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Asheesh champ
Safar *गलती जीवन का एक पन्ना है* *लेकिन रिश्ता पूरी किताब है* *जरुरत पड़ने पर* *गलती का पन्ना फाड़ देना* लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब कभी ना खो देना* Asheesh Champ Chimpanjientertainment आज कुछ नया सीखते है #हमेशा#रिशते#कायम#रखने#के#नियम आइए आज कुछ नया सीखते है
🅂🄰🅃🄸🅂🄷
तू रूठी-रूठी लगती है, कोई तरकीब बता मनाने की... मैं खुद को गिरवी रख दूंगा, तू कीमत बता मुस्कुराने की!!! #C-nu #गिरवी
Farukh Maniyar
हाईवे गिरवी रख कर्ज लेगी सरकार! हाईवे “गिरवी” रखने की क्या जरूरत है साहेब? इन अंधभक्तो की “किडनी” कब काम आयेगी?? 😜😜 हाईवे गिरवी रख कर्ज लेगी सरकार! हाईवे “गिरवी” रखने की क्या जरूरत है साहेब? इन अंधभक्तो की “किडनी” कब काम आयेगी?? 😜😜
jaydip baraiya 777
कया बेचकर हम खरीदे फुरसत एक जिंदगी मे सब कुछ तो गिरवी पडा जिम्मेदारी के बाजार मे ©jaydip baraiya 777 #सब कुछ तो गिरवी पंडा जिम्मेदारी के बाजार में#
Poonam
ताउम्र दिल गिरवी रह गया उन्हीं लम्हों में जिनमें वादें किए थे जिंदगी भर साथ निभाने के... ©Poonam #गिरवी #लम्हों #Dark
Vikas sharma
।। गिरवी खुशियाँ ।। अधखुली खिड़कियों से झाँकते रहे चंद ख्वाब है कि,अब तक जागते रहे शोर के बस में अब कुछ ना रहा खामोशियों से ही लोग हिसाब मांगते रहे गिरवी पड़ी है खुशियों के लम्हे कहीं लोग तो पैसों से तिजोरीयां भरते रहे किस तरह का जीना है यह और किस तरह लोग ऐसे जीते रहे नींद अब है कि आती नहीं पल पल में करवटें बदलते रहे सिलसिला मुलाकातों का चल निकला शायद रात भर यादों के अलाव जलते रहे मोड़ है की राह में आते रहे सफर को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते रहे मंजिल सामने है खड़ी इंतजार में और हम रास्ते का लुफ्त उठाते रहे @विकास ©Vikas sharma #Sunrise गिरवी खुशियां
Kumar Manoj Naveen
अजीब दास्तां है सुनाए न बने, पर बिन कहे भी दिल कैसे रहें। बच्चे थे तब सोचते थे कब होंगे हम बड़े, अब सोचते है क्यों हुए हम बड़े? न होते बड़े,न होती जिम्मेदारी, रोजी-रोटी के संघर्षों से सदा होती दूरी। ना आफिस की होती चिंता, न बास शब्द कोई जानता? होती नही हमारी शादी, न होते बीबी- बच्चे, नहीं होती रोज किच-किच। घर में शांति होती। क्या नजारा होता? बस अपना ही राज होता। घर तब हमारा होता। मां-पापा, भाई-बहन सब साथ होते, एक-दूसरे संग हिल-मिल दिन बिताते। मां के हाथ की रोटी का स्वाद होता, पापा के डांट का बस अख्तियार होता। पर प्रकृति के नियमों पर जोर चलता कहां है? होता वही है जो विधना ने लिख दिया है। ***नवीन कुमार पाठक (मनोज)***** ©Kumar Manoj प्रकृति के नियम#