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Vandana
'माँ,किसी न्यूयॉर्क सिटी की या किसी आदिवासी गांव की,,, माँ तो माँ ही है जो अपना संपूर्ण वात्सल्य प्रेम दर्द और पीड़ा को भूलाकर उड़ेल देती अपनी संतान में,,, थी सुकुमारी नवयौवन सी अपने पीहर में दुल्हन स्वरूप बनी अर्धांगिनी किसी के आँगन की,, संपूर्ण कर्तव्य निभा के अपने स्वरूप को परिवर्तित किया म
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
भैय्या बहनो को कभी , जाना मत तुम भूल । बहनो की तुम राह के , चुन लेना हर शूल ।। चुन लेना हर शूल , बहन होती सुकुमारी । भाई का ही प्रेम , खिलाये आभा प्यारी ।। निश्छल मेरा प्रेम , देख कहती हैं मैय्या । पावन है यह पर्व , दूज का सुन लो भैय्या ।। २६/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Bhaidooj भैय्या बहनो को कभी , जाना मत तुम भूल । बहनो की तुम राह के , चुन लेना हर शूल ।। चुन लेना हर शूल , बहन होती सुकुमारी । भाई
Vandana
मन से वरण करती वो सुकुमारी लाज के पाश में बंधी वो नारी,,,, यौवन की दहलीज में खड़ी माधुर्य को भर देते मृगनयन,,,, नीरव रजनी को संभाले आंचल में प्रेयसी बन इटलाती पुष्पों के आंगन में,,,, झिलमिल सौंदर्य के विरह विकल में योगिनी बन मीठे दर्द में मुस्कुराए,,,, प्रेम से आलोकित होता गौर मुख उत्साह उमंग निरंतर आलिंगन करता,,,,, मन से वरण करती वो सुकुमारी लाज के पाश में बंधी वो नारी,,,, यौवन की दहलीज में खड़ी माधुर्य को भर देते मृगनयन,,,, नीरव रजनी को संभाले आंचल म
Vandana
..... जीवन एक नदी की धारा कहीं पर उथला कहीं पर गहरा खिले हैं कमल दल कोमल सुकोमल सुकुमारी जीवन यात्रा आरंभ नवीनतम विचार नए एहसास भरे जर्र जर्र मे
Vandana
घर की दहलीज में वो बैठी है,, अरमान सजाय,,, सजी संवरी सी बांट लगाएं,,, फूलों सी सुकुमारी वो नैनो में काजल लगाए,, पैरों को मोड़कर जमीं में रंग बिरंगे,, रंगों से ख्वाबों की रंगोली बनाएं,,,, घर की दहलीज में वो बैठी है,, अरमान सजाये,,, सजी संवरी सी बांट लगाएं,,, फूलों सी सुकुमारी वो नैनो में काजल लगाए,, पैरों को मोड़कर जमीं में "र
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श्याम का प्रेमभाव हे राधिके..! जितनी बार देखूँ सौंदर्य तुम्हारा मन बाँवरा भरता नहीं, किन शब्दों में करूँ मैं वर्णन तुम्ही में मेरा सारा संसार समाया है, तुम्हारे ये नयन मतवाले से जाने क्यों ये भ्रमित है मुझे कर देते, शब्द रस रूप सुगंध से निर्मित तुम्हारी कण कण को महकाती सी उज्ज्वलता के तेज से धरती सारी पर सुनहरी सी धूप बिखरा जाती है, शब्द भी शब्दहीन हो जाते कैसे करूँ मैं व्याख्यान प्रिये मैं दीपक सा तुम बाती सी ज्योति उसकी अटूट विश्वास प्रिये, मिसाल हमारे सच्चे प्रेम की आधारशिला ये प्राण प्रिये, राधा बिना श्याम अधूरा श्याम बिना राधा अधूरी कैसी गज़ब की जोड़ी हे मेरी राधे तुम प्राणों से भी प्यारी प्रिये, काव्य मिलन पहला चरण श्रृंगार रस श्याम का प्रेम भाव 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 प्रस्तुत पंक्ति में श्री श्याम जी श्रृंगार रस में अपनी भावनाओं को सुकुमारी
Prakhar Kushwaha 'Dear'
अपने कर्मकृतों से निसदिन परिवार सजाया करती है, एक देह से लाखों वो किरदार निभाया करती है। नमन करूँ उस 'नारी' को जिसने जहां को जन्म दिया, महिमा उसकी ममता की हर जुबां सुनाया करती है। सर्वविदित था सर्वसभा को 'सीता' सती सुकुमारी है, लोक लांछन में वो 'सीता' धरती में धंस जाया करती है। ख़त्म करो वो नीच नज़रिया महिलाओं के अंकन का, जिसकी लाज़-हया में वो प्रतिपल पिस जाया करती है। माना कि वो हर क़िरदारों की मर्यादा में रहती है, पर वक़्त पड़े पर 'दुर्गा' का अवतार दिखाया करती है। कल की कुंठित-कुचलित नारी अब की शक्तिस्वरूपा है, जो चाहे अब जैसे भी वो सब कर जाया करती है। सभी महिलाओं को "महिला दिवस" की शुभकामनाएं। अपने कर्मकृतों से निसदिन परिवार सजाया करती है, एक देह से लाखों वो किरदार निभाया करती है। नमन कर
संगीत कुमार
जिस धाम के पाहुन श्री राम , उस धाम का क्या कहना। जिस धाम की बेटी माँ सीता ,उस धाम का क्या कहना।। जन्म हुआ माँ सीता का जिस धाम , नाम है उसका मिथिला धाम । मै उस धाम का वासी हूँ, जिसके पाहुन बने श्री राम।। जिस धाम के पाहुन श्री राम ,उस धाम का क्या कहना। धन्य हुआ मिथिला धाम ,पाहुन बने प्रभु श्री राम। धन्य हुआ जनकधाम, सीता जन्म लिये घर बैदेही।। पाहुन बने श्री राम जय - जय कार हुआ सब धाम। स्वर्ग से सुन्दर मिथिला धाम, पाहुन बने श्री राम। जिस धाम के पाहुन श्री राम, उस धाम का क्या कहना।। स्वर्गलोक मे जय जयकार हुआ ,पाहुन बने श्री राम । सुकुमारी सीता चली अयोध्या धाम, धन्य हुए भगवान।। जन-जन मे फैला जय-जयकार पाहुन बने श्री राम। जिस धाम के पाहुन श्री राम, उस धाम का क्या कहना।। ©संगीत कुमार जिस धाम के पाहुन श्री राम , उस धाम का क्या कहना। जिस धाम की बेटी माँ सीता ,उस धाम का क्या कहना।। जन्म हुआ माँ सीता का जिस धाम , नाम है उसक
संगीत कुमार
जिस धाम के पाहुन श्री राम , उस धाम का क्या कहना। जिस धाम की बेटी माँ सीता ,उस धाम का क्या कहना।। जन्म हुआ माँ सीता का जिस धाम , नाम है उसका मिथिला धाम । मै उस धाम का वासी हूँ, जिसके पाहुन बने श्री राम।। जिस धाम के पाहुन श्री राम ,उस धाम का क्या कहना। धन्य हुआ मिथिला धाम ,पाहुन बने प्रभु श्री राम। धन्य हुआ जनकधाम, सीता जन्म लिये घर बैदेही।। पाहुन बने श्री राम जय - जय कार हुआ सब धाम। स्वर्ग से सुन्दर मिथिला धाम, पाहुन बने श्री राम। जिस धाम के पाहुन श्री राम, उस धाम का क्या कहना।। स्वर्गलोक मे जय जयकार हुआ ,पाहुन बने श्री राम । सुकुमारी सीता चली अयोध्या धाम, धन्य हुए भगवान।। जन-जन मे फैला जय-जयकार पाहुन बने श्री राम। जिस धाम के पाहुन श्री राम, उस धाम का क्या कहना।। ©संगीत कुमार #जिस धाम के पाहुन श्री राम , उस धाम का क्या कहना। जिस धाम की बेटी माँ सीता ,उस धाम का क्या कहना।। जन्म हुआ माँ सीता का जिस धाम , नाम है उस
Aparna Shambhawi
बाबुल (read in caption) #babul #paki #nojotohindi गुड्डे-गुड़िये और खिलौने, नहीं करेंगे शोर। घर-आँगन सब सूना होगा, हर पूनम अँजोर। ब्याह दिया या बेच दिया, एक बंदूक क