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New करोति का धातु रूप Quotes, Status, Photo, Video

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Roushan R

धातु का Experiment #Diwali

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Akshat Vishwakarma

शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥

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ये भी इतिहास में लिखा जाएगा,
जब पूरा देश डगमगा रहा है,
तब पूरा हिंदुस्तान जगमगा रहा है.. शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥

Madan karuchi Madan karuchi

madan करोचि #कॉमेडी

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Mr.Yum

ईश्वर यत करोती, शोभनम करोती ।। #HAPPY_ROSE_DAY #yqbaba #yqdidi #yqquotes

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"चलो अच्छा है...रोज डे के चलते आज गुलाब बेचने वालों की अच्छी ध्याड़ी बन जाएगी "
।। हैप्पी रोज डे ।। ईश्वर यत करोती, शोभनम करोती ।।
#happy_rose_day 
#yqbaba #yqdidi #yqquotes

Pallavi Ghatage

#LoveInstrumental शुभम करोती! #मराठीसंस्कृति

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Prashant Mishra

#"माँ" का रूप

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निश्छलता का प्रारूप है  'माँ' इस धरती पे
स्नेह का सच्चा स्वरूप है 'माँ' इस धरती पे
दुनिया में 'माँ' के जैसा नहीं  कोई दूजा है
भगवान का सच्चा रूप है 'माँ' इस धरती पे

--प्रशान्त मिश्रा #"माँ" का रूप

अर्पिता

#माँ का रूप #Thoughts

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आज माँ का एक रुप देखा ,
दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं,
अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी,
अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी,
अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी,
नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी,
उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी,
नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी,
अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी,
अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी,
सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं,
अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी,
अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी,
बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी,
और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी,
ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी,
इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी,
थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।।

©अर्पिता #माँ का रूप

Ashish Singh

लक्ष्मी का रूप #Quotes

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Parasram Arora

# कविता क़े रूप अरूप.......

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कविता  कैसी  भी हो   उसे समझने 
मे  कठनाई  नहीं होती 
क्योंकि  ज्यादातर  रचनाओं मे  
आनंद   वेदना  प्रेम  और  आश्चर्य  क़े  भाव  होते है 
और  ये सारे   भाव  हर किसी मे   प्रायः  
मौजूद  ही  होते हैँ  
अब ये बात अलग  है  क़ि उस रचना  का  जायज़ा 
अपनी  अपनी   पसंद  से  श्रोता  या पाठक  तय  करते हैँ 
किसी को. वह रचना  आध्यात्मिक यात्रा क़े लिए  तैयार 
कर सकती है तो किसी  मे प्रेम की  पींगे    बढ़ाने  की 
दिलचस्पी से  भर  सकती  है 
कोई  विचलित   या विक्षप्त  श्रोता  या  पाठक उसे  दर्शनशास्त्र का  विषय बना सकता है  या फिर  कोई  उस कविता को मधुर स्वरों  मे  गाकर 
गायक  भी  बन   सकता है # कविता  क़े  रूप  अरूप.......

Deepak Sisodia

#एक रूह एक रूप

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