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Ek villain
प्रचंड गर्मी में झुलस रहे झारखंड में सियासी तापमान भी चरम पर है अच्छे मौसम के लिए पहचानी जाने वाली राजस्थानी रांची का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला रहा है यहां के विषय में इतने गर्म की याद ही नहीं है और यह बेकार कब इंद्र देवता इन पर राहत की पुकार बढ़ जाएंगे लेकिन राजनीतिक रूप से बड़े तापमान सिराज वासियों को बहुत ज्यादा असर नहीं है पिछली रघुवीर दास की सरकार को छोड़ दिया जाए तो यह राजनीति की शिवा का पुतला पुतला भरा हुआ है एक बार फिर राज्य ऐसी ही परिस्थितियों की तरह बढ़ता दिख रहा है कारण गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री भाजयुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन और उनके विधायक बसंत सोनी द्वारा खनन पट्टा लेने को अधिकार वाद है पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा के राष्ट्रपति वीर दास ने सार्वजनिक किया है इसके खिलाफ भाजपा ने राज्यपाल से लेकर निर्वाचन आयोग तक गुहार लगाई है जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक ऐसा करना गलत है और प्रमाणित हो जाने पर दोनों की विधानसभा की सदस्य निरस्त की जा सकती है बहरहाल भारत निर्वाचन आयोग ने इस शिकायत के पिता को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है इस विवाद को लेकर कई प्रकार की झारखंड की सियासी गलियारों में लगाई जा रही हैं ©Ek villain #खनन पट्टे ने बढ़ाया सियासी तापमान #EarthDay
MANJEET SINGH THAKRAL
कोयला राष्ट्रीय संपदा है । कॉर्पोरेट लूट नही चलेगी ।। कोल ब्लॉक की व्यवसायिक खनन नीलामी को तुरंत खारिज किया जाना चाहिए ।।
Sadhana Srivastav
Ashok Kumar Verma
Ram bhadawar
छवि सोहती है मिथिलेश की हमारी और, मन मोहती है छवि करुनानिधान की। प्रेम को प्रणाम सिया राम ने किया है आज, प्रेम की ही विधियां हैं विधि के विधान की। प्रेम से ही मेरे राम राम हो सके हैं और, प्रेम से ही जान हो सकी है जान जान की। माता जानकी ने वर लिए मेरे राघवेंद्र, मेरे राघवेंद्र ने वरीं हैं माता जानकी। छवि सोहती है मिथिलेश की हमारी और, मन मोहती है छवि करुनानिधान की। प्रेम को प्रणाम सिया राम ने किया है आज, प्रेम की ही विधियां हैं वि
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️ #Jazzbaat एक दूजे से दूर दौर मै में चलते गए अब वक्त सिर्फं रेत की खनन सी रिश्तों को ज़ार जार करते गए एक दूजे से दूर, हम हैं दोनों मजबूर। #एकदूजेसेदूर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita ✍️
Rashmi Yadav
यह भोपाल की तस्वीरें जो आज न्यूज़ पेपर में आई है हर साल घटता हुआ ग्रीन कवर अब न पसंद आ पहुंचा है विकास के नाम पर हम अपने जीवन को दांव पर
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त