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कृष्ण तनय जी महाराज श्रीधाम वृन्दावन
नारायण नारायण नारायण नारायण जय जय श्री भगवान परशुराम जी की हम सभी देशवासियों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं।और सभी लोग ओमिक्रांन जैसे संक्रमण से सावधान रहें । ©कृष्ण तनय जी महाराज श्रीधाम वृन्दावन नारायण नारायण नारायण नारायण #Glow
rajkumar
श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि ©rajkumar श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि लक्ष्मी नारायण नारायण हरि हरि
Yogita Harne
मेरा यह लेख तानाजा द अनसंग वारियर से प्रेरित है.... शिवराया शिवाजी एवं तानाजी जैसे वीरो को हम नमन करते हैं 🙏🙏🙏 पर इस पूरी कहानी में मुझे दो वीरांगनाए भी दिखी उनका यूद्ध अस्त्र उनका आत्मबल,संयम, विश्वास और भक्ति थे जो सिखाते हैं स्त्री की शक्ति बाहुबल से नहीं आत्मबल 1) प्रथम मातोश्री जीजा मा साहेब उनका विश्वास थथा अपने पूत्र पर और अपनी माँ भवानी की भक्ति पर एक पल भी विचलित नही हुई ) सावित्रीबाई संयमित पर तीव्र महिला जो अपने पति की प्रेरणा ढाल बनी विपरीत परिस्थितियों मे भी अपना संयम नही खोया और वचन सिर्फ कहा नहीं उसे निभाया भी अपने शिव की शक्ति बनकर तभी हम नारी को शक्ति बनकर पूजते हैं जय भवानी जय शिवाजी जगदंब..... नारायणी
Aman
वो लड़कर सो जाए.... तो उसका माथा चूमूं मै... उस से मोहब्बत एक तरफ है.. और उस से झगड़ा एक तरफ.. ©Aman❤️ #केयर
kesaravinash
दर्द के बहाने न देख इस बेदर्द जमाने के चलते-फिरते ताने न देख! दिल के ज़ज्बातों के आगे होंठ के गाने न देख!! डूब के,दरियाव के मौजों में पलते जाले न देख! दिल में सबके दर्द देख, दर्द के बहाने न देख!! गर्दिशों में पल रहे जो सैकड़ों सितारे न देख! यूँ किनारे बैठके लहरों के ताने न देख !! छलछला उठे कभी जो दर्द के प्याले न देख! जिंदगी मदहोशियाँ है, तू मग़र मयख़ाने न देख!! नब्ज़ देख, मर्ज़ देख, सिरहाने- पैताने ना देख! दरमियाँ देख अपने दामन भी कभी, तू मेरे फाने ना देख!! ---------- कुमार अविनाश केसर ©kesaravinash #केसर
kesaravinash
हे ऋषि! तुम गए- असत् से सत् की ओर! तम से ज्योति की ओर! मृत्यु से अमृत की ओर! हम गए - सत् से असत् की ओर! ज्योति से तम की ओर! अमृत से मृत्यु की ओर! तुम कितने असभ्य थे! तुम कितने पौराणिक थे! तुम कितने बर्बर थे, ऋषि! तुम कितने अविकसित थे! हम कितने सभ्य हैं! देखो न- हवा ही जला डाली। हम कितने सभ्य हैं! प्यास बढ़ा ली, पानी सूखा डाला। हम कितने नवीन हैं - धरा खोद डाली, नाले पाट डाले। हम कितने उदार हैं! हमारा हर काम 'स्वान्तः सुखाय' है। तुम्हारा हर काम 'परोपकाराय पुण्याय ' था। हाँ, ऋषि! हम विकसित हैं - तुमने नदियों में (किनारे ) घर बनाये, हमने नदियों पर (भर कर ) घर बनाये। ©kesaravinash #केसर
Jeet Nama
!! कुदरत का कहर भी जरुरी था साहब हर इंसान खुद को खुदा समझने लगा था !! !!जीत नामा!! केहर
Raone
जब मेरे सुगन्धित इश्क़ की चमेली, रातरानी हैं आप मिलती हैं सारी खुशियाँ आगोश में आपके पूरी की पूरी तो आख़िर मेरी ज़िन्दग़ी क्यूँ न हो केशर व कस्तूरी राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी केशर