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Anant Nag Chandan

कोई ख़त वत नहीं फाड़ा, कोई तोहफ़ा नहीं तोड़ा कि वो देखे तो ख़ुद सोचे कि दिल तोड़ा ? नहीं तोड़ा? #ख़त #Life

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ख़त कोई ख़त वत नहीं फाड़ा, 
कोई तोहफ़ा नहीं तोड़ा
 कि वो देखे तो ख़ुद सोचे 
कि दिल तोड़ा ? नहीं तोड़ा?

©Anant Nag Chandan कोई ख़त वत नहीं फाड़ा, कोई तोहफ़ा नहीं तोड़ा कि वो देखे तो ख़ुद सोचे कि दिल तोड़ा ? नहीं तोड़ा?

#ख़त

Gaurav Kumar Sagar

मैं बिगड़ा नहीं मुझे तुमने बिगाड़ा, बड़ा कोमल था मेरा दिल जो तुमने फाड़ा। #heartout #Life #Love #SAD #SAD💔 #Feeling #Memories #Shayar #कोट्स

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मैं बिगड़ा नहीं मुझे तुमने बिगाड़ा,
बड़ा कोमल था मेरा दिल जो तुमने फाड़ा।

©Gaurav Kumar Sagar मैं बिगड़ा नहीं मुझे तुमने बिगाड़ा,
बड़ा कोमल था मेरा दिल जो तुमने फाड़ा।

#heartout #Life #Love #SAD #Sad💔 #Feeling #Memories #Shayar

Md Wazaifa Kamal

बिहार हम बिहार हुँ साहेब कोरोना की आड़ में हमारी मौत लिखी जाती है साहेब हाँ मैं बिहार हुँ! केह दो ये मिट्टी बुज़्दिल #Life #story #Stories #flood #mdwazaifa

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बिहार
हम बिहार हुँ साहेब
कोरोना की आड़ में
हमारी मौत लिखी जाती है साहेब
            हाँ मैं बिहार हुँ! 
            केह दो ये मिट्टी बुज़्दिल पैदा नही करते
           हम बिहार हुँ साहेब
पहले कुदरत ने कहर ढ़ाया
जमीं को फाड़ा
आसमाँ को चिड़ा
केई लाखो लोगों की सपने को कुरेदा
फिर भी हिम्मत नही हारे साहेब
हम बिहार हुँ साहेब
                       हम पे तरस मत खाओ
                        जिस तरह तुम ने घर से बेघर किया
                       ऐक रोटी के लिए तड़पाये
                       ये भी याद रखा जायेगा
                        फ़िर भी ये केह दूँ ये भी 
                        सब पे नही सजती
                        हम बिहार हुँ साहेब बिहार
हम बिहार हुँ साहेब
कोरोना की आड़ में
हमारी मौत लिखी जाती है साहेब
            हाँ मैं बिहार हुँ! 
            केह दो ये मिट्टी बुज़्दिल

Devesh Dixit

#खून_इंसानियत_का खून इंसानियत का खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग, इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग। जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल् #कविता #Sandip

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खून इंसानियत का

खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग,
इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग।
जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी,
फिर क्यों पीड़ा से अब चिल्ला रहे हम लोग।

मुसीबत में देख उसे अभी भाग रहे हम लोग,
वक्त नहीं हमारे पास यही कह रहे हम लोग।
कैसा अब ये स्वार्थी दौर चल रहा है देखो तो,
खुद की बारी पर क्यों दुहाई दे रहे हम लोग।

अपने ही परिवार को कुचल रहे हैं हम लोग,
आए दिन अखबार में ही पढ़ते हैं हम लोग।
अपराधों का दौर ही अब चल पड़ा है दोस्त,
उन्हीं अपराधों पर पग रख चुके हम लोग।

कुरीतियों ने मुँह को फाड़ा वहीं बढ़ रहे हम लोग,
दूसरों पर व्यंग्य कसते खुद बहक रहे हम लोग।
आदि न अंत हमारी समस्याओं का कभी होगा,
इसलिए खून इंसानियत का कर रहे हम लोग।

खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग,
इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग।
जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी,
फिर क्यों पीड़ा से अब चिल्ला रहे हम लोग।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit #खून_इंसानियत_का

खून इंसानियत का

खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग,
इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग।
जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्

Harshita Dawar

एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा लिखा था कृपया ज़रूर पढ़ें इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का

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एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा लिखा था 
कृपया ज़रूर पढ़ें 
 एक बिजली के पोल पर एक पर्ची लगी देख कर मैं करीब गया और लिखी तहरीर पढ़ने लगा 
लिखा था 
कृपया ज़रूर पढ़ें 
इस रास्ते पर कल मेरा पचास रुपये का

kavi Dinesh kumar

#जाड़ा आया जाड़ा #कविता

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