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Satish Kumar Jayaswal
रंग भरी जंग चली गलियों में तंग चली रंग-रंग के अंग-अंग करती हुड़दंग चली Read full poem in caption #holi2019 #fourthquote #4th रंग भरी जंग चली गलियों में तंग चली रंग-रंग के अंग-अंग करती हुड़दंग चली
Shilpa
ध्यान रंग से रंग जाऊँ मैं अंग अंग निखर जाऊँ #shilpapandya ©Shilpa ध्यान रंग से रंग जाऊँ मैं अंग अंग निखर जाऊँ #shilpapandya
Shilpa yadav
भटकते हुए एहसास समेटने के चक्कर में अक्सर भटकते हैं लोग,चींटी जैसे शक्कर में ©Shilpa yadav #JodhaAkbar #आंगन #स्मृति#स्मृति
Mk Bihari
दुनियाँ अजीव है न! अंग के लिए ; अपनो का संग छोर जाते हैं स्थितियाँ बदलना तो छोरो, वे अपनो को भुल जाते हैं; अंग-रंग के भ्रम में पङ कर, अपनों का याद नहीं आती; जब-तक आखें खुलती है, तब-तक देर है ,हो जाती। ©Mk Bihari अंग-रंग का चक्कर #Journey
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##स्मृतियों के पन्नों से## वाणी के तीक्ष्ण शरों से जब ये हृदय बिंध हो जाता है तुम याद स्वयं आ जाती हो रह -रह कर कर मन अंकुलाता है तुम बिन रोना भी चाहूँ तो मैं किसके अंक शीश रख दूं अंतस की विकल उदासी को कैसे स्मित पट से ढक दूं मालूम है तुम न आओगी दुनिया की इन दहलीजों पर लेकिन हर बार हृदय मेरा- पागल सा तुम्हें बुलाता है मन कभी कभी थक जाता है दुनिया की दुनियादारी से शीतल सा मन जल उठता है आघातों की चिंगारी से जब प्राणों की सारी कविता यूँ ही उदास हो जाती है जब निर्निमेष बोझिल आंखों में शून्य क्षितिज भर आता है तुम को खोया तो है मैंने लेकिन इक अनुभव पाया है शाश्वत आखिर क्या है जग में जाएगा जो भी आया है मैं शोक नहीं करती फिर भी यादें हैं😔😔 आ ही जाती हैं जब यह मासूम हृदय मेरा दुनिया में ठोकर खाता है इक अरसा गुजर गया लेकिन सब कल जैसा ही लगता है तुम अभी -अभी क्या चली गई हो कुछ ऐसा ही लगता है तुम स्वप्नों में भी मौन सत्य का इक संबल दे जाती हो "स्नेह" तुम्हारे बंधन में मन सुखपूरित दुख पाता है __अभिलाषा पाण्डेय "स्नेह" ©abhilasha pandey #स्मृति#
Rahul Saraswat
मैं उसके लिए , कोई भार नहीं बनना चाहता था इसलिए स्वयं को एक स्मृति तक सीमित कर लिया .. स्मृति
VED PRAKASH 73
कोई भी स्त्री बनावटी प्यार से बहुत दिनों तक संतुष्ट नहीं रह सकती हर व्यक्ति में स्वार्थ का पुट रहता है यह स्त्री पर है कि वह अपने लिए और स्त्री के रूप में अपने लक्ष्य के लिए मोर्चा ले... -मिलान कुंदेरा (1929-2023) ©VED PRAKASH 73 #स्मृति
Savita Suman
#स्मृति तुम्हारी स्मृति को भूला दूं कैसे यही तो जीवन का आधार है सुख दुःख के हर एक पल को अश्कों से लिखा मैंने संसार है ©Savita Suman #स्मृति