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Kamal bhansali
दिल लगाने के हजारों बहाने होते हर बहाने हुस्न के कद्रदान होते उनकी सांसो में तूफान होते साथ मरने जीने के वादे होते पर बारिश भीगने से छतरी के लिए परेशान होते मौसमी प्यार के अंदाज कितने मजबूर होते ✍💕 कमल भंसाली #gif मौसमी प्यार
पूर्वार्थ
Rain quotes messages in hindi कल जब फिर बेमौसम की बारिश को देखा तो उस दिन कि तुम्हारे आने के... और...फिर जाने के... जानने को कारण... किए सब ने अपने प्रयास... मैंने भी तुमको देख लगाए फिर अपने कयास... बेमौसम कि तुम बारिश...जाने क्यूँ थी तुम बरसीं... किसी से कुछ कह जाने को...जाने जैसे कब से थी तुम तरसीं... कहकर मुक्त होकर चली तुम हर्षि... बेमौसम कि तुम बारिश... जाने क्यों थी तुम बरसीं... अंधेरी सी रात में...घर की देहरी पर बैठी...देख रही थी ...मैं तुम्हारी बूंदों को झरते... पहले कुछ घबराई...शरमाई सी तुम आईं...कुछ बूंदे झरी...कुछ तुम बोली... फिर कुछ रुकी... जैसे तुम कुछ सकुचाइं... फिर कुछ देर बाद...बांध के लड़ी...झर-झर के तुम बरसी... जैसे बांध के कुछ हिम्मत...उन्मुक्त ह्रदय से... कह गई वह सब...जिसके लिए थी तुम तरसीं... तुम्हारे आने से भीनी पुरवाई का वह झोंका... देता था तुम्हारे मन के हल्के पन का आभास... तुम्हारे आने से मिट्टी की वो सौंधी खुशबू... करा गई अब तुम्हारे चित्त की शीतलता और लज्जा का एहसास... कहकर तुम चली...फिर लौट कर आई...कुछ बरसी और फिर चली... जैसे सब कुछ कहकर...और फिर कुछ कहने को... कुछ प्रतिउत्तर सुनने को...थीं तुम आईं... फिर कहीं कुछ संतुष्ट सी...कुछ असंतुष्ट सी... संकेतों से ही फिर अपने आने का संकेत दे तुम लौट चलीं... तुम्हारे जाने के बाद मेरे आंगन का वह आम का पेड़... जैसे था खुशी से झूमा...उसने जैसे था आज वह सब सुना... जिसके बिना था अब तक उसका जीवन सूना... इसी क्षण की तो करता था वो जाने कब से प्रतीक्षा... आज पूरी की थी तुमने उसकी जाने कब की इच्छा... तुमसे मिल,तुमको सुन...आज पाया था उसने जैसे नवजीवन... नव उमंगों से,नव भावनाओं से... नव बंधनों,नव नातों को बांधने लगा था उसका नव मन... देख कर तुम दोनों के इस अनूठे स्नेह को...जाने कहां मैं थी खोई... जाने कहां, किसको सोच जैसे कुछ थी रोई... फिर तुम दोनों को देख, जाने क्या सोच थी मैं सोई... बेमौसम कि तुम बारिश... जाने क्यूँ थीं तुम बरसीं...??? ©पूर्वार्थ #बेमोसमी बारिश
Prashant Mishra
बेमतलब की बात बताकर..ले गई सबकुछ झूठे झूठे ख़्वाब दिखाकर...ले गई सबकुछ दिल की दीवारों पर इक तस्वीर उकेरी थी तेरी ये बेमौसम बरसात बहाकर ले गयी सबकुछ --प्रशान्त मिश्रा बेमौसम बरसात
MEGHRAJ DEPAN
पिछले कुछ दिनों से उदास था मेरा शहर, राहें सूनी पड़ी थी, खामोश था हर पहर, हर कोई परेशां था.. कोई अपनों से दूर हो के कोई अपनों में क़ैद हो के तो कोई हालातों से लाचार हो के फिर सहसा इक रात.. दीपों की रोशनी तिलमिलाई पूरे शहर में पटाखों की गूंज सुनने को आई, कल रात मेरे शहर में बेमौसम.. दीवाली आई.... ✍️✍️ मेघराज देपन बेमौसम दीवाली
Raone
तुम बेमौसम सी वो बारिश हो जो संग अपने ओलों को साथ में लाते हो कहने को तो तुम बारिश होते पर गेहूं के पूरे फ़सल की भाँति जिस्म से लेकर मन को मेरे पूरा हीं आहत कर जाते हो राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बेमौसम बरसात