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Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
Run for country.. आओ चलो दौड़ते हैं, दौड़कर कुछ संदेश देते हैं ! बताएं लोगों को कि हम , अब भी संग चलते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..! दौड़ते हुए कुछ संदेश पढ़ते हैं , कि हम अब भी संग चलते हैं ! ना कोई खाई ,ना कोई भेदभाव है, हम युवा हैं, हम ही कल हम आज हैं ! हम ही दिशा है ,हम ही निर्देशक , हम ही हैं क्रांति ,हम ही आग है..! आओ चलो दौड़ते हैं , आओ चलो y दौड़ते हुए यही संदेश देते हैं, आओ चलो दौड़ते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..! अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #RunForCountry#Anwar आओ चलो दौड़ते हैं, दौड़कर कुछ संदेश देते हैं ! बताएं लोगों को कि हम , अब भी संग चलते हैं , आओ चलो दौड़ते हैं ..!
Rohan Roy
आपको लगता है घोड़े तेज दौड़ते हैं। तो आप घोड़े के समान, तेज भागना चाहते हैं। फर्क ये नहीं पड़ता, कि आप घोड़े के समान तेज दौड़ना चाहते हैं। फर्क तो इस बात से पड़ता है, कि क्या आप चीटियों के समान लगातार चल रहे हैं? ©Rohan Roy आपको लगता है घोड़े तेज दौड़ते हैं। तो आप घोड़े के समान, तेज भागना चाहते हैं। | #RohanRoy | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
Mere alfaaz
मनुष्य के दिमाग में दो "घोड़े" दौड़ते हैं एक Negative दूसरा Positive जिसको ज्यादा खुराक दी जाए वही जीतता है। ©Mere alfaaz मनुष्य के दिमाग में दो "घोड़े" दौड़ते हैं एक Negative दूसरा Positive जिसको ज्यादा खुराक दी जाए वही जीतता है। #dailypost #Like #comments #sh
Abhishek 'रैबारि' Gairola
प्रकृति भी अद्भुत है। एक ऐसा स्थान जहां कंक्रीट के जंगल बसे हुए हैं, जहां प्रकृति को योग्य श्रद्धा नहीं मिलती, जहां हम इस पौराणिक और मूलभूत शक्ति से अनभिज्ञ हैं, जहां डांबर के पथ पर बख़्तर के अश्व दौड़ते हैं, जहां सूर्यास्त होने के बाद भी चौंधियाने वाला प्रकाश मौजूद रहता है, वहीं यह महान शक्ति हमें अथम कर मितव्ययिती प्रदान करती है। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola प्रकृति भी अद्भुत है। एक ऐसा स्थान जहां कंक्रीट के जंगल बसे हुए हैं, जहां प्रकृति को योग्य श्रद्धा नहीं मिलती, जहां हम इस पौराणिक और मूलभूत
Prakhar Tiwari
हम रेत के महल बनाते हैं, हम गुड़िया को सजाते हैं, हम खिलौनों वाली कारों से खेलते हैं , हम कीड़े और तितलियों का पीछा करते हैं, हम दौड़ते हैं, गिरते हैं और रोते हैं, फिर हम,हम हाथ पकड़ते हैं उनका, हम खुश हो जाते हैं बच्चो की तरह नाचते हैं। गमों को भूल जाते हैं हम सपने सजाते हैं उन सपनों को पूरा करते हैं एक साथ और हम अंश को जन्म देते हैं अपने हम वयस्क बन जाते हैं ©Prakhar Tiwari #desert हम रेत के महल बनाते हैं, हम गुड़िया को सजाते हैं, हम खिलौनों वाली कारों से खेलते हैं , हम कीड़े और तितलियों का पीछा करते हैं,
हरीश वर्मा हरी बेचैन
विकास इतना किया है! खेत में सोंधी मिट्टी में.. जहर भर दिया है!! ज्यादा तर गांव को.. शहर कर दिया है! रास्ते बनाए है डावर के.. घर को कंकड़ पत्थर से.. भर दिया है!! पेड़ों का कर दिया.. कटाई और छटाई! वातावरण को तरंगो से भर दिया! दौड़ते हैं फर्राटे से गाडियां! उड़ते हैं जहाज जिन्दगी को धुआं धुआं कर दिया! कचडो से नदी तलाब और सागर को भर दिया! जंगल को दुनिया से गायब कर दिया! जीवन के लालसा ने जहर भर दिया! 🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️ हरीश वर्मा हरी बेचैन ८८४०८१२७१८ विकास इतना किया है! खेत में सोंधी मिट्टी में.. जहर भर दिया है!! ज्यादा तर गांव को.. शहर कर दिया है! रास्ते बनाए है डावर के.. घर को कंकड़ पत्
Anjali Srivastav
काश! ये नदियां ये सागर ये साहिल एक ही जगह ठहर जाते और फिर मैं उनके नटखट पन और अनवरत चलते रहने की राज पूछती और पूछती क्या तुमको हम मानवीय अत्याचार भरे व्यवहार से मन विचलित नहीं होता आज तरह - तरह के वेदनाओं से घिरे रहना तुम्हारा हम मानवीय द्वारा ही है क्यों चुप रहते हो? आखिर क्यों? क्या इकट्ठा प्रहार करोगी जानलेवा तकरार करोगी मन मलिन है गन्दी कीड़ों की भांति कुछ कुंठित वर्ग के लोगों का हे सागर हे नदिया हे लहरें समस्त आपदाओं का कैसे सामना कर लेती हो वो हिचकोले खाते हुए मदमस्त हो धुन में चलते हुए कभी भी न उफ्फ किए हुए हम मानव कब तक ऐसे पापों को ढोते रहेंगे आखिर कब तक...? हम मानव होकर भी पशुओं के भांति एक दूजे को खाने को नोचने को दौड़ते हैं आखिर कब तक ये यूं सतत चलेगा मानव पापों का घड़ा भरेगा...!! आखिर कब तक..? अंजली श्रीवास्तव ©Anjali Srivastav काश! ये नदियां ये सागर ये साहिल एक ही जगह ठहर जाते और फिर मैं उनके नटखट पन और अनवरत चलते रहने की राज पूछती और पूछती क्या तुमको हम मानवीय अत्
AJAY NAYAK
कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन कब और कितना दौड़ना चाहिए यह भी पता होना जरूरी है शेर भी दौड़ता है घोड़ा हिरण भी दौड़ते हैं दोनो को बखूबी पता होता है कब दौड़ना होता है कब रुकना होता है यही वजह है एक साथ रहकर ख़ुद को जंगल में जिंदा रख पाते हैं –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #दौड़ #Run #कविता कैसी दौड़ लगी है हर कोई भागने में लगा है रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा यह सच है दौड़ ही जिंदगी है लेकिन
Madan Mohan
हम दिवाने क्योँ तुम्हारे हैं सनम जानकर भी जानते नहीं हैं हम देखें तो देखते रहते हैं हम जानकर भी जानते नहीं सनम। । दिल की बेचैनी मे चैन नहीं सनम जानकर भी जानते नहीं हैं हम दिन भी तेरा रात भी तेरी सनम जागते सोते भी तेरे हैं हम।। साँस में भी याद मे भी तुम सनम जाने किस नशे मे रहते हैं हम याद तेरी है नशा या सूरत सनम जानकर भी जानते नहीं हैं हम।। (रैप) जब भी तु मिलती है प्यार से देखता हूँ आहें भी भरता हूँ आँखे भी सेकता हूँ बस ये जान ले तू तुझी पे मरता हूँ।। दौड़ते हैं लोग मेरे आगे पीछे और मैं दौड़ूं तेरे आगे पीछे।। तू नहीं जानती है न ही मानती है दिवाना हूँ तेरा पागल तू मानती है। न कर न कर छेड़खानी तू बन जा मेरी अब रानी तू महलों मे तूझको बिठाऊँगा फूलों से तूझको सजाऊंगा।। आ जा आ जा मेरी बाहों मे बैठ जा दिल मे निगाहों से आश भी तू विस्वास भी तू भूख भी तू मेरी प्यास भी तू।। लेखक मदन ©Madan Mohan हम दिवाने क्योँ तुम्हारे हैं सनम जानकर भी जानते नहीं हैं हम देखें तो देखते रहते हैं हम जानकर भी जानते नहीं सनम। । दिल की बेचैनी मे चैन नही