून जाता है। 
लिखे हुए उसके हर लफ़्ज़ को पढ़कर सुकून आता है।।

©Khushi Kandu *हर्फ़ - अक्षर
*मज़मून- निबंध/लेख
*लफ़्ज़- शब्द
#हिंदी 
#urdu 
#Hindi 
#Nojoto 
#writer

*हर्फ़ - अक्षर *मज़मून- निबंध/लेख *लफ़्ज़- शब्द #हिंदी #urdu #Hindi #writer #writing #शायरी

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Vrishali G

वडीलांच्या मृत्यूनंतर

त्यांना लिहिलेले एक भावनिक पत्र

एक अनावृत्त पत्र भाग  २

वडीलांच्या मृत्यूनंतर त्यांना लिहिलेले एक भावनिक पत्र एक अनावृत्त पत्र भाग २ #जीवनअनुभव

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Vrishali G

वडीलांच्या मृत्यूनंतर

त्यांना लिहिलेले एक भावनिक पत्र..

एक अनावृत्त पत्र भाग १

वडीलांच्या मृत्यूनंतर त्यांना लिहिलेले एक भावनिक पत्र.. एक अनावृत्त पत्र भाग १ #जीवनअनुभव

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Swapna Prabhu

अगर काल्पनिक निबंध सच हो गये तो...?
#covid #covid_19 #coronaindia #corona2021 #corona #maskon #mask #sanitizer #sanitize #StaySafeStayHome

अगर काल्पनिक निबंध सच हो गये तो...? #COVID #Covid_19 #coronaindia #corona2021 #corona #maskon #mask #Sanitizer #SANITIZE #StaySafeStayHome

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