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sahar
पापा की परी पराया धन होकर भी कभी पराई नही होती। शायद इसी लिए किसी बाप से हंसकर बेटी की, विदाई नही होती।।- इरफान रजा सहर 24/06/2021 ©Mohammad irfan Raza sahar विदाई शायरी #papakipari
ज़िंदादिल संदीप
ज़ख्म गहरा है अभी ..मरहम तो होने दो.. रातें बांकी है अभी ..शबनम तो होने दो.. चले जाएंगे हम तेरी बस्ती से मायूस ही सही .. ज़िंदादिल के दिल को हमेशा के लिए ख़तम तो होने दो ।।।।। ज़िंदादिल की विदाई
Rahul Keshwanshi
दिसंबर की विदाई बडा ही कडाई महसूस होती है भर-भर आंखे रोती है तेरे समय में जो भी सिखा खट्टा-मीठा,नमकीन,और तिखा सब मैंने स्वीकार किया सफल साल जो मिला मुझे ये तुने उपकार किया तेरी लख-लख बधाईयां ओ ऊपर वाले मूझे सफल साल दी करके प्याले बडी ही रंगीन रही ये साल मेरी। सुख दुःख समेटा खुशियां बांटी कुछ सिखा और कुछ सिखाया भी बड़ी ही महीन रही ये चाल मेरी।। बड़ी ही रंगीन रही ये साल मेरी।। दिसंबर की विदाई कवि-राहुल कुमार दिसंबर की विदाई
Anshupriya Agrawal
बेटी की विदाई पोस्टमार्टम के बाद, लाश चौखट आई थी,,, पापा धैर्य छोड़ते,,, मैया हाहाकार करती, कभी मूर्छित,कभी चीत्कार करती,, आंगन भूचाल आई थी, पांच वर्षीय, बेटी की विदाई थी।। कौन दरिंदा उठा ले गए, कुत्ते इसे नोंच खा गए,, वहशीयत ने इसे दबोचा, भेड़ियों ने इसे है रौंदा,, कोई चीखें सुन ना पाया,, सिसकी में ढला, मौन हो गया।। बच्ची खून में लथपथ, नग्न लेटी थी सड़क पर,, देख धरती मां भी, खून के आंसू रोइ थी, इस भार वहन से, तड़प -तड़प कर कितनी बार डोली थी।।। भरत के देश में, वीर,,, सिंहों के दांत गिनते थे,, आज शृगाल बने हैं, बच्चियों के, जिस्म से,खेलते हैं।।।। झूठी -मूठी , रूठा- रूठी, सूरत वो, भोली- भाली,, कौन बनाएगा, रंगोली, कैसे खेलेगा, कोई होली? कौन पायल पहनकर,, आंगन में झूमेगी? कस्तूरी चंदन बिना, कैसे जीवन बगिया महकेगी? कैसे दूं बिदाई बिटिया, सूनी- सूनी जीवन फुलवारी है, रोते पिता, बिलखती महतारी है।।।।। -अंशु # बेटी की विदाई
saloni toke alfazon ki khumari
मिट्टी से गड़ कर मूर्त थी। आपकी बनाई प्रभू देखते देखते बिदाई की घड़ी भी निकट आ ही गई । मेहमान की तरह आते हो प्रभु फिर घर के सदस्य बन जाते हो। आखो मे आसूँ ओर घर सुना कर जाते हो। 😭😢😭miss you majhe bappa जय हो प्रभू दिन जाहे कम थे प्रभू पर रिश्ता वही बचपन वाला o my frnd ganesha 😍😘😘🍫🍫 ©saloni toke alfazon ki khumari बप्पा की विदाई
CK JOHNY
ऐ मेरे दोस्त दर्द का हुजूम इस कद्र टूट गया इश्क़ की विदाई में अश्कों का सैलाब फूट गया। हासिल था जो न जाने कितनी सदियों से मुझे देखते ही देखते पल भर में मुझसे वो छूट गया। इक इसी बुरी आदत की गिरफ्त में था मैं यारो अच्छा हुआ मुहब्बत का तिलिस्म टूट गया। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 21.08.2020 इश्क़ की विदाई