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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है कहीं सखा तो कहीं रिश्तेदार बनकर बैठे है छुपकर ऐसे लोग तो हमेशा से वार करते है फिर ये तो अपनी बहादुरी की बात करते है आस्तीन के साँप तो हर घट में छिपे बैठे है बुजदिल हो,शेर की खाल पहने हुए बैठे है बेचारे कुत्ते आज तलवे चाटना भूले बैठे है इंसान जो तलवे चाटने में मशहूर हो बैठे है आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है बहुत से घर मे नींव के पत्थर से दबे बैठे है बेचारे सर्प बड़े शर्मिंदा है,इंसान जो जिंदा है, इंसान जो सांपों से ज्यादा विषैले हो बैठे है अब सांपो को बदनाम करना बंद कर दो न, इंसान जो गद्दारी में ऊंचा नाम कर बैठे है आस्तीन के सांप तो आज हर जगह बैठे है पर साखी जो इन सांपों से बचकर बैठे है वो ही दुनिया मे खिले हुए गुलाब हो बैठे है वो अपनी कश्ती तूफां में भी हंसाये बैठे है जो आस्तीन के सांपो पे डंडे मारकर बैठे है वो ही इस दुनिया मे मुस्कुरायें हुए बैठे है दिल से विजय आस्तीन के सांप
Ramesh Parmar
मैं वो शख्स नही , जो दिल पे खंजर न खा सकूँ , तू इतना ईमान रखना , कि वार सामने से करना .! आस्तीन के सांप
Dr. Bhagwan Sahay Meena
दोस्तों के भेस में, दुश्मन बहुत होते है। कुछ मक्कार, आस्तीन के सांप होते है। छेद उसी में करतें,जिस थाली में खाते है। विश्वासघाती,पीठ पीछे खंजर उतारते है। डॉ. भगवान सहाय मीना बाड़ा पदमपुरा जयपुर राजस्थान। ©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani आस्तीन के सांप
मोहित "बेख़बर"
## कुण्डलिया छंद ## बेटा पाले बाप ने ,एक नहीं दो चार। तेउ मिलि ना सहि सके , मातु पिता को भार मातु पिता को भार, करैं नित उनकी ख्बारी कोउ तरेरै आंख कोउ तो दैबै गारी मोहित कहे सुनाय पूत वे मन के काले। सोई आस्तीन के सांप मोह बस सबनै पाले। ©Mohit Sharma ##आस्तीन के सांप##
Lokesh kumar
मैंने अपनी आँखों में कुछ झूठे ख्वाब पाल रखे हैं, गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले यार पाल रखे हैं, साथ रहकर भी पीठ के पीछे करते हैं बुराई, हाँ "आस्तीन में मैंने कुछ साँप पाल" रखे हैं। -लोकेश आस्तीन के सांप
Irshad Multani
People मरते हुए भी में शर्मशार हो गया देखा जब हाथ में खंजर अपने करीबी का आस्तीन के सांप
मोहित "बेख़बर"
बेटा पाले बाप ने ,एक नहीं दो चार। तेउ मिलि ना सहि सके , मातु पिता को भार मातु पिता को भार, करैं नित उनकी ख्बारी कोउ तरेरै आंख कोउ तो दैबै गारी मोहित कहे सुनाय पूत वे मन के काले। सोई आस्तीन के सांप मोह बस सबनै पाले। ©Rohit Sharma ##आस्तीन के सांप ## छंद##
Sopiya_Uday
सांप के जैसे लोग रहते हैं यहां पर मन से वक्त आने पर बाहर निकलते हैं बिल से । सोचता हूं रख दूं कलम✍️से जान निकाल कर लेकिन यहां पड़ता कौन है उसे दिल से ।। #सांप के जैसे लोग