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Shaarang Deepak
Jitendrasing
Pratibha Tiwari(smile)🙂
जात पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई। 🍃🌸!! जय श्री हरि!!🌸🍃 जात पात पूछे नहीं कोई, हरि को भजे सो हरि का होई 🍃🌸!! जय श्री हरि!!🌸🍃
आचार्य सत्यप्रकाश त्रिपाठी
नवरात्रमहोत्सवस्य शुभकामनाः विशदशारदचन्द्रविभोज्ज्वलां गुणमयीं मृदुहासविमोहिनीम्| निखिलरोगकुदोषनिवृत्तिदां गिरिपतेस्तनयां सदयां भजे|| ©Satyaprakashtr757@ नवरात्रमहोत्सवस्य शुभकामनाः विशदशारदचन्द्रविभोज्ज्वलां गुणमयीं मृदुहासविमोहिनीम्| निखिलरोगकुदोषनिवृत्तिदां
Vicky Laharey
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
पद्धिर छन्द हम आप मिलें , हिय उठा राग । नयनों में फिर , दिखा अनुराग ।। सब रहे देख , मन का मिलाप । फिर हृदय नही , ठहरा विलाप ।। बरसो दिल में , जो जली आग । पुलकित उसमें , अब है पराग ।। ऐसे ही अब , ये ढले शाम । नित अधर भजे , अब राम राम ।। १३/१२/२०२३ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पद्धिर छन्द हम आप मिलें , हिय उठा राग । नयनों में फिर , दिखा अनुराग ।। सब रहे देख , मन का मिलाप ।
विष्णुप्रिया
यदि ऊर्जा " science " है तो, महादेव "vibration of origin " 🙏🙏 !! सदा शिव सहायते !! A theory of everything (TOE or ToE) is coherent theoretical framework of physics that fully explains and links tog
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र चिंतन :- कुण्डलिया तेरा मेरा ये मिलन, है अब एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद , भजे सब राधे-राधे । यही प्रेम है पूर्ण , सुना जो भी है आधे ।। थाम प्रखर अब हाथ , करें सरयू का फेरा । क्या जाने फिर बाद , शुरू हो चर्चा तेरा ।। ०९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र चिंतन :- कुण्डलिया तेरा मेरा ये मिलन, है अब एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद , भज
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चित्र चिंतन :- कुण्डलिया प्रेम-हमारा हैं यहाँ, देखो एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद , भजे सब राधे-राधे । यही प्रेम है पूर्ण , सुना है जो भी आधे ।। थाम हाथ में हाथ , पास बहती जल धारा । चल मिटने के बाद , अमर हो प्रेम-हमारा ।। ०९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चित्र चिंतन :- कुण्डलिया प्रेम-हमारा हैं यहाँ, देखो एक विवाद । क्या समझेगा जग हमें , रही न मीरा याद ।। रही न मीरा याद
AB
अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्। स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥ अर्थात- जो कल्यानमय, अविनाशी, समस्त कलाओं के रस का अस्वादन करने वाले हैं, जो कामदेव को भस्म करने वाले हैं, त्रिपुरासुर, गजासुर, अंधकासुर के सहांरक, दक्ष यज्ञ विध्वंसक तथा स्वयं यमराज के लिए भी यमस्वरूप हैं, मैं उन शिव जी को भजता हूं,! ll🌸ll ॐ नमः शिवाय ll🌸ll ___________________________________________________ अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह