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RAVINANDAN Tiwari

#सामूहिक व्याभिचार समाजिक कोढ़। #RIPPriyankaReddy

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#RIPPriyankaReddy न सुरक्षित कोई घर 
न सुरक्षित कोई डगर 
आखिर जायेंगी किधर 
श्रृष्टि संभव नहीं इनके वगैर 
नरपशुओं का ये कहर 
जगतजननी के उपर 
रोकने का प्रण ले सारा शहर 
ख़ुद से पूछो रे नर 
न होंगी ये अगर 
कहाँ से पाओगे माँ बहन और हमसफर 
नरपशुओं का वध से शायद हो डर 
थमना न सोंच बदले वगैर #सामूहिक व्याभिचार समाजिक कोढ़।

RAVINANDAN Tiwari

#सामूहिक व्याभिचार समाजिक कोढ़। #RIPPriyankaReddy

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#RIPPriyankaReddy  भारी वेदना को क्या कुरेदना 
आदमी जानवर से बदतर बना 
वहशी झुंड का प्रचलन बनना
क्या मर  गई  हमारी  संवेदना

दुःखद! #सामूहिक व्याभिचार समाजिक कोढ़।

Pravesh Khare Akash

सामयिक..

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सामयिक

अब इतना भी न रोना
कि सैलाब आ जाये
ई.वी.एम.है बैलेट पेपर नहीं
जो आँसुओं से भीग जाये।।
अब हुआ सो हुआ
ये वोटर है गर्लफ्रैंड नहीं
 जा के जो लौट आये
दिए तोहफे जो भूल में भूल जायें।।
पब्लिक हुयी चतुर सयानी है,
देख तमाशा मंद मंद मुस्काये,
अब हुआ सो हुआ
बोलो हे खद्दरधारी क्यों मन घबराये!!
 सामयिक..

कृष्णा आज़मगढी़

सामयिक

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दिल पे जख्मों का सिलसिला देखो।
क्या वफ़ा से हमें, मिला देखो ।।

फिर भी करता हूं ,वफ़ा की बातें ।
ऐ जहां मेरा ,हौसला देखो ।।

तप रहा जिस्म मेरा ,बारिश में ।
दिल कोई आज ,फिर जला देखो ।।

उनके कांटों पे, भी नज़र रखना ।
फुल को जब ,खिला खिला देखो ।।

यूं ही मर मर के, जिंदा हूं मैं ।
मौत से मेरा, फासला देखो ।।

ईमान गिरवी है ,यहां जिसके "मनीष" ।
सर उठाए घर से, निकला देखो  ।।

कुमार मनीष
माटीगोड़ा (जादूगोड़ा) सामयिक

Madhusudan Shrivastava

दोहे-सामयिक

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विपदा हुई विशाल यह,
दिखे नहीं  अब  अंत।
दो गज की दूरी  रखें,
रहें   घरों   में   बन्द ।। (1)

अंध-बहिर सरकार यह,
है    किसान    मजबूर।
सर पर गठरी लादकर,
राह   चले   मजदूर ।। (2)

सुनके लाख करोड़ की,
उलझे   सभी  गरीब।
मर-मर कर हैं जी रहे,
डॉक्टर, नर्स, मरीज़।। (3)

कहते बस करते नहीं,
ऊंची    रहे   उड़ाय।
राजनीति के राम ने,
दिए  'राम' विसराय ।। (4)

हो साधन-सम्पन्न  तो,
तेरी     है    सरकार।
मृग,बकरी,खग,मेमना,
होते  रोज  शिकार।। (5)

नारों की सरकार को,
नारे   ही   स्वीकार।
अहंकार बस ना सुने,
जनता रही पुकार।। (6)

'मधु' दोहे-सामयिक

Binay Kumar Shukla

पुस्तक चर्चा सच्चिदानंद के सानिध्य में,लेखक श्री विजय कुमार तिवारी,प्रकाशक अंजली प्रकाशन। #पौराणिककथा

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