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Shashi Bhushan Mishra
रखो कदम अपना संभालकर क्षमता का विस्तार करो, सीखो नव तकनीक नित्य ही समय नहीं बेकार करो, कृपा प्राप्त करनी है तो अनुशासन रक्खो जीवन में, विकसित करो स्वयं का जीवन औरों का उद्धार करो, भरो नई ऊर्जा नित मन में संपोषित हो ज्ञान सृजन, कालरात्रि में दीप जलाकर दूर सकल अंधियार करो, आशाओं का विटप सदा परिपोषित हो हृदयांगन में, प्रेम प्यार से सिंचित कर भौतिक सुख का श्रृंगार करो, नियति नियम का अवलंबन संरक्षित करती है हरपल, अनुपम सुख, आनंद हृदय में, आशा का संचार करो, मिटे तिमिर,भ्रम छँटे जगत से,हो ऐसा प्रयास सबका, शंकाओं का असुर खदेड़ो, तृष्णा का प्रतिकार करो, धरती,चाँद,गगन,सूरज है एक मिला सबको 'गुंजन', रहे कामना सुखद भुवन की, दुर्जन का संहार करो, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #क्षमता का विस्तार करो#
Parasram Arora
वो नदी जानती है सागर से मिलन क़े लिए अनंत है प्रतीक्षा लेकिन वो क्याकरे उसे तो सागर का विस्तार पाना ही है लम्बी दौड़ क़े बाद वो काफी थक भी चुकी है लेकिन सागर अब भी उससे काफी दूर खड़ा बाहें पसारे तैयार. उस नदी को अपनी बाहों मे पनाह देने क़े किये.. और सागर भी शायद ये जान चुका है उसका प्रेम और कुछ नहीं प्रतीक्षा का अनंत विस्तार ही है नदी और सागर उस संभावित मिलन क़े लिए और एक दुसरे मे स्फूर्ति क़े लिए अपने अपने मूक संदेश आये दिन भेजते रहते है. और वो नदी पूरी तरह आश्वस्त है क़ि सागर एक दिन जरूर उसे अपने मे समेट कर ही दम लेगा ©Parasram Arora #प्रतीक्षा का अनंत विस्तार.....
Ek villain
हजार वर्ष पहले भारत में रहने वाले सभी लोगों को हिंदू कहना सही था किंतु यह भी अजीब सत्य है कि हमें यह हिंदू ना विदेशियों ने ही दिया था वास्तव में हम तो आ रहे थे और देश का नाम आर्यवर्ता बाद में चक्रवर्ती सम्राट भारत के नाम पर देश का नाम भारत हुआ भारत को उस काल में सोने की चिड़िया कहते थे उस समय सिंधु घाटी सभ्यता की पूरी विश्व में तूती बोलती थी इसलिए विश्व भर के व्यापारी वहां पहुंचते थे असल में सिंधु नदी के उस पार से आने वाले आक्रमणकारी लुटेरे सा को बुलाते थे लिहाज में हिंदू को हिंदू बोलते थे इसलिए वे देश को भी हिंदुस्तान कहते थे अंग्रेजी शब्दों को इंडस कहते थे इसलिए कारण अंग्रेज भारत को इंडिया कहते थे देश में जितने भी आक्रमणकारी आए वह सब लुटेरे ही थे असल में गुलामी के दिनों में हिंदू पहचान ही खो गई थी ©Ek villain #brokenlove #हिंदू पहचानने का विस्तार
Ek villain
विजय की अजय गाथा कहती है विजयदशमी अमर है जब भगवान श्रीराम ने पृथ्वी को पाप से मुक्त कराने का वचन पूरा किया तो विजय श्री भी इसी दिन स्वयं को धन्य मानती होगी क्योंकि यह दिवस विजय का प्रतीक बन गया है लोग को मैं दशहरा एक महान विजय पर्व है इसलिए इसे अलौकिक विजय दिवस भी कह सकते हैं राम की वजह कथा की तात्विक मानसिक से धर्म ग्रंथ भरे पड़े हैं महा पंडितों ने ज्ञान के समस्त द्वार खोल दिए हैं मानव के राक्षस पर विजय का रहस्य संसार के समक्ष के असत्य पर सत्य की सदा विजय होती है राम रावण युद्ध को हमें कोई कसौटी पर विश्लेषण भी परखना चाहिए ©Ek villain #राम मार्ग का विस्तार #Dussehra
Ek villain
स्वस्थ जीवन का एक ऐसा पक्ष है जिस पर हमारी व्यक्तिगत ही नहीं बल्कि देश की सभी सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति टिकी है स्वास्थ्य सुविधाएं हमारे जीवन के हर पक्ष की गुणवत्ता का स्तर तय करती है मौजूदा कोरोनावायरस ने जिस तरह वैश्विक स्वस्थ आपदा को जन्म दिया उस में स्वस्थ की बुनियाद तैयारी को नए सिरे से संवारने का संदेश भी है भौगोलिक और जनसंख्या की विधाओं के कारण भारत के करोड़ों नागरिक तथा स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बड़ी चुनौती रही है आज देश आजादी के 100 वर्ष पूरे होने को लक्ष्य मानकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कार्ययोजना बना रहा है ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र की आवश्यकता चुनौतियों और शंकाओं का विश्लेषण कर हमें एक टिकाऊ व्यवस्था करनी होगी आधारभूत ढांचे जो सहित से जुड़ी भौतिक संरचना और विशेष चिकित्सा मानव संसाधन की उपलब्धता के साथ आरोग्य जीवन शैली पर टिका हो स्वस्थ से समृद्ध की इस यात्रा में डिजिटल हेल्थ सिस्टम पूरी स्वास्थ्य ढांचे की उत्पादकता को नया आयाम देगा स्वास्थ्य से समृद्धि की राह पर बढ़ने के लिए वित्त वर्ष 2022 तेज के केंद्रीय बजट में मोदी सरकार करोड़ों रुपए का प्रावधान किया यह से राशि वितरण 2000 21 और 22 में करोड़ों के मुकाबले 16% अधिक रही नेशनल हेल्थ मिशन के बजट आवंटन में 7% की वृद्धि हुई हेल्थ फैक्चरिंग और बजट ₹100000000 बढ़कर 1978 किया गया ©Ek villain #स्वास्थ्य सेवाओं का डिजिटल विस्तार #doubleface
Ek villain
विश्व अर्थव्यवस्था में अधिकांश क्षेत्रों में डीजल लाइजेशन का तेजी से उपयोग हो रहा है साथ ही इसका दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है इस बीच तकनीकी आधारित शिक्षा का तेजी से प्रचार हो रहा है ऐसी स्थिति में पुरानी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन आवश्यक हो गया है वर्ष 2022 23 के आम बजट में शिक्षा के नवीनीकरण और डिजिटल की ओर विशेष ध्यान दिया गया शिक्षा पर होने वाला खर्च जो 21 और 22 में 20 और 21 की अपेक्षा लगभग 6% कम कर दिया गया या नहीं करोड़ों रुपए से कटकर करोड रुपए रह गया उसे के बजट में प्रतिशत बढ़ा कर करोड़ों रुपए कर दिया गया कोविड-19 पिछले 2 वर्षों से बच्चे स्कूल जाने से वंचित हैं उसी कक्षाओं की पढ़ाई ऑनलाइन होती रही किंतु स्कूली शिक्षा पूरी तरह प्रभावित हुई गांव में विशेषकर पिछड़े वर्ग के बच्चों की शिक्षा का दरवाजा लगभग बंद ही हो गया था इस कमी को पूरा करने के लिए बजट में विशेष पर्व धानी किए गए हैं कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक का सहारा लिया जाएगा शिक्षकों को डीजल एजुकेशन में प्रशिक्षित करने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं देश की सभी भाषाओं में भी डीजल एजुकेशन हो सके इसके लिए सरकार ने बजट में सजगता दिखाई है पहले से 12वीं तक की विद्यार्थी के लिए एक क्लास पर टीवी चैनल आयोजन का विस्तार किया जाएगा ©Ek villain #डिजिटल प्रयास से शिक्षा का विस्तार #friends
Amit Singhal "Aseemit"
संबंधों में आई ग़लतफ़हमियों को न दीजिए विस्तार, आप समय रहते जल्दी ही इनको सुलझा लीजिए। ग़लतफ़हमियाँ ही संबंधों के टूटने का बनतीं आधार, संबंध बिगड़ने से पहले ही विस्तार से बात कीजिए। ©Amit Singhal "Aseemit" #विस्तार
Ek villain
इतिहास में ऐसे अनेक मामले सामने आते रहे हैं जब कोई महापुरुष के सामाजिक योगदान के इतिहासकारों ने पर्याप्त स्थान नहीं दिया जनसभा कार ने गांधी अंबेडकर से भी पहले बहुजन उत्थान के लिए कार्य किया और समाज सुधार की दिशा में व्यापक प्रयास किया इतिहासकारों ने उन्हें समाज सुधारक महापुरुष की चर्चा में कोई जगह नहीं दी जहां 18 सो 57 के विद्रोह को विदेशी नहीं-नहीं भारतीय इतिहासकार भी सिपाही विद्रोह कहने में लगे थे तब सरकार ने उस देश का प्रथम स्वतंत्र संग्राम बताया अंग्रेज द्वारा दी गई काली पानी की सजा भी काटी इन सब के बावजूद वीर सावरकर को इतिहास में वे स्थान नहीं दिया गया जैसे को एक हकदार थे विचारधारा पोषित इतिहासकारों ने ऐसा पहली बार नहीं किया यह निरंतर ऐसा लिखते रहे हैं किन के द्वारा ऐसे इतिहास लेखन के कारण ही वर्तमान में सेवा कार्य का नाम जब भी सामने आता है तो विचारधाराएं दो विपरीत ग्रुपों में खड़ी हो जाती हैं एक गुट उन्हें पूजनीय मानते हैं तो दूसरा गुड सावर्ती अतिशय समझते हैं विचारों का यह भेद भारत के इतिहास में शायद ही किसी दूसरे स्वतंत्र सेनानी के बारे में दिखाया देता हो इस संदर्भ में विकास संपत्ति माफी मांगने वाले सरकार ने स्वच्छ को बहुत ही विस्तार से अपनी किताब में लिखा है ©Ek villain #तिथियों के साथ समग्र दृष्टि का विस्तार #selflove