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Ayush kumar gautam
मेरी जिंदगी कोई घटिया फिल्म नहीं है फ्लाॅप हूं मैं,ये देखने वालों को ही इल्म नहीं है इल्म-ज्ञान शायर आयुष कुमार गौतम मेरी जिंदगी कोई घटिया फिल्म नहीं है
Mahi das vaishnav
कोई मिला था कल तो दिल में जान आई उन से आज दिदार नहीं हुआ तो दिल मे दरार आई। ©Mahi das vaishnav #शशशशशश फिर कोई है।
Vinay Kumar
फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई #nojoto #love
Mamta kumari
Tears and Smile हम सब की जिंदगी फिल्म जैसा है जिस तरह फिल्म में हीरो अपनों से बिछड़ने पर संघर्ष करते हुये रोता है और जब अपने लोग ख़ुशी में मिल जाता ह तो वह बहुत खुश होता है हमारे असल जिंदगी में भी इसी तरह होता है ।इसलिए तो कहता हूँ जिंदगी एक फ़िल्म है कठिनाइयां आ भी जाये तो कठिनाइयों को पराजित कर खुश रहो और हँसो । जिंदगी एक फिल्म है ।
दीप बोधि
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं ©Deep Bodhi दीप बोधि #lonely कौनसा फिल्म है?
Shashi Bhushan Mishra
फिर कोई न वैसा भाता है, जब दिल से कोई जाता है, इक जख्म छोड़ जाता ऐसा, जो कभी नहीं भर पाता है, ढह जाता है विश्वास अजर, मन में गम घर कर जाता है, पीड़ा का पारावार नहीं ! मन नाहक शोर मचाता है, साहिल से टकराती लहरें, सागर जब दर्द सुनाता है, नभ में छा जाते उमड़-घुमड़, सावन घन गीत सुनाता है, है प्रेम प्राण का स्पंदन, तन्हाई में दिल घबराता है, यादें तड़पाती जीवन भर, 'गुंजन' मन भूल न पाता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #फिर कोई न वैसा भाता है#
Rohit Kumar
उनकी आंखे कोई दश्त है फिर कोई दरिया, ना जाने क्या है हमारे दर्मिया, गर उतर के देखू , तो डूब ही जाऊ, गर चल के देखू , तो खो जाऊ, ये अनकहे एहसास का कुछ यू कहना हैं, जैसे शहर ए दिल में तुम्हारा ही रहना हैं, cont...... उनकी आंखे कोई दश्त है या फिर कोई दरिया....
Vinay Kumar
फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सुना पड गया है कोई बहोत ख़ामोशी है शहर में आज फिर इंसान अकेला मर गया है कोई दिल गुमनाम है उसे रहने दो फिर खुद का पता भूल गया है कोई शैतानों की बस्ती में रोशिनी बहोत है फिर से भगवान् मर गया है कोई फिर मुसाफिर बन चला है कोई फिर रास्ता भटक गया है कोई घर की वो चिडिया याद आती है फिर घोसला उजड़ गया है कोई देहलीज़ अब रास्ता तकती है फिर आँगन सु