Find the Latest Status about निष्ठा की फुल फॉर्म from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, निष्ठा की फुल फॉर्म.
Dalip Kumar Deep
सर कोई बतायेग नोजोटो का फुल फार्म क्या है इंगलि में ©Dalip Kumar Deep नोजोटो का फुल फॉर्म बतायेगें इंगतिश में #Rose
Dalip Kumar Deep
सर कोई बतायेग नोजोटो का फुल फार्म क्या है इंगलि में ©Dalip Kumar Deep नोजोटो का फुल फॉर्म बतायेगें इंगतिश में #Rose
Hindi Spider
kyabdjkdkdndnskkdk ©Hindi Spider जानें DNA का फुल फॉर्म और बहोत कुछ
Chetanya Jagarwad
भूख से लड़े, महामारी से लड़े, तूफान से लड़े,हर बीमारी से लड़े, आपसी भाईचारे की हर दीवार हटाई, चीन खामखा मर जायेगा तू, अबकी छेड़ी गर तूने कोई लड़ाई।। #cinemagraph #india #indianarmy #indian #indianwriters #chetanyajagarwad ।।फुल फॉर्म में है भारत।।
Sunil itawadiya
पागल??🤔🤔 What is full form pagal जरा कोई पागल का फुल फॉर्म बताएगा
SK Poetic
writing quotes in hindi पेशवा नारायणराव की पुत्री सुनंदा ने अपनी बुआ रानी लक्ष्मीबाई की तरह अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देकर निर्भीकता का परिचय दिया। सुनंदा को अंग्रेजों ने त्रिचनापल्ली की जेल में बंद कर दिया ।वहाँ से मुक होते ही वे एकांत में भक्ति-साधना करने नैमिषारण्य जा पहुँचीं। वहाँ वे परम विरक्त संत गौरीशंकरजी के संपर्क में आईं। संतजी सत्संग के लिए आने वालों को स्वदेशी व स्वधर्म प्रेम के लिए प्रेरित करते थे। सुनंदा उनकी शिष्या बन गईं। साध्वी सुनंदा ने साधु-संतों से संपर्क कर उन्हें स्वदेशी व स्वधर्म के लिए जन-जागरण करने के लिए तैयार किया। नैमिषारण्य में लोग ‘साध्वी तपस्विनी’ के नाम से उन्हें पुकारने लगे। वे साधुओं की टोली के साथ गाँवों में पहुँचतीं और ग्रामीणों को विदेशी सत्ता के विरुद्ध विद्रोह की प्रेरणा देतीं। अंग्रेजों को जब साधु-संतों के इस अभियान का पता चला, तो सीतापुर के आस-पास के अनेक साधुओं को गोलियों से उड़ा दिया गया । तपस्विनी सुनंदा चुपचाप नेपाल जा पहुँचीं। वहाँ से गुप्त रूप से पुणे पहुँचकर उन्होंने लोकमान्य तिलक से आशीर्वाद लिया। वे स्वामी विवेकानंदजी से भी बहुत प्रभावित थीं। उन्होंने कलकत्ता में महाकाली कन्या विद्यालय की स्थापना की ।सुनंदा ने बंग-भंग के विरोध में हुए आंदोलन में भाग लिया। 16 अगस्त, 1906 को कोलकाता में रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में हुंकार भरते हुए उन्होंने कहा, ‘यदि हम रक्षाबंधन के पवित्र दिन विदेशी वस्तुओं के पूर्ण बहिष्कार का संकल्प ले लें, तो अंग्रेजी सत्ता की जड़ें हिल जाएँगी।’ अगले ही वर्ष 1907 में राष्ट्रभक्त तपस्विनी ने कोलकाता में स्वदेशी का प्रचार करते हुए अंतिम सांस ली । ©S Talks with Shubham Kumar तपस्विनी की स्वदेश निष्ठा
Fact Factory