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अनुराग "सुकून"
इस गुलशन में बहार कहां, बेवफाओ से अब प्यार कहां, जीवन के इस सफर मे, अब वफा का बाजार कहां, इतना दगा होने के बाद इस ठुंठ पर, नयी कोंपलों का अधिकार कहां, प्रेम रहित इस जीवन में, अब जीवन का उद्धार कहां। ..... कविराज इस गुलशन में बहार कहां//कविराज
Amita Singh anu
पंखों को खुला छोड़ दो सपनों का रास्ता जोड़ दो तुम आजाद परिंदे हो इस जहां में अरमानों को जिंदा छोड़ दो। ©Amita Singh anu अरमानों के पंख
Balawant Ji Ghazipur Uttar pradesh
गुलशन में खिला गुलाब तो इत्र लगाने से क्या फायदा जिस जगह पर मेरी कदर ही नहीं वहां आने और जाने से क्या फायदा क्या फायदा ©Balawant Kumar गुलशन में खिला गुलाब
Hiren. B. Brahmbhatt
सैर करो दिल के गुलशन की , इसमें है बस चाह तुम्हारी, घर भी है इसमें तुम्हारा, दिल बाग़ है हर एक चमन, जिस की वजह हो तुम .... #NojotoQuote सैर दिल के गुलशन की ।
DR. LAVKESH GANDHI
झूला उफ ! इस झूले को किसी की नजर लग गई जो कल तक साथ थे वह आज दूर हो गए अपनी रची साजिशों के ही हम खुद शिकार हो गए जिसे समझा था प्रियतम वह प्राणहर्ता हो गए न जाने क्यों न समझ पाने की भूल कर दी थी मैंने आज हम गुनाहों के गुनाहगार बन बैठे थे ©DR. LAVKESH GANDHI #Leave # # मेरे अरमानों के झूले #
Ibrahim 💞S💞
💗 मोहब्बत की गलियों में 💗 फूलों की कली, 🌷गुलशन बनके खिलती है🌷 """ इंतेहान भी है सब्का """ इंतजार करके देखो 💐 फूलों की खुशबू मिलती है 💐 बेवफा कहेके क्यों घूमते हो सदा 🥀 सच्चे दिल से पुकार के देखो 💘 तुम्हारी मोहब्बत जरूर मिलती है 💘 मोहब्बत के गलीमें में फूल की कली गुलशन बनके खिलती ✍️
Shubham Bhardwaj
कभी गुलशन, कभी बहार, कभी चमन में देखा है। मैंने अपनी मोहब्बत को,हरदम हर जतन में देखा है ।। ©Shubham Bhardwaj #कभी #गुलशन #बहार #चमन #में #देखा
आर्या
आज फूल खिले हैं बागों में , जिससे खिला हैं ये गुलशन सारा, फूलों को देख आज भंवरे भी, हर्सोन्मुख हैं और रंग -बिरंगी तितलियों को देख ये फिज़ा भी हो गई रंगीन हैं| आज कांटे भी अपने चुभन को भूल बैठा है और कलियों को निहारे जा रहा हैं| आज बादल भी अपने रूठे स्वभाव को भूल झमा - झम बरस रहा हैं और इसकी बूंदों कि छुअन से पशु - पंछी भी नाच उठे हैं| आज सूखे पत्ते भी अपने गमों को भूल गया हैं और प्रकृति की गोद को ही पेड़ों का शाख समझ बैठा हैं| आज पंछिया भी अपने दरख़्त से निकल, अपने पँख फैला,उस आसमां को छूने को बेताब हैं| मानो आज ये प्रकृति सौंदर्यता से परिपूर्ण हो गई हैं और अपनी सौंदर्यता पे इठला रही हैं| आज वसंत की भोर से सूरज की लालिमा भी शरमा गई हैं| आज ओस की बूंद भी अपना महबूब उन हरे- भरे पत्तो को बना बैठी हैं और आज हमारा मेहबूब ये प्रकृति बन बैठा हैं| - #आज फूल खिले हैं गुलशन में