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pratosh96
वीर रस का कवि हूँ मैं, जनमत की छवि हूँ मैं, बादलों के बीच रवि हूँ मैं, हाँ वीर रस का कवि हूँ मैं। (वीर रस कविता का कुछ अंश) ©प्रतोष कुमार सिंह #वीर_रस
Raviraaj
अरे!ये जो चंद नए लोग जो आए है हमारी बस्ती में। कोई बोल दो जरा उन्हें गर,लड़ना हो हमसे तो कफन साथ लाना।। ©Ravindra Kumar #वीर_रस
Prem arya
Hindi SMS shayari भीड़ लगा था, सभा लगी थी, बड़े-बड़े धर्मी थे बैठे, राजा-महाराजा, ज्ञानी से लेकर सारे अभिमानी थे बैठे, बीच दरबार मे पिता-चाचा के सामने जुए का था खेल चला, राज-पाठ, इंद्रप्रस्थ,भाइयो औऱ खुद को भी युधिष्टर हार चला, अब होना था कुछ ऐसा जो बड़ा ही अचंभा था, बैठ जुए में बीच सभा मे एक नारी का दांव लगा, देखते ही देखते जुए में धर्मराज पत्नी को हार गया, काहे का धर्मराज जो पत्नी को दांव लगाता है, अधर्मी दुर्योधन द्रौपदी के अस्मत की खिल्ली उड़ाता है, बीच सभा मे बैठा बलशाली पांडव हाथ मला रह जाता है, भीम गदा औऱ अर्जुन का धनुष भी काम ना आता है, चाचा-ताऊ, ससुर सारे बस पात्र बने रहते है, बीच सभा मे ख़ुद की बहू का चिर-हरण देखते है, वो तो प्रभु कृष्ण थे जिसने भक्तन का मान बढ़ाया, औऱ एक नारी की अस्मत तार-तार होने से बचाया!! #NojotoQuote #द्रौपदी #चीरहरण
शून्य(ब्राह्मण)
छोटी छोटी लकीरों से आसमां सजाते हैं ... चलो अपने हाथो अपनी तकदीर बनाते हैं! कायरों को याद नहीं रखता ज़माना... बहादुर ही सदियों से पूजे जाते हैं ! #वीर_रस #विचार
DINESH SHARMA
श्रृंगार लिखने वालों को ज्यादा अब काम मिलेगा गीत सुनाने वालो को पूरा अब आवाम मिलेगा कश्मीर का हल निकलने का एक फायदा और है वीर रस वालो के गले को थोड़ा अब आराम मिलेगा ©दिनेश शर्मा 06.08.2019 , 22:00 PM नोट: वीर रस वाले इसे हास्य रस में समझे 😂😂🙏 #गीत #श्रृंगार #वीर_रस
अनुपम अनूप"भारत"
#पीरहरण03 शराफत का सिला गलत ही मिला, नजाकत का भी न कोई फायदा, उनके खातिर लुटा डाला कतरा मैनें, उसने निभाया तोड़ उसका हर वायदा। #पीरहरण #अनुपम_अनूप"भारत"
Hitesh Pandey
द्रौपदी चीरहरण खेला जा रहा है खेल द्यूत का, चले जा रहे हैं दाव, लूटा चुके हैं पांडव ज्येष्ठा सभी भाई और गांव, अगले दाव में लग चुकी है द्रौपदी, क्या मारी गई है धर्मराज की मति? जीत गया सकुनी ये भी दाव कर के प्रपंच, अभी भी मौन हैं सभा के सारे सरपंच, क्या हो गया है सबकी चेतना का मरण? जो देखने को रुके हैं चीरहरण, सूरवीर जो बने बैठे हैं धृतराष्ट्र, अनभिज्ञ हैं की भविष्य में मिट जायेंगे खुद और इनके राष्ट्र, भुला के सारे अनुशासन, वस्त्र हरण करने लगा दुशासन, सखा-सखी की सच्ची परिभाषा, अब श्री कृष्ण ही हैं आखरी आशा, सुन सखी की गुहार, मदद को आए पालनहार, एका-एक दस गज वस्त्र हुआ अपार, जिसको कौरव कुल न कर सका पार। ©Hitesh Pandey चीरहरण। #कविता #ZulmKabTak
सुनील मिश्रा
पंचाली के चीरहरण पर जो चुप पाए जाएंगे।। इतिहासो के पन्ने में वह कायर कहलाएगा।। सुनील मिश्रा महाराज किशनपुर ©sunil mahraj पंचाली के चीरहरण पर