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Reshma Tripathi Raj Tripathi
शीर्षक–‘ ठिठक– ठिठक कर जी रहें हैं' “ लोग ठिठक –ठिठक कर जी रहें हैं, इस कहर त्रासदी में दसों दिशाओं में , कोरोना फैला हुआ हैं क्या बूढ़े क्या युवा,क्या राजा क्या रंक सभी के संग समभाव दिखला रहा हैं लोग ठिठक– ठिठक कर जी रहें हैं,इस कहर त्रासदी में । स्वर्णिम भविष्य की पटकथा में रिक्तता बढ़ रही हैं न कोई तस्वीर ,न कोई रंग,न कोई सपने,न कोई बात हो गए हैं सब बदकिस्मत और आशावादी ऐसा हकीकत में ,मुर्दा समय चल रहा हैं लोग ठिठक– ठिठक कर जी रहें हैं, इस कहर त्रासदी में । नए मौसम का हर कोई, अब पता पूछता हैं आशा का भाव लिए, हर उपचार खोजता हैं बेरौंनक वक़्त हैं हर कोई हांफता,चिल्लाता, छिंकता चल रहा हैं लोग ठिठक– ठिठक कर जी रहें हैं, इस कहर त्रासदी में न मिलना,न बिछुड़ना,न रूठना,न मानना न कोई किताबें, न कोई शिकायतें न धर्म ,न यात्रा, न पिक्चर, न पार्टी न कोई निदों में सपने हैं अब, ऐसा मुर्दा समय चल रहा हैं लोग ठिठक– ठिठक कर जी रहें हैं इस कहर त्रासदी में ।" रेशमा त्रिपाठी प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश ©Reshma Tripathi Raj Tripathi ठिठक ठिठक कर जी रहें हैं #covidindia
Baldev R. Kumar
फेसबुक पे अक्सर मिलते हो कभी फेस टू फेस भी मिलो प्यार हो या पौधा सिंचना पड़ता है
S Ram Verma (इश्क)
यूँ ठिठक कर खड़े हो , वफ़ा को बे-वफ़ा होते देखा है क्या ; यूँ प्याली भर मौत को ; तुमने आज कतरा कतरा पिया है क्या ! #ठिठक #कर #खडे #हो
Ravi Sharma
मैं जी लुगा उनके वीना और उनको भुला दूंगा जो लीखा था दिल पर नाम उनका उनको भी जला दूंगा ठिक है
Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav
"ठेस" वाले सिरचन भैया... ................. मैला आँचल से उन्होंने ऐसा फुल खिलाये.. जिसकी सुगंध बिहार से देश-विदेश तक फैलाये.. छात्र संघर्ष समिति से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक में फर्ज निभाये. नेपाली क्रांति से लेकर जे.पी नारायण क्रांति तक का सफर सजाए. भारत की दुखभरी घटना उत्तर की बाढ़ दक्षिण की सुखाढ़ सबको बतलाए.. वो अपने ऋणजल धनजल के माध्यम से खबर सब तक पहुचाए.. प्रसिद्ध कहानी "मारे गये गुलफाम" तीसरी कसम बनकर आए.. पति-पत्नी के बीच की प्यारी नोंक-झोंक "लाल पान की बेगम" कहलाए.. खुरपी से खेत तक गांव की यादें मीठे शब्दों से मनोरंजन करवाए.. "ठेस" वाले सिरचन भैया की कहानी बता गुदगुदी लगवाए.. "कितने चौराहे" की दिल झकझोर कर देने वाली शब्द देश भक्ति की ज्वाला जलाए.. पद्मश्री,श्री फनेश्वर नाथ रेणु साहब की दिमागी कला हमारे अंदर उत्साह की आग लगाए.. ...कुमार श्री एस.पी. यादव"laddu"(अररिया, बिहार 7488686695)........... ©Laddu ki lekhani Er.S.P Yadav shree phaneshwar nath renu "ठेस"वाले सिरचन भैया...
Anuj Verma
तुमसे रुठकर क्या हमारा घर जाना ठीक है? मंज़िल की तलाश मे निकले थे मंज़िल ना मिली तो क्या आशियाना रस्ते पे बनाना ठीक है?? गुमशुदा हो तो ऐसे हो कि मुद्दतों तक हमारी किसी को ख़बर ना मिले और किसी रोज मौत रूबरू आ जाए तो क्या मौत से डर जाना ठीक है?? डर जाए हम ये तो हो नहीं सकता इससे अच्छा तो हमारा मर जाना ठिक है। ©Anuj Verma #सब #ठिक #है
Singh Manpreet
एक पागल कह रहा था के किसी को चाह बैठा हूँ शिद्दत से तभी तो बरबादी के इतना नजदीक हूँ मैं. मैं सोच रहा था के अगर वफा का नतीजा ये है तो फिर बेवफा ही ठीक हूँ मैं. 🙋🙋 ©Singh Manpreet ठिक हूँ मैं
uday
सोच रहा हूं ,कह दू "अलविदा" उसे बड़े "घाव" से बेहतर, छोटी "चोट" मुनासिफ है । यही ठिक रहेगा ....सायाद...?