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Divyanshu Pathak
महाभारत के बाद मनुष्य ज्ञान और भावना शून्य हो गया है राधे। उसने प्रयासों से जीवन को नया मार्ग दिया है। टूटे छूटे आधे अधूरे श्लोक और आवश्यकता के अधीन हो अविष्कार किये हैं। प्रेम को भी यांत्रिकी का विषय बनाने में लगा है। मन को ढूंढ नहीं पाया बातें आत्मा की करता है और हृदय की ख़ोज में है।— % & महाभारत के बाद मनुष्य ज्ञान और भावना शून्य हो गया है राधे। उसने प्रयासों से जीवन को नया मार्ग दिया है। टूटे छूटे आधे अधूरे श्लोक और आवश्यकता
Shrikant Agrahari
यदि महेश्वर सूत्र न होता,, यदि महर्षि पाणिनि न होते ,, तो व्याकरण का मूल न होता। शब्दों का कोई समूह न होता।। लिपि के माध्यम से भावनाओ को व्यक्त करने की हमारी,सामर्थ्यता न होती। अक्षर का मेल न होता,भाषाओ का खेल न होता। ©श्रीकान्त अग्रहरि Caption me bhi padhe माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप
Shrikant Agrahari
हिंदी काव्य कोश संगठन का, सहृदय कोटि कोटि आभार🙏🙏 माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप
AK__Alfaaz..
भूगोल की क्लास मे, पढ़ने वाली, 14 बरस की लड़की, मानचित्रों पर, उष्णकटिबंधीय वनों व, शीत कटिबंधीय वनों को, खोजती है, और.., उकेरती है, अपने मन के मरूस्थल पर, बबूल,नागफनी की हरियाली, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #18_बरस_की_लड़की भूगोल की क्लास मे, पढ़ने वाली, 14 बरस की लड़की,
Rajesh Verma
तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ? By राजेश वर्मा गुरुवार 05/08/2021 राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह मुहावरा सत्य साबित हो रहा है। शासन के द्वारा बनाये नियमो की धज्जियां सरे आम उड़ती हुई दिखाई दे रही है।जिम्मेदार आँख बंद कर मोन बैठे है वही सत्ता के सौदागर रोटियाँ सेक रहे है। तीसरी लहर का खोफ नही --- विश्व आज वैश्विक महामारी कॅरोना से लड़ रहा है , सरकार बार बार आगाह कर रही है कि तीसरी लहर खतरनाक साबित हो सकती है और कॅरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है फिर भी बिना माक्स के बाजारों में रौनक बढ़ रही है , वही सोसल डिस्टेडिंग का पालन नही किया जा रहा है।सड़क मार्ग पर चलने वाली यात्री बसों में भी क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाया जा रहा है । यहाँ तक कि चालक - परिचालक भी बिना माक्स के दिखाई दे रहै है।सरकार की बार बार चेतावनी के बाद भी महामारी को बहुत हल्के में ले रहे है और स्थिति अगर बिगड़ेगी तो सारा दोष सरकार ओर प्रशासन लगाने से सत्ता के सौदागर पीछे नही रहेंगे। दुकानों , बैंकों आदि स्थानों पर भी सोशल डिस्टेडिंग की सरे आम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सूचना के अधिकार की धज्जियां उड़ाता तंत्र --- सूचना के अधिकार कानून 2005 के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग सरदारपुर को दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील दिनाँक 28/09/2020 को की गई लेकिन जिम्मेदार आज तक मोन है । इसी प्रकार वन विभाग सरदारपुर को भी दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील 28/09/2020 को की गई । इसी प्रकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI-47 ) को भी दिनाँक 28/09/2020 को आवेदन दिया गया परन्तु भ्रष्ट तंत्र के कानों में जू तक नहीं रेकी आज तक । जिम्मेदार अगर जिम्मेदारी से भागने लगे और नियमों की इसी प्रकार धज्जियां उड़ाई जायेगी तो फिर नियम बनाये क्यो? समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन --- नगर में व्याप्त समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन? इसका अर्थ यह है कि समस्या का समाधान कोई चाहता ही नहीं । बारिस के चलते नगर की सड़कें कीचड़ से भरी पड़ी है क्योंकि पानी के निकासी की पर्याप्त सुविधा नही है । समय समय पर नालियो की सफाई नहीं हो पाने के कारण भी समस्या उत्पन्न होती हैं। ओटले बनने के कारण भी नालियों की सफाई में दिक्कत उत्पन्न होती है। रसूखदारों ने 05 से लेकर 10 फ़ीट तक के ओटले बना दिये है और यहाँ तक कि गलिया भी खत्म हो गई परन्तु मोन है? अवैध फिर भी मिलीभगत से सब सम्भव --- नगर में लगभग तीस से अधिक कालोनियां है जिससे सिर्फ तीन कालोनी ही नगर परिषद को हस्तांतरित की गई है लेकिन जिन्होंने अभी तक हस्तांतरित नही की वहाँ पर बिजली , पानी की व्यवस्था कैसे पहूंची , यह एक जांच का विषय है । समस्या उत्पन्न करते हे तंत्र मोन हे और जब कोई सख्त अधिकारी कार्यवाही करते हे तो वोटो के सौदागर सड़क पर उत्तर जाते हे , समस्या का समाधान करने की बजाय समस्या पैदा क्र देते हे /अगर नियम बनाने वाले ही नियमो की धज्जियां उड़ायेगे तो आम जन को न्याय कैसे मिलेगा ? प्रजा ओर तंत्र की मिलीभगत से समस्या उत्पन्न की जा सकती है परंतु समस्या का समाधान से राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रदस्त किया जा सकता है।जय हिंद ©Rajesh Verma तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ? By राजेश वर्मा गुरुवार 05/08/2021 राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह
Aprasil mishra
"""हमारे संघर्ष और हमारे प्रवर्धित मूल्य """ जब हम संघर्ष के दिनों में होते हैं, तो प्रायः परिवार, समाज, अपनी परिस्थिति व प्रस्थिति, सगे- संबंधियों... आदि को लेकर हमारे अं