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Divyanshu Pathak
रे मनवा! देख रे मनवा, लोग कैसे लगते हैं जनम-जनम के भूखे, अनन्त कामनाओं वाले मानसिकता पूरी तरह अभावग्रस्त, किसी को भूख धन की, किसी को पुत्र की, किसी को यश की, किसी को सुख की, राग-द्वेष, लोभ मोह, अभिनिवेश और ऊपर से अहंकार रोकता नहीं जो कामना के आवेग को प्रवाह में आवेश के बंधन में डालते
Divyanshu Pathak
जानता है तू क्यों आया है इस नर देह में काटने को कर्म-फल पिछले जन्मों के। जनम भी कितने चौरासी लाख! कैसे काटेगा ?.......☺ भ्रमण कर-करके भू-मण्डल पर जल और नभ में, और इस बीच सृजित करोगे नित नए कर्म भी भोगते रहने को भविष्य में भी। करती है सारे खेल माया महामाया प्रक
Divyanshu Pathak
तुलसी मीठे बचन ते,सुख उपजत चहुँ ओर ! बसीकरन इक मंत्र है,परिहरू बचन कठोर !! :💕☕☕☕😊🍧 👨good morning ji ! 😊💐💐 मन में कामना उठी, बुद्धि ने कहा कि पूरी करना है, प्राण गतिमान हुए। वाक् के एक-एक परमाणु का स्थान नए परमाणु ले
:💕☕☕☕😊🍧 👨good morning ji ! 😊💐💐 मन में कामना उठी, बुद्धि ने कहा कि पूरी करना है, प्राण गतिमान हुए। वाक् के एक-एक परमाणु का स्थान नए परमाणु ले
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अपनी अदाओं के तिलिस्म को समेट ले यारा अपने हुश्न ओ शबाब की जादूगरी तू मुझपे न चला ! तू मुझे बर्फ़ सी ठंडी आग लगती है पिघल जाएगी मुझे शबनम ही बना रहने दे हवाएं देकर इसे शोला न बना ! :💕👨🍀🌱☕☕☕🙋🙋🍫💕💕🍧🍨🍨🍨☕☕☕☕ Good morning ji ! : बन दीया मैं अंधेरा निगल जाऊंगा यू मुझे तू चाहत की शमां न बना ! मैं मोहब्बत की रोशनी को शाथ लिए चलत
:💕👨🍀🌱☕☕☕🙋🙋🍫💕💕🍧🍨🍨🍨☕☕☕☕ Good morning ji ! : बन दीया मैं अंधेरा निगल जाऊंगा यू मुझे तू चाहत की शमां न बना ! मैं मोहब्बत की रोशनी को शाथ लिए चलत
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कैसी स्थिति बन गई आज इस पूजनीय शब्द की दुर्बल, निरीह और दया का पात्र जान पड़ता है भारत आज पूरे विश्व में जाना जाता है तो या तो भ्रष्टाचार के लिए, या फिर कन्या भ्रूण हत्या के लिए। आश्चर्य की बात है कि देश में फिर भी नवरात्रि में कन्या-पूजन हो रहे हैं। शादियों में कन्या-दान हो रहे हैं। इसी देश में कन्याओं के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। सरकारों द्वारा बेटियों की सुरक्षा के लिए अलग से योजनाएं तक बनाई जाने लगी हैं। मेरे ही समाज का अर्द्धाग अपने ही शेष अर्द्धाग पर आक्रमण करने लगा है। तब वह अर्द्धाग भी अपनी पूर्णता खो बैठेगा। 🌹#कन्या🌷🌷#पंछी🌹🌷#पाठक🏵🏵🔯🕉️🔯#नवदुर्गा💠🕉️💠🚻🚹🔯🚺#संकृति😃🌺🌺💐#संस्कार🌻🏵🤗🌹#हिंदी🌷🏵💠🕉#विचार🏵🌷🕉 यही तो हो रहा है विश्व भर में। हमारा आचरण झूठे अध्यात
🌹कन्या🌷🌷पंछी🌹🌷पाठक🏵🏵🔯🕉️🔯नवदुर्गा💠🕉️💠🚻🚹🔯🚺संकृति😃🌺🌺💐संस्कार🌻🏵🤗🌹हिंदी🌷🏵💠🕉विचार🏵🌷🕉 यही तो हो रहा है विश्व भर में। हमारा आचरण झूठे अध्यात
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स्त्री अपने पति को सदा ऊपर उठते देखना चाहती है। उसमें सदा सहयोगी बनती है। नारी का स्वार्थ पुरूष का भोग है। न भागीदारी, न ही त्याग। वह तो प्रवाह पतित ही करती है। पत्नी तो एक ही होगी, औरतें कितनी भी हों। सभी मुखौटे लगाकर पुरूष को ठगती भी हैं और शायद पीठ के पीछे खिल्ली भी उड़ाती हो। रूप यह भी उसी माया का होता है। शिव है तो शक्ति है। शक्ति शिव के भीतर ही है। जब शक्ति सुप्त है, तब शिव भी शव की तरह निष्क्रिय है। पुरूष भी शिव है, नारी भी शिव है। दोनों की
शिव है तो शक्ति है। शक्ति शिव के भीतर ही है। जब शक्ति सुप्त है, तब शिव भी शव की तरह निष्क्रिय है। पुरूष भी शिव है, नारी भी शिव है। दोनों की
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"परिवार" हमारे पूर्व कर्मों का प्रतिफ़ल घर में ही धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की सिद्धि का आधार तैयार होता है। मोक्ष को बाहर जाकर प्राप्त करने में वर्षो लग जाते हैं। घर से मोक्ष का द्वार स
घर में ही धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष की सिद्धि का आधार तैयार होता है। मोक्ष को बाहर जाकर प्राप्त करने में वर्षो लग जाते हैं। घर से मोक्ष का द्वार स
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