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Kuldee Chaturvedi
हर बार उसी का चेहरा हर बार उसी की आंखें
Manjeet Sharma 'Meera'
मौसम ये क़ाफ़िए सा, हर बार बदल जाए फूलों की बू बहर सी, हर बार एक जैसी। मीरा #मौसम ये क़ाफ़िए सा, हर बार बदल जाए फूलों की बू बहर सी, हर बार एक जैसी।
Swechha S
बस तुमसे थोड़ा और प्रेम कर बैठती हूं हर बार...फिर से, हर बार की तरह - Swechha हर बार...फिर से, हर बार की तरह #20Feb #Prem #Alone
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वनआयो बरसाने की गुंजरिया दाधी बेचन जाए, वात मिले बनवारी कर लियो बोआय कर लियो बोलय बैठ कदम के छाइयां रे दोना बनवाए ,दोना दोना दाढ़ी बांटे दाढ़ी दियो लुटाए दाढ़ी दियो लुटाए ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल... होली न खेले श्यामरो आपन सासुराय भर पिचकारी मारे हो रंग उरे गुलाला रंग उडे गुलल बेला फुले चमेला जूही कांचनर फुलवा लोरहे मलिनिया गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो उपद पहाड़ गरमो हवा हो नीचे बराय दुकान बाराय नाय कट्रे पनवा रस बीड़ा लगाए रस वीडा लगाय बीड़ा न खा है कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसैदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन बंद लाल तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा धोलाक धुधू आय बाजे सरियांगिया रों य रों य हो रस बजे सितार रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल #लोकगीत
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए, वाट मिले बनवारी हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय बैठ कदम के छइयां रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२ होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार भर पिचकारी मारे हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल बेला फुले चमेला , जूही कंचनार , फुलवा लोरहे मलिनिया हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२ हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा, हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा लगाय बीड़ा न खा हय कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया रोंय रोंय हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत