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Shailendra Gond kavi

दौड़ते हैं #Shailendra_Gond_kavi Shayari #nojotohindi #Trending #शायरी

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Anwar Hussain Anu Bhagalpuri

#RunForCountry#Anwar आओ चलो दौड़ते हैं, दौड़कर कुछ संदेश देते हैं ! बताएं लोगों को कि हम , अब भी संग चलते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..! #कविता

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Run for country..

आओ चलो दौड़ते हैं,
 दौड़कर कुछ संदेश देते हैं !

 बताएं लोगों को कि हम ,
अब भी संग चलते हैं  ,
आओ चलो दौड़ते हैं ..!

दौड़ते हुए कुछ संदेश पढ़ते हैं ,
कि हम अब भी संग चलते हैं !

ना कोई खाई ,ना कोई भेदभाव है,
 हम युवा हैं, हम ही कल हम आज हैं !

हम ही दिशा है ,हम ही निर्देशक ,
हम ही हैं क्रांति ,हम ही आग है..!

 आओ चलो दौड़ते हैं ,
आओ चलो y

दौड़ते हुए यही संदेश देते हैं,
आओ चलो दौड़ते हैं ,
आओ चलो दौड़ते हैं ..!

 अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #RunForCountry#Anwar

आओ चलो दौड़ते हैं,
 दौड़कर कुछ संदेश देते हैं !

 बताएं लोगों को कि हम ,
अब भी संग चलते हैं  ,
आओ चलो दौड़ते हैं ..!

Rohan Roy

आपको लगता है घोड़े तेज दौड़ते हैं। तो आप घोड़े के समान, तेज भागना चाहते हैं। | #RohanRoy | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | #Motivational

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Mere alfaaz

मनुष्य के दिमाग में दो "घोड़े" दौड़ते हैं एक Negative दूसरा Positive जिसको ज्यादा खुराक दी जाए वही जीतता है। #dailypost #Like #comments sh #Thoughts #Motivation #share #qotd #igwriters #nojotoapp #viral #कोट्स

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मनुष्य के दिमाग में दो "घोड़े" दौड़ते हैं एक Negative दूसरा Positive जिसको ज्यादा खुराक दी जाए 
वही जीतता है।

©Mere alfaaz मनुष्य के दिमाग में दो "घोड़े" दौड़ते हैं एक Negative दूसरा Positive जिसको ज्यादा खुराक दी जाए 
वही जीतता है।
#dailypost #Like #comments #sh

Abhishek 'रैबारि' Gairola

प्रकृति भी अद्भुत है। एक ऐसा स्थान जहां कंक्रीट के जंगल बसे हुए हैं, जहां प्रकृति को योग्य श्रद्धा नहीं मिलती, जहां हम इस पौराणिक और मूलभूत

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Prakhar Tiwari

#desert हम रेत के महल बनाते हैं, हम गुड़िया को सजाते हैं, हम खिलौनों वाली कारों से खेलते हैं , हम कीड़े और तितलियों का पीछा करते हैं, #रात #राम #कविता #कृष्ण #लव #समाज_और_संस्कृति

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हम रेत के महल बनाते हैं,


हम गुड़िया को सजाते हैं,
हम खिलौनों वाली कारों से खेलते हैं
, 
हम कीड़े और तितलियों का पीछा करते हैं, 

 हम दौड़ते हैं, गिरते हैं और रोते हैं,
 फिर हम,हम हाथ पकड़ते हैं उनका,
हम खुश हो जाते हैं बच्चो की तरह नाचते हैं।

गमों को भूल जाते हैं हम सपने सजाते हैं
उन सपनों को पूरा करते हैं एक साथ
और हम अंश को जन्म देते हैं अपने
हम वयस्क बन जाते हैं

©Prakhar Tiwari #desert हम रेत के महल बनाते हैं,


हम गुड़िया को सजाते हैं,
हम खिलौनों वाली कारों से खेलते हैं
, 
हम कीड़े और तितलियों का पीछा करते हैं,

हरीश वर्मा हरी बेचैन

विकास इतना किया है! खेत में सोंधी मिट्टी में.. जहर भर दिया है!! ज्यादा तर गांव को.. शहर कर दिया है! रास्ते बनाए है डावर के.. घर को कंकड़ पत्

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विकास इतना किया है!
खेत में सोंधी मिट्टी में..
जहर भर दिया है!!
ज्यादा तर गांव को..
शहर कर दिया है!
रास्ते बनाए है डावर के..
घर को कंकड़ पत्थर से.. 
भर दिया है!!
पेड़ों का कर दिया..
कटाई और छटाई!
वातावरण को 
तरंगो से भर दिया!
दौड़ते हैं फर्राटे से गाडियां!
उड़ते हैं जहाज
जिन्दगी को
धुआं धुआं कर दिया!
कचडो से नदी तलाब
और सागर को भर दिया!
जंगल को दुनिया से
गायब कर दिया!
जीवन के लालसा ने
जहर भर दिया!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
हरीश वर्मा हरी बेचैन
८८४०८१२७१८ विकास इतना किया है!
खेत में सोंधी मिट्टी में..
जहर भर दिया है!!
ज्यादा तर गांव को..
शहर कर दिया है!
रास्ते बनाए है डावर के..
घर को कंकड़ पत्

Anjali Srivastav

काश! ये नदियां ये सागर ये साहिल एक ही जगह ठहर जाते और फिर मैं उनके नटखट पन और अनवरत चलते रहने की राज पूछती और पूछती क्या तुमको हम मानवीय अत् #India

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काश!
ये नदियां ये सागर ये साहिल
एक ही जगह ठहर जाते
और फिर मैं उनके नटखट पन
और अनवरत चलते रहने की
राज पूछती
और पूछती क्या तुमको
हम मानवीय अत्याचार भरे व्यवहार
से मन विचलित नहीं होता
आज तरह - तरह के वेदनाओं से घिरे रहना
तुम्हारा हम मानवीय द्वारा ही है

क्यों चुप रहते हो?  आखिर क्यों?
क्या इकट्ठा प्रहार करोगी
जानलेवा
तकरार करोगी
मन मलिन है
गन्दी कीड़ों की भांति कुछ कुंठित 
वर्ग के लोगों का
हे सागर हे नदिया
हे लहरें
समस्त आपदाओं का कैसे 
सामना कर लेती हो
वो हिचकोले खाते हुए
मदमस्त हो धुन में चलते हुए
कभी भी न उफ्फ किए हुए
हम मानव
कब तक ऐसे पापों
को ढोते रहेंगे
आखिर कब तक...?
हम मानव होकर भी
पशुओं के भांति एक दूजे को
खाने को नोचने को दौड़ते हैं
आखिर कब तक
ये यूं सतत चलेगा
मानव पापों का घड़ा भरेगा...!!

आखिर कब तक..?

अंजली श्रीवास्तव

©Anjali Srivastav काश!
ये नदियां ये सागर ये साहिल
एक ही जगह ठहर जाते
और फिर मैं उनके नटखट पन
और अनवरत चलते रहने की
राज पूछती
और पूछती क्या तुमको
हम मानवीय अत्

AJAY NAYAK

दौड़ Run कविता कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन

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Madan Mohan

हम दिवाने क्योँ तुम्हारे हैं सनम जानकर भी जानते नहीं हैं हम देखें तो देखते रहते हैं हम जानकर भी जानते नहीं सनम। । दिल की बेचैनी मे चैन नही #कविता #OneSeason

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हम दिवाने क्योँ तुम्हारे हैं सनम
जानकर भी जानते नहीं हैं हम
देखें तो देखते रहते हैं हम
जानकर भी जानते नहीं सनम। । 

दिल की बेचैनी मे चैन नहीं सनम
जानकर भी जानते नहीं हैं हम
दिन भी तेरा रात भी तेरी सनम
जागते सोते भी तेरे हैं हम।। 

साँस में भी याद मे भी तुम सनम
जाने किस नशे मे रहते हैं हम 
याद तेरी है नशा या सूरत सनम
जानकर भी जानते नहीं हैं हम।। 
(रैप) 
जब भी तु मिलती है
प्यार से देखता हूँ
आहें भी भरता हूँ
आँखे भी सेकता हूँ
बस ये जान ले तू
तुझी पे मरता हूँ।। 

दौड़ते हैं लोग मेरे आगे पीछे
और मैं दौड़ूं तेरे आगे पीछे।। 

तू नहीं जानती है
न ही मानती है
दिवाना हूँ तेरा
पागल तू मानती है। 

न कर न कर छेड़खानी तू
बन जा मेरी अब रानी तू
महलों मे तूझको बिठाऊँगा
फूलों से तूझको सजाऊंगा।। 
आ जा आ जा मेरी बाहों मे
बैठ जा दिल मे निगाहों से

आश भी तू 
विस्वास भी तू
भूख भी तू
मेरी प्यास भी तू।। 

लेखक मदन

©Madan Mohan हम दिवाने क्योँ तुम्हारे हैं सनम
जानकर भी जानते नहीं हैं हम
देखें तो देखते रहते हैं हम
जानकर भी जानते नहीं सनम। । 

दिल की बेचैनी मे चैन नही
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