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Sunil Porwal

##मजदूरों की व्यथा#मजदूर मजबूर हैसुनील पोरवाल## #अनुभव

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उनका अब तक कोई भी,
हम पर तो एहसान नहीं।

हमने पीड़ा बहुत सही है,
सहेंगे अब अपमान नहीं ।

हम तो पैदल चल लेंगे,
हमको कोई अभिमान नहीं।

और आए भी वो उड़कर,
जिनके दिल में हिंदुस्तान नहीं !!

युवा कवि - सुनील पोरवाल “ शेलु ” ##मजदूरों की व्यथा##मजदूर मजबूर है#सुनील पोरवाल##

Dhirendra Pandey

ये वही शहर है न
जिसे हमने बनाया था 
और सड़के भी वही है 
जहां हमने पसीने को,पानी सा बहाया था
सपनो को
तो संजो दिया हमने तुम्हारे 
फिर तुमने ही क्यो
छोड़ दिया हमे किसी और के सहारे
         नज़्म-ऐ-क्षणिक #मजदूरों #मजदूर #majdur #lockdown

Dhirendra Pandey

ये वही शहर है न
जिसे हमने बनाया था 
और सड़के भी वही है 
जहां हमने पसीने को,पानी सा बहाया था
सपनो को
तो संजो दिया हमने तुम्हारे 
फिर तुमने ही क्यो
छोड़ दिया हमे किसी और के सहारे
         नज़्म-ऐ-क्षणिक #मजदूरों #मजदूर #majdur #lockdown

Lakhan Singh Chouhan

मजदूरों की व्यथा। #कविता #Labour_Day

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#Labour_Day सर से उनके छत उठ गई
रोजी छीन गई हाथों की,
ना रहा खाने को दाना
नींद उड़ गई रातों की।

पुलिस ने उनको मारे डंडे
और खदेड़ा सड़कों से,
सरकारों को क्या करना है
गांव के ऐसे कड़को से। 

उनकी गलती ,जो थे आए
भरने पेट वो शहरों में,
सिर पे ढोते बोझा देखो
जेठ की भरी दोपहरों में।

जूते चप्पल नहीं मिले तो
बांध ली बोतल पाओं में,
लक्ष्य एक है, कैसे भी वो
पहुंचे अपने गाँवो में।

तुमने भेजे उड़न खटोले
उन्हें बुलाया देशों में,
जो स्वार्थ के कारण भागे
भारत छोड़ विदेशों में।

मजदूरों का दर्द ना समझा
जाने क्यों सरकारों ने,
जमा रुपए भी लूट लिए
बीच में कुछ गद्दारों ने।

धन्य जिन्होंने पानी पूछा,
और दी रोटी खाने को,
पैदल ही थे निकल पड़े 
जो अपने घर जाने को। 

ठा. लाखन सिंह चौहान मजदूरों की व्यथा।

Shilpi Verma

#बेरोजगारी की समस्या #शिक्षण व्यवस्था की समस्या #विचार

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AMIT

मजदूरों की घर वापसी

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Life quotes in hindi थकने कि नहीं इजाज़त है..
               रुकने का नहीं हमको हक है,
हम तुम्हें विदा कर सोएंगे..
               जागे कितने हम बेशक़ हैं, 
इन नन्हे-मुन्ने चेहरों पर..हम हंसी सजा कर भेजेंगे,
इन सूनी-सूनी आंखों में..हम खुशी जगा कर भेजेंगे,
तुम खाली पेट भले आए..
                हम खिला पिलाकर भेजेंगे,
जो मीलो चलकर आई है..
                वो थकन मिटा कर भेजेंगे,
जिस माटी में खेले कूदे..वह धरा बुलाती है तुमको,
उन यारों संग हंसना गाना..जो याद सताती है तुमको,
सबको उनके घर भेजेंगे..
                 हमने भी ये ज़िद ठानी हैं..!
है हाथ जोड़कर विदा तुम्हें..
                  फिर अगली ट्रेन भी आनी है..!!
-------अमित मजदूरों की घर वापसी
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